Sonbhadra: लेखपालों की तरफ से राजस्व रिकॉर्ड दुरूस्त न करने का मामला फिर पहुंचा HC, अवमानना की नोटिस जारी
Sonbhadra News: लेखपालों की तरफ से राजस्व रिकॉर्ड दुरूस्त न किए जाने के कारण एक बार फिर से मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा है...;
Sonbhadra News: हाईकोर्ट के आदेश और डीएम की हिदायत के एक वर्ष बाद भी टांड के डौर उर्फ राबटर्सगंज की खसरा-खतौनी दुरूस्त नहीं की जा सकी है। इस मसले का हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद तत्कालीन डीएम की तरफ से जहां 12 लेखपालों की जिम्मेदारी तय की गई थी। वहीं उन्हें इसके लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया था कि दो माह में संबंधित खसरा-खतौनी दुरूस्त कर ली जाएगी। इस पर कोर्ट ने मामले को डिस्पोज कर दिया था, लेकिन खसरा-खतौनी दुरूस्त न होने पर अवमानना का विकल्प खुला रखा था। बावजूद लेखपालों की तरफ से राजस्व रिकॉर्ड दुरूस्त न किए जाने के कारण एक बार फिर से मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा है और वहां से डीएम सहित अन्य को अवमानना की नोटिस जारी कर एक माह के भीतर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है। ऐसा न किए जाने पर, अवमानना को लेकर कार्रवाई आगे बढ़ाने की बात कही गई है।
अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में याचिका की थी दाखिल
बताते चलें कि टांड के डौर उर्फ राबर्ट्सगंज में अपने को अमरनाथ महाल का जमींदार बताने वाले पारसनाथ अग्रहरी ने अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कहा था कि राबर्ट्सगंज के एक हिस्से में जमींदारी विनाश कानून के प्रावधान लागू नहीं है। बावजूद जिला प्रशासन 1995 से अब तक, इससे जुड़ा रिकॉर्ड मेंटेन नहीं कर रहा है। बताया गया था कि टांड के डौर उर्फ राबर्ट्सगंज के काफी क्षेत्रफल ऐसे हैं जहां पर उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम लागू नहीं है।
इस एरिया की वर्ष में तीन बार पड़ताल करते हुए नानजेडए खसरा-खतौनी तैयार करना तथा अभिलेख अद्यतन रखना लेखपाल की जिम्मेदारी है। इसके लिए डीएम को निर्देश दिए जाने की मांग की थी। इस पर हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से जानकारी मांगी जिसमें 1995 से अब तक जमींदारी से जुड़ी प्रक्रिया के तहत खतौनी का लेखन कार्य न किए जाने का मामला सामने आया। तब हाईकोर्ट ने खतौनी अपडेट क्यों नहीं की गई? इसको लेकर क्या कार्रवाई की जा रही है, इसका विवरण मांगा। इसके क्रम में तत्कालीन डीएम ने स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए कोर्ट को जानकारी दी कि उनके पूर्व के डीएम की तरफ से 25 अगस्त 2020 को ही ग्राम टांड के डौर उर्फ राबर्ट्सगंज के जमींदारी की खतौनी खसरा एवं अन्य अभिलेखों की पड़ताल एवं अद्यतन करने के लिए टीम गठित की जा चुकी है। कोरोना व्यस्तता के कारण नानजेडए के खतौनी का लेखन कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। डीएम ने दो माह के भीतर नानजेडए खतौनी का लेखन कार्य पूर्ण करा देने की बात कही थी।
1995 से अब तक नहीं किया गया है खतौनी लेखन का कार्य
वहीं 1995 के बाद से अब तक खसरा खतौनी के लेखन का कार्य क्यों नहीं किया गया? इस पर डीएम की तरफ से कोर्ट को बताया गया था इसको लेकर की गई जांच में, 1995 से अब तक कार्यरत लेखपालों की प्रथमदृष्टया शिथिलता पाई गई है। नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी गई है। 1995 से अब तक कार्यरत लेखपाल प्रमोद कुमार सिंह, विक्रमादित्य (मृतक), रामकेश (मृतक), अंबा प्रसाद शुक्ला (मृतक), अवधेश कुमार तिवारी, जगदीश दुबे, रामधनी, प्रभु नारायण मिश्र (सेवानिवृत्त), सुदीप श्रीवास्तव, विष्णु चंद्र द्विवेदी (बर्खास्त), राममूरत, रत्नेश कुमार शुक्ला को प्रथम दृष्टया खतौनी-खसरा लेखन न करने के लिए जिम्मेदार माना गया था। तत्कालीन डीएम द्वारा स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए दी गई जानकारी के आधार पर न्यायमूर्ति अजय बहनोत की बेंच ने गत 24 अगस्त 2021 को मामले को निर्णित कर दिया था।
डीएम सहित अन्य को नोटिस जारी
साथ ही पारित निर्णय में कहा गया था कि कोर्ट में किए गए कथन के मुताबिक दो माह के अंदर अभिलेख के लेखन का कार्य पूर्ण नहीं होता है तो याची के लिए अवमानना याचिका दाखिल करने का विकल्प खुला रहेगा। अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि काफी इंतजार के बाद भी रिकार्ड दुरूस्त नहीं किया गया, तब मामले को लेकर अवमानना याचिका दाखिल की गई। गत 29 अगस्त को इस मामले की करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल (Justice Rohit Ranjan Agarwal) की बेंच ने डीएम सहित अन्य को नोटिस जारी की है। पारित आदेश में कहा गया है कि अभिलेख के अवलोकन से प्रथमदृष्ट्या यह अवमानना का मामला है। इसको लेकर नोटिस जारी करते हुए, पक्षकारों को एक और अवसर दिया गया है कि एक महीने के भीतर आदेश का पालन करते हुए, उसकी अनुपालन आख्या उपलब्ध करा दी जाए। ऐसा न करने पर आरोप तय किए जा सकते हैं।