सिर्फ दिखाने को चलाई जा रही हैं चीनी मिलें, किसानों को गन्ना पर्ची का वितरण नहीं
महेश कुमार
सहारनपुर। राज्य की चीनी मिलों ने सरकार के दबाव में पेराई सत्र का शुभारंभ तो कर दिया, लेकिन चीनी मिलों द्वारा अपनी दैनिक पेराई क्षमता के अनुसार न तो गन्ना क्रय किया जा रहा है और न ही पेराई की जा रही है। किसानों को गन्ना आपूर्ति किए जाने की पर्ची भी अभी पूरी तरह से वितरित होना शुरू नहीं हो सकी है। लिहाजा किसानों का गन्ना खेत में है। किसान गुड़ चर्खियों पर अपना गन्ना बेचकर काम चला रहे हैं।
सहारनपुर मंडल में कुल 17 चीनी मिलें हैं। इन चीनी मिलों में केवल नाम को ही पेराई सत्र की शुरुआत की गई। सबसे पहले बात करते हैं देवबंद की त्रिवेणी चीनी मिल की। यह चीनी मिल त्रिवेणी ग्रुप की है और इस ग्रुप का नाम बड़े चीनी मिल घरानों में आता है। इस चीनी मिल की प्रतिदिन की पेराई क्षमता इतनी है कि यदि पूरी पेराई क्षमता पर मिल का संचालन किया जाए तो एक माह में पूरे देवबंद क्षेत्र के गन्ने की पेराई की जा सकती है। इसी ग्रुप की चीनी मिल मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली में भी है। खतौली चीनी मिल की पेराई क्षमता भी ठीकठाक है, लेकिन इसे भी पूरी पेराई क्षमता पर नहीं चलाया जाता है। सहारनपुर मंडल की चीनी मिलों में पेराई सत्र का शुभारंभ हुए एक माह से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन किसी भी चीनी मिल ने अब तक इतनी गन्ना पेराई नहीं की जिससे कहा जा सके कि चीनी मिल किसानों की हितैषी है।
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पूरी क्षमता से पेराई न करने का कारण
चीनी मिलों द्वारा कभी भी पूरी क्षमता पर अपनी चीनी मिलों का संचालन नहीं किया जाता है। क्योंकि अगर मिल को पूरी क्षमता के साथ चला दिया तो करीब एक माह में ही तमाम गन्ने की पेराई पूरी हो जाएगी और जब एक माह में गन्ने की पेराई हो जाएगी तो किसानों को गन्ना भुगतान भी करना पड़ेगा, लेकिन चीनी मिल ऐसा नहीं करती है। चीनी मिल का लाइसेंस लेते वक्त चीनी मिल की पेराई क्षमता बताई जाती है। पेराई क्षमता के अनुसार ही लाइसेंस प्रदान किया जाता है। वैसे पिछले काफी सालों से कोई नई चीनी मिल की स्थापना नहीं हुई है। सरकार बंद पड़ी चीनी मिलों को शुरू कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है। सहारनपुर जनपद की दो चीनी मिल बेहट और बिड़वी करीब तीन सालों से बंद पड़ी हैं। इन चीनी मिलों को पुन: शुरू कराने के लिए क्षेत्र के किसान हर साल आंदोलन करते हैं, लेकिन अब तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल सका है। बेहट की चीनी मिल को शुरू कराने के लिए किसान करीब पंद्रह दिन से रोजाना धरना दे रहे हैं, लेकिन आज तक किसी अधिकारी ने इन किसानों के बीच जाकर उनकी बात सुनना गंवारा नहीं समझा।
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किसानों को गन्ना पर्ची का वितरण नहीं
पेराई सत्र शुरू होने पर भी किसानों को गन्ना पर्ची का वितरण सही तरह से नहीं हो पा रहा है। इस कारण किसान अपना गन्ना चीनी मिल तक लेकर नहीं पहुंच पा रहे हैं। किसान गन्ने को गुड़ चर्खियों पर सप्लाई कर रहे हैं। इससे किसानों को दो तरह के फायदे हैं। पहला खेत खाली हो गया जिससे वह दूसरी फसल बो सके। दूसरा यह कि चर्खियों पर गन्ना सप्लाई करने से उन्हें नकद भुगतान मिलता है, जबकि चीनी मिल में गन्ना सप्लाई करने के बाद यह गारंटी नहीं कि उन्हें कब गन्ना भुगतान होगा।
