Research: कोरोना वायरस बना देता है डायबिटीज का मरीज

वायरस पैंक्रियास में इन्सुलिन पैदा करने वाले सेल्स को मार देता है

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-05-29 12:13 IST

कोरोना वायरस से डायबिटीज का खतरा    pic(social media)

Coronavirus: कोरोना वायरस पर दुनिया भर में रिसर्च चल रही हैं और हैरान करने वाली नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। अब एक नई स्टडी में पता चला है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में डायबिटीज होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।



वैज्ञानिकों को ये तो पहले से पता था कि कोरोना वायरस और डायबिटीज में गहरा नाता है और डायबिटीज से पीड़ित लोगों में कोरोना संक्रमण होने और गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका ज्यादा होती है। लेकिन अब पता चला है कि कोरोना वायरस स्वस्थ लोगों में डायबिटीज पैदा भी कर देता है। ये वायरस शरीर में घुसने के बाद पैंक्रियास में इन्सुलिन पैदा करने वाले सेल्स को मार देता है। और इंसुलिन का प्रोडक्शन बाधित कर देता है।

कोरोना और डायबिटीज पर पहली स्टडी मई 2020 में की गई थी जिसमें पता चला था कि डायबिटीज से पीड़ित कोरोना के मरीजों में दस फीसदी की मौत अस्पताल में भर्ती होने के सात दिन के भीतर हो जाती है। इन मरीजों की मौत की वजह मुख्यतः सेप्सिस होती है जिसमें मरीज की इम्यूनिटी अपने ही शरीर के खिलाफ काम करने लगती है।




स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर जैक्सन यह जानना चाहते थे कि डायबिटीज के जो मरीज कोरोना संक्रमण से ठीक हो जाते हैं उनके साथ आगे चल कर क्या होता है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए जैक्सन और उनकी टीम कोरोना संक्रमण से जुड़ी चीजों पर शोध कर रही है। इसी क्रम में शोधकर्ताओं ने पैंक्रियास की कोशिकाओं की पड़ताल की। मरीजों के सैंपल की जांच से पता चला कि कोरोना वायरस पैंक्रियास के सिर्फ बीटा सेल्स में मौजूद था। बाकी सेल्स को उसने छोड़ रखा था। मतलब ये की जब कोरोना वायरस पैंक्रियास में घुसा तब उसने सभी सेल्स पर बराबरी की तेजी से हमला नहीं किया बल्कि वायरस ने बीटा सेल्स पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। ये सेल्स इंसुलिन बनाते हैं। वायरस ने इन सेल्स को चुन चुन कर संक्रमित किया, उनको मार दिया और इंसुलिन पैदा होने के प्रोसेस को दबा दिया।

रिसर्च में ये भी पता चला कि जो लोग डायबिटिक नहीं हैं उनके पैंक्रियास को भी कोरोना वायरस डैमेज कर सकता है। शोधकर्ताओं ने ये चेतावनी दी है कि शोध के नतीजे प्रारंभिक हैं। अभी किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। वायरस के प्रभावों को समझने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है।

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