Sonbhadra: डीजल तस्करी रैकेट पर STF ने किया बड़ा खुलासा, 70 रुपये की दर से बेचते थे डीजल

Sonbhadra: डीजल तस्करी रैकेट को लेकर एसटीएफ की तरफ से बड़ा खुलासा सामने आया है। मामले में अदलहाट से शक्तिनगर के बीच डीजल की सौदेबाजी चलने का दावा किया गया है।;

Update:2022-09-04 14:35 IST

सोनभद्र में डीजल तस्करी रैकेट

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Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर पकड़े गए डीजल तस्करी रैकेट (diesel smuggling racket) को लेकर एसटीएफ की तरफ से बड़ा खुलासा सामने आया है। मामले को लेकर शक्तिनगर थाने (Shaktinagar Police Station) में जो एफआईआर दर्ज कराई गई है, उसमें जहां अदलहाट से शक्तिनगर के बीच डीजल की सौदेबाजी चलने का दावा किया गया है। वहीं चोरी के डीजल को 70 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचे जाने की बात सामने आई है। डीजल को बताए हुए पेट्रोल पंप पर पहुंचाने के एवज में प्रति टैंकर 5000 रुपये चालक को दिए जाते थे। वहीं बिक्री की मिलने वाली रकम का एक बड़ा हिस्सा, एनसीएल में डीजल आपूर्ति का रिकॉर्ड दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले एनसीएल कर्मियों पर खर्च किया जाता था।

10 कोल परियोजनाओं तक फैला हुआ है डीजल तस्करी का कारोबार

न्यूज़ट्रैक के पास जो जानकारियां सामने आई हैं, उसके मुताबिक डीजल तस्करी का यह कारोबार एनसीएल की कुछ परियोजनाओं में ही नहीं, सभी 10 कोल परियोजनाओं तक फैला हुआ है। एसटीएफ के हत्थे इस गिरोह के जो सदस्य चढ़े हैं उसमें ज्यादातर का जुड़ाव दुधीचुआ परियोजना से है। महज एक परियोजना को होने वाली आपूर्ति से मिली जानकारी के आधार पर, एसटीएफ की टीम अब तक 22 लोगों को चिन्हित कर चुकी है, जिसमें 10 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। अब आगे के लोगों को चिन्हित करने का काम जिले की पुलिस का है। एनसीएल की कुल 10 कोल परियोजनाएं हैं। इसमें से पांच यूपी से जुड़ी हुई है और पांच यूपी से सटे मध्य प्रदेश के सिंगरौली में संचालित हैं।

इन परियोजनाओं के खदान क्षेत्र में पड़ने वाले डीजल के जरूरत की पूर्ति, टोटल फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए, कराई जाती है। इसके लिए प्रत्येक तीन वर्ष पर किसी न किसी फ्यूल कंपनी को ठेका आवंटित किया जाता है। चूंकि इस ठेका आवंटन में लंबे समय से कुछ लोगों का वर्चस्व बना हुआ है। हर तीन साल पर नई टेंडर प्रक्रिया जरूर अपनाई जाती है लेकिन ले-देकर, तस्करी के पुराने सिंडिकेट का जुड़ाव टोटल फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम से बना रहता है।

ऐसे संचालित हो रहा था डीजल तस्करी का काला कारोबार

आरोपियों ने पूछताछ में एसटीएफ को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक सोनू बिहारी, अक्षय, हिमांशु, जीतू, संदीप आदि मिर्जापुर जिले के अदलहाट से सोनभद्र के शक्तिनगर के बीच, चोरी का डीजल खरीदने को लेकर सौदेबाजी करते थे। 70 रुपये प्रति लीटर की दर से सौदा तय होने के बाद, आइओसीएल डिपो मुगलसराय (IOCL Depot Mughalsarai) से डीजल लेकर आने वाला टैंकर सौदेबाजी करने वाले व्यक्ति द्वारा बताए गए पेट्रोल पंप पर पहुंच जाता था। बताए गए पंप पर टैंकर को पहुंचाने के लिए चालक को प्रति टैंकर 5000 दिए जाते हैं। डीजल बिक्री के बाद जो रुपए मिलते थे। उसे ले जाकर श्रीराम फ्यूल कंपनी की टीएफ टीम एमदुधीचुआ के मैनेजर पुष्पराज यादव को सौंपा जाता था।

पुष्पराज इसकी जानकारी फ्यूल कंपनी के मालिक पप्पू टंडन (Fuel company owner Pappu Tandon) को देने के बाद, एनसीएल में डीजल आपूर्ति का रिकॉर्ड मेंटेन करने वाले, एनसीएल कर्मियों को उनके हिस्सेदारी 34 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पहुंचा देता था। इस धनराशि को एनसीएल दुधीचुआ में, कर्मचारी प्रमोद चौहान प्राप्त करता था। इसके बाद दुधीचुआ में तैनात दूसरे कर्मचारी अरुण कुमार शर्मा विपिन कुमार गुप्ता आदि में इसका वितरण करता था। इसी तरह, एनसीएल के दूसरे परियोजनाओं में भी हिस्सेदारी पहुंचाई जाती है और वितरण किया जाता है। तस्करी के इस खेल में जहां मुर्तुजा मुख्य ट्रांसपोर्टर के रूप में सहयोग करता था। वहीं, दुधीचुआ एवं अन्य परियोजनाओं में तैनात टोटल फ्यूल मैनेजमेंट टीम के सदस्य मनीष सिंह राजू यादव, अनूपराज यादव, मुलायम यादव, राकेश यादव, मोहम्मद हसन, राजेश कुमार,राजेश कुमार यादव उर्फ भीमा आदि इसमें सहयोग करते हैं।

10 की हो चुकी है गिरफ्तारी

इस मामले में जहां अब तक 22 को चिन्हित किया जाता है। वहीं 10 की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं एसपी के तरफ से मामले की गहन विवेचना और अन्य कौन-कौन शामिल हैं, इसको चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस का कहना है कि विवेचना जारी है। जो लोग भी चिन्हित होते जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ती जाएगी।

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