शहीद दिवस: हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे भगत सिंह
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहते हैं शहीद भगत सिंह के परिजन भारत को आजाद कराने में कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उनके इस त्याग के कारण ही देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो सका।
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहते हैं शहीद भगत सिंह के परिजन भारत को आजाद कराने में कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उनके इस त्याग के कारण ही देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो सका।
23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। उसके बाद 23 मार्च की तारीख को हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई थी। इसके बाद से 23 मार्च को देशभर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
शहीदी दिवस भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी
आपको बता दें देश की आज़ादी के लिए हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल जाने वाले शहीदे आज़म भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव का आज 90वा बलिदान व शहीदी दिवस भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी आज मनाया जा रहा है अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च 1931 को शहीदे आज़म भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव को फांसी पर लटका दिया था जिसके बाद आज के दिन को शहीदी दिवस व बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शहीद भगत सिंह का परिवार
सहारनपुर में रहने वाले भगत सिंह के परिजन भी आज के दिन शहीदे आज़म भगत सिंह को याद कर गौरवान्वित होते है सहारनपुर के जैन कालेज रोड स्थित उनके सगे भतीजे की पत्नी ने जानकारी देते हुए बताया शहीद भगत सिंह और उनके साथ अनेक क्रांतिकारियों को आज के दिन फांसी दी गई थी और उन्हीं की वजह से आज हम खुले आसमान के नीचे सांस ले रहे हैं क्योंकि उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया और इन्हीं लोगों के बलिदान की वजह से अंग्रेज जो हैं वह देश छोड़कर गए हैं और हमें बड़ा ही गौरव महसूस होता है कि हम शहीद भगत सिंह के परिवार से हैं और आज शहीद भगत सिंह जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन करते हैं।
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रिपोर्ट- नीना जैन
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