Sonbhadra: आसान नहीं होगा दुद्धी विस का रण, कनहर का विस्थापन सपा-BJP का लेगा इम्तिहान
Sonbhadra News: दुद्धी तहसील क्षेत्र के आदिवासी बहुल दो दर्जन से अधिक गांवों में जिस तरह से यह मसला लोगों की जुबां पर सुलग रहा है, उससे यह तो जाहिर है कि इस बार कनहर विस्थापन का मसला खासा सियासी गर्माहट बटोरने वाला है।
Sonbhadra News: दुद्धी विधानसभा का रण इस बार आसान नहीं रहने वाला है। कनहर विस्थापन की प्रक्रिया में महिला वारिसों को विस्थापन लाभ न देने का मसला जहां भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ है। वहीं, सपा के लिए भी यह मसला इस बार बड़ा सियासी इम्तिहान साबित होने लगा है। चुनाव किस करवट बैठेगा? यह तो मतगणना का परिणाम बताएगा लेकिन दुद्धी तहसील क्षेत्र के आदिवासी बहुल दो दर्जन से अधिक गांवों में जिस तरह से यह मसला लोगों की जुबां पर सुलग रहा है, उससे यह तो जाहिर है कि इस बार कनहर विस्थापन का मसला खासा सियासी गर्माहट बटोरने वाला है।
यह है मसला जिसको लेकर फंसा हुआ हैं पेंच
वर्ष 2014 में सपा राज में कनहर के विस्थापितों के लिए उनके मकान को लेकर विस्थापन पालिसी तैयार की गई है लेकिन महिला वारिसों यानी जिनको सिर्फ बेटियां हैं, उन बेटियों को विस्थापन का हक नहीं दिया जाएगा। विस्थापन का लाभ दिए जाने के शुरूआती दौर में तो यह मसला समझ में नहीं आया लेकिन जब पिछले वर्ष कनहर डैम में पानी भरने के साथ ही विस्थापन की जद में आए गांवों को खाली कराने का क्रम शुरू हुआ तो पता चला कि सिर्फ बेटियों को ही वारिसाना हक से वंचित नहीं किया गया है बल्कि ऐसी महिलाएं भी विस्थापन लाभ से वंचित रह गए हैं, जिनके पति की मृत्यु हो गई है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के बिल्कुट उलट प्रावधान को लेकर जहां अब तक प्रभावित विस्थापित परिवारों को कोई राहत नहीं मिल पाई हैं, वहीं डूब क्षेत्र में आने के कारण बगैर विस्थापन लाभ के ही, महिला वारिस वाले परिवारों को अपना घर-बार, संपत्ति छोड़कर दरबदर होना पड़ा है।
3500 से अधिक परिवारों को विस्थापन लाभ से वंचित होने का दावा
गांवों को खाली कराने के दौरान जब मौके की हकीकत जांची गई तो पता चला कि डूब क्षेत्र में होने के बावजूद विस्थापन लाभ से वंचित परिवारों की विस्थापितों की तरफ से एक सूची भी बनाई गई है। विस्थापित नेताओं का दावा है कि 3500 से अधिक परिवार, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक पात्र होने के बावजूद विस्थापन लाभ से वंचित रह गए हैं।
भाजपा से भी कोई राहत न मिल पाने का है लोगों का मलाल
विस्थापितों के बीच इस बात का मलाल है कि सपा राज में भले ही गलत प्रावधान बना दिए गए लेकिन भाजपा राज में भी इससे राहत देने या इससे सुधारने को लेकर कोई पहल नहीं की गई बल्कि कई परिवारों को बगैर विस्थापन लाभ के ही पुश्तैनी घर-मकान से दरबदर होने के लिए विवश कर दिया गया। यह मसला दुद्धी विधानसभा के उपचुनाव में क्या रंग दिखाएगा? यह तो चुनाव परिणाम बताएगा लेकिन जिस तरह से बिछ रही सियासत की बाजी के बीच कनहर विस्थापन की मुद्दे की भी चर्चा सुनाई देने लगी है, उससे यह तो साफ है कि यह मसला सपा और भाजपा दोनों का इम्तिहान लेने वाला है।