Sonbhadra Exclusive News: चिंता में डालने वाले हैं सोनभद्र-सिंगरौली के हालात, कहीं मरकरी-कहीं नाइट्रेट की मिली अधिकता, CEPI स्कोर में भी क्रिटिकल
Sonbhadra news: सीपीसीबी की तरफ से तैयार कराए गए सीआईपीआई के हालिया स्कोर में भी सोनभद्र, सिंगरौली दोनों जिलों के हालात खासे क्रिटिकल पाए गए हैं। स्थिति को देखते हुए हालात नियंत्रण के लिए कई तात्कालिक उपायों पर जोर दिया गया है।
Sonbhadra Exclusive News: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से एनजीटी में दाखिल की गई ताजा रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। एनजीटी के निर्देश पर सोनभद्र में जांची गई प्रदूषण की स्थिति पर जहां कई जगह मरकरी और नाइट्रेट की अधिकता पाई गई है।
वहीं, सीपीसीबी की तरफ से तैयार कराए गए सीआईपीआई के हालिया स्कोर में भी सोनभद्र, सिंगरौली दोनों जिलों के हालात खासे क्रिटिकल पाए गए हैं। स्थिति को देखते हुए हालात नियंत्रण के लिए कई तात्कालिक उपायों पर जोर दिया गया है। अब इसको लेकर एनजीटी की तरफ से आने वाले फैसले पर निगाहें टिकी हुई हैं।
मानक से 14 गुना मरकरी तो चार गुना नाइट्रेट की मिली अधिकता
वर्ष 2012 में पहली बार सोनभद्र के भूजल और रिहंद जलाशय में मरकरी की चिंताजनक मौजूदगी सामने आई थी। अभी इसको नियंत्रित करने और इसका प्रभाव रोकने को लेकर कोई महत्वपूर्ण पहल सामने आती, उससे पहले चोपन-ओबरा जैसी जगहों पर मानक 0.001 पीपीएम से 14 गुना तक मिली मरकरी की अधिकता ने हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है।
सीपीसीबी की रिपोर्ट बताती है कि चोपन रेलवे पुल के पास से उठाए गए नमूने में मरकरी की मात्रा 0.008 पीपीएम है। वहीं, ओबरा कस्बे में 0.005, अनपरा नगर पंचायत क्षेत्र से उठाए गए दो नमूनों में क्रमशः 0.007, 0.0014, ककरी परियोजना के पास 0.007, कृष्णशीला-बीना खदान क्षेत्र में 0.0011 और एनटीपीसी रिहंद मार्केट में 0.009 पीपीएम मरकरी की मात्रा पाई गई है।
इसी तरह, प्रति लीटर अधिकतम 45 मिलीग्राम तक रहने वाली नाइट्रेट की मात्रा एनटीपीसी रिहंद मार्केट में 183 और कृष्णशीला-बीना खदान क्षेत्र में 70.6 दर्ज की गई है।
इन सुझावों-निर्देशों पर अमल की जताई गई है जरूरत
भूजल विभाग क्षेत्र के भूजल की गुणवत्ता की व्यापक और नियमित निगरानी करते हुए निर्धारित मानक से अधिक मौजूदगी वाले तत्वों (लौह, फ्लोराइड, नाइट्रेट और पारा) की उपस्थिति के कारणों की जांच करे।
- जहां पानी की गुणवत्ता पीने योग्य नहीं है, वहां शुद्ध पेयजल उपचार संयंत्रों के माध्यम से या अन्य स्रोतों से आपूर्ति कराया जाए।
- उद्योगों के माध्यम से हवा में प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन रोकने के लिए यूपीपीसीबी समय-समय पर जांच करे और निर्धारित उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित कराए। ।
- कोयले और राख के परिवहन से होने वाले धूल प्रदूषण को कम करने के लिए, संबंधित उद्योग यह सुनिश्चित करें कि उनके ठेकेदार, ट्रांसपोर्टरों के जरिए परिवहन पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित तरीके से कराएं। परिवहन महकमे के अधिकारी भी इसकी तत्परता से निगरानी करें।
- रिहांद जलाशय में मिलने वाले बलिया नाले को बंद करके उसमें से निकलने वाले गंदे पानी को निकाला जाए और बंद किए गए गंदे पानी को समुचित तरीके से उपचारित किया जाए।
- स्वास्थ्य विभाग वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों और पेयजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट तथा आयरन की अधिकता से होने वाली बीमारियों के उपचार-रोकथाम की प्रभावी पहल सुनिश्चित करे।
-अनपरा की तरह अन्य क्षेत्रों के लिए राष्ट्र स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) जैसी योजनाएं क्रियान्वित कराई जाए। यूपीपीसीबी इसके लिए किसी प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान से अध्ययन कराते हुए वायु प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं की तैयारी कराए।
- यूपीपीसीबी को चिन्हित बिदंओं पर वायु प्रदूषण को कम करने के साथ ही अतिरिक्त कार्य बिंदुओं की पहचान करते हुए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा गया है ताकि ताकि सीईपीआई स्कोर को कम किया जा सके।
- साथ ही यूपीपीसीबी को आरटीओ, खनन विभाग आदि के साथ भी बैठकें कर, प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।