शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने गाय, गंगा और गीता को लेकर मोदी सरकार पर बोला जमकर हमला

Update:2017-01-31 09:49 IST

इलाहाबाद: पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षाजानंद देव जी महाराज ने गाय गंगा और गीता पर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने उन राजनीतिक दलों को भी आड़े हांथो लिया, जो धर्म के नाम पर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं।

माघ मेले स्थित अपने शिविर में आयोजित धर्म प्रतिनिधि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान गाय, गंगा और गीता की संरक्षा पर बहुत बयान दिया था। लेकिन सरकार बनने के बाद इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने गंगा मंत्रालय बना दिया। लेकिन मात्र मंत्रालय बनने से गंगा की समस्या का समाधान नहीं हुआ। गंगा में जब तक अविरल प्रवाह नहीं होगा, तब तक पवित्र नदी और भारत की संस्कृति की संरक्षा और सुरक्षा असंभव है।

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शंकराचार्य जी ने कहा कि भाजपा गोवंश की रक्षा के लिए वोट मांगती है, लेकिन इनकी सरकार में गौ मांस का निर्यात 3 गुना बढ़ गया है। कुछ दिनों पहले राजस्थान में चारा न मिलने के कारण गायें मर रही थे। मीडिया द्वारा मामला प्रकाश में आने के बाद उनके लिए चारों का इंतजाम किया गया। उन्होंने बताया कि उनके गुरु ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ जी महाराज ने गौ रक्षा के लिए ही 27 दिन तक अनशन किया था। यदि सरकार गोवंश की रक्षा नहीं करेगी, तो स्वामी अधोक्षानंद देवतीर्थ ने भी दिल्ली में अनसन करने की चेतावनी दी।

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स्वामी जी ने कहा कि 36 महीने मोदी जी 6000 झूठ बोल चुके हैं। इसके विपरीत मोहम्मद आजम खान जो कि एक कट्टर मुसलमान हैं। उन्होंने हिंदुओं के हित में 12 महीने में 12 सभाएं गंगा पर गौ रक्षा के लिए हिंदुओं के तीर्थ स्थलों पर किए। स्वामी जी ने कहा कि मेरा मतलब यह नहीं कि मैं आजम खान का समर्थक हो गया हूं। मैं साधू हूं, हमें किसी भी राजनीति दल से कुछ भी नहीं चाहिए। धर्म के नाम पर हम किसी को भी छद्म करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं? उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल धर्म के नाम पर जनता को गुमराह कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है। संत समाज इसे स्वीकार नहीं करता है।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि उत्कल पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी स्वरूपानंद आचार्य जी महाराज (भुवनेश्वर-उड़ीसा) ने धर्मांतरण पर तत्काल रोक लगाने की बात की। सम्मेलन में मुख्य रूप से जगतगुरु दामोदराचार्य, ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी, दंडी स्वामी जगदिशानंद, नागा सन्यासी अगस्तदास, बालकदास आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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