इलाहाबाद: ऑफलाइन इंट्रेंस एग्जाम की मांग को लेकर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों और विश्व विद्यालय प्रशासन आमने-सामने है। यूनिवर्सिटी में इस मांग को लेकर महासंग्राम चल रहा है। यूनिवर्सिटी में चल रहे इस बवाल के खत्म होने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन छात्रों का ये प्रदर्शन अब पूरी तरह राजनीतिक हो चला है। संसद में लाठीचार्ज का मामला गरमाया और उसके बाद 6 सांसदों ने इस मामले में अपना समर्थन देकर छात्रसंघ की राजनीति को हवा दे दी ।
क्या है पूरा मामला
-इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पहली बार ऑनलाइन एंट्रेस एग्जाम की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई।
-यूनिवर्सिटी के इस फैसले पर छात्रों का कहना है कि वहां के ज्यादातर स्टूडेंट्स रूरल एरिया से आते हैं।
-रूरल एरिया से आने वाले ज्यादातर छात्रों को कंप्यूटर चलाना नहीं आता है।
-ऐसे में वे यूनिवर्सिटी की प्रवेश प्रक्रिया कैसे पूरी कर पाएंगे।
-इस फैसले से नाराज एक तिहाई से भी ज्यादा छात्रों ने कपड़े उतार दिए।
-अपने बदन पर अलग अलग रंगों से स्लोगन लिख ये छात्र वीसी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
वीसी को बताया गया तानाशाह
-यूनिवर्सिटी परिसर में कुछ छात्र उस समय गुस्से में आ गए।
-जब वह अपनी मांगों को लेकर वाइस चांसलर से मिलना चाहते थे।
-लेकिन पुलिस ने आगे बढ़ने नहीं दिया।
-इस पर छात्र बदले में हंगामा करते हुए धरने पर बैठ गए और बाद में गिरफ्तारी भी हुई।
-छात्रसंघ की अध्यक्ष ऋचा सिंह तो कहती हैं कि वीसी के रवैया तानाशाह जैसा है।
-इसी रवैये की वजह से यूनिवर्सिटी का माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है।
ट्रेन को रोक जताया विरोध
-छात्रों के समर्थन में उतरे दूसरे कालेज के छात्रों ने भी इस मामले में अपना समर्थन दिया।
-उन्होंने सड़क पर उतर कर जाम लगाया।
-कुछ दूसरे छात्रों ने तो ट्रैक पर उतर कर अपना गुस्सा निकाला।
-लोकमान्य तिलक ट्रेन ही रोक ली।
भैंस को बनाया वीसी का प्रतीक
-सड़क पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने एक भैंस को पकड़ कर उसे कुलपति के प्रतीक के रूप में खड़ा कर दिया।
-उस भैंस के सामने बीन बजाने लगे।
-प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जिस तरह बीन बजाने के बावजूद भैंस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
-उसी तरह इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी भी छात्रों के आंदोलन और उनकी आवाज को अनसुना करते हुए अपनी मनमानी कर रहे हैं।
-छात्र पिछले कई दिनों से कैम्पस में तालाबंदी कर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं।
-अब वो एक कदम आगे बढ़ाकर आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं।
-जबकि वीसी इस मुद्दे पर छात्रों से बातचीत करने को कतई राजी नहीं हैं।
-ऐसे में जब अपना हित साधने में तमाम राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हो गई हैं।
-तो सवाल ये उठता है की आखिर पूरब के ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई का माहौल कब शुरू हो पाएगा।
-फिलहाल कैम्पस में छात्रों से ज्यादा पुलिस के बूटों की आवाज ज्यादा सुनाई पड़ रही है।