Shravasti News: ऐतिहासिक सीता द्वार झील राजनीतिक दंश का शिकार, पूरे दिन चला भंडारा और कन्या भोज कार्यक्रम
Shravasti News: सीता द्वार झील में स्नान करने से लोगों के पुराने से पुराने चरम रोग समाप्त हो जाते हैं किन्तु आज उसी झील में प्रधान शिवकुमार राजभर के चहेते भैंसों के स्नान का जगह बना चुके हैं।;
ऐतिहासिक सीता द्वार झील राजनीतिक दंश का शिकार, पूरे दिन चला भंडारा और कन्या भोज कार्यक्रम (Photo- Social Media)
Shravasti News: ऐतिहासिक धरोहरों और लोगों को सहसा ही अपनी ओर आकर्षित करने वाले पर्यटन स्थलों से सुमार सीता द्वार झील राजनीतिक दंश का शिकार है। जिस कारण अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी जगत जननी सीता माता और रामायण राचयिता श्रृषि बाल्मीकि व लवकुश नगरी अब तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान नहीं मिल पाई है। त्रेता युग से लेकर भगवान बुद्ध और भगवान महावीर के श्रावस्ती में ऐसे कई महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल यहां मौजूद हैं, जिन्हें देश-विदेश के पर्यटक करीब से देखना और जानना चाहते हैं, इन्ही में से सीता द्वार मंदिर, बाल्मिकी मंदिर और सीता द्वार झील है।
सीता द्वार झील की मान्यताएं
कभी मान्यता थी कि सीता द्वार झील में स्नान करने से लोगों के पुराने से पुराने चरम रोग समाप्त हो जाते हैं किन्तु आज उसी झील में प्रधान शिवकुमार राजभर के चहेते भैंसों के स्नान का जगह बना चुके हैं जिस कारण माता सीता का दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं का मन दुषित हो जाता है और झील में स्नान करने के बजाय आसपास के नल से हाथ-पैर धोकर दर्शन करने को मजबूर है। भैंसों को नहलाने वाले टंडवा महन्त गांव के निवासी रामदीन यादव और मायावती यादव से झील को गंदा करने के बावत जब पूछा गया तो सहज कह गया की गाव का मालिक प्रधान होता है आप लोग कौन होते हैं ज्ञान देने वाले। और हम प्रधान के आदमी हैं वोट देकर जीताते है तो गांव की हर सम्पत्ति को हमें प्रयोग करने का पूरा अधिकार है।इस संबंध में जब सीता द्वार मंदिर के महंत संतोष दास तिवारी और बाल्मीकि मंदिर के पुजारी राम सागर तिवारी से जानकारी ली गई तो वह लोग इतना कहकर चुप हो गए की तीन पीढ़ियों से माता रानी और बाल्मीकि बाबा की सेवा करते आ रहे हैं इसमें हम बोलेंगे तो प्रधान यहां से हम सबको भगा देगा।वह सब प्रधान शिवकुमार राजभर ही जाने।
वहीं आज पूरे दिन नवरात्र के समाप्ति के बाद मूर्तियां और पूजा सामग्री विसर्जन का कार्यक्रम चलता रहा है इस दौरान मंदिर महंत और पुजारी द्वारा 501 कन्याओं का विधिवत भोजन कराया गया और दान दक्षिणा दिया गया।महंत संतोष दास तिवारी ने बताया कि नवरात्र समाप्ति के बाद भंडारे और कन्या भोज का कार्यक्रम वर्षों से चलता आ रहा है उसी परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम के प्राकट्य जन्मोत्सव के दूसरे दिन कन्या भोज और भंडारे का आयोजन किया जाता है।इस दौरान क्षेत्र के तमाम गणमान्य भी मौजूद रहे हैं।वही गिलौला बाजार में श्रीराम शोभायात्रा निकाली गई जिसमें भाजपा प्रतिनिधियों समेत तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे हैं।