किसान अरुण राणा बताते हैं कि चीनी मिल नहीं चाहती कि किसानों का भला हो। वह पेराई करने में जितना ज्यादा समय लेंगी, उतना उन्हें फायदा होगा। अब गन्ना भुगतान की बात करें तो पिछले साल का गन्ना बकाया अभी तक नहीं किया जा सका है। किसानों को बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिए चीनी मिलें सरकार से लोन ले रही हैं। अब कब चीनी मिलों को लोन मिलेगा और कब किसानों का भुगतान होगा। इसका कोई समय निर्धारित नहीं है।
चीनी मिल पेराई क्षमता-पेराई किया गया गन्ना
सहारनपुर जनपद
देवबंद 140000 12.59
गांगनौली 90000 7.89
शेरमऊ 70000 5.05
गागलहेडी 50000 000
नानौता 50000 6.97
सरसावा 27500 5.44
मुजफ्फरनगर जनपद
खतौली 160000 17.37
तितावी 105000 3.39
बुढ़ाना 90000 20.14
मंसूरपुर 80000 10.59
टिकौला 78000 7.74
खाईखेड़ी 45000 3.70
रोहाना 22000 0.85
मोरना 25000 5.92
शामली जनपद
थानाभवन 90000 19.20
शामली 70000 7.63
ऊन 60000 4.53
टोटल 1252500 138.94
(नोट— पेराई लाख कुंतल में)
क्षमता से न चलाए जाने के कारण लंबा खिंच रहा है सीजन
निर्धारित क्षमता के अनुसार गन्ने की मांग करने वाली कई चीनी मिलें अपनी पूरी क्षमता से गन्ने की पेराई नहीं कर रही हैं। ऐसा न करने के कारण सीजन लंबा खिंचता है और किसान गन्ने को लेकर परेशान रहता है। प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने ऐसी चीनी मिलों को पत्र भेजकर चीनी मिलों को उनकी क्षमता के अनुसार गन्ना पेराई करने के निर्देश दिये हैं।
चीनी मिलों की पेराई क्षमता और उनके द्वारा पेरे जा रहे गन्ने का प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डïी ने संज्ञान लिया है। उन्होंने ऐसी 16 चीनी मिलों की सूची उप गन्ना आयुक्तों को भी भेजी है। यदि चीनी मिलें निर्धारित क्षमता से चलें तो वह अपने क्षेत्र का गन्ना जल्द से जल्द पेर सकेंगी। इससे किसान भी समय से गेहूं आदि की बुवाई कर सकेगा। गन्ना आयुक्त ने जिन 16 चीनी मिलों की सूची जारी की हैं, उनमें से सहारनपुर मंडल की चार चीनी मिलें शामिल हैं, जो अपनी प्रतिदिन की पेराई क्षमता के अनुसार न चलकर प्रतिदिन 40 से 60 प्रतिशत ही गन्ने की पेराई कर रही हैं।
उप गन्ना आयुक्त डा. दिनेश्वर मिश्र ने बताया कि शेरमऊ चीनी मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 70 हजार कुंतल की है परंतु मिल 40 प्रतिशत ही पेराई कर रही है। देवबंद चीनी मिल की क्षमता प्रतिदिन 1.40 लाख कुंतल पेराई करने की है, मगर इसके द्वारा क्षमता का 60 प्रतिशत ही गन्ना पेराई की जा रही है। इसी प्रकार बजाज शुगर मिल गांगनौली की प्रतिदिन की पेराई क्षमता 90 हजार कुंतल की है। इसके द्वारा भी 60 प्रतिशत ही पेराई की जा रही है। जनपद मुजफ्फरनगर कीखाईखेेड़ी चीनी मिल 55.56 फीसदी ही पेराई कर रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
उप गन्ना आयुक्त डा.दिनेश्वर मिश्र का कहना है कि यदि चीनी मिलें क्षमता से चलेंगी तो खेतों से जल्दी गन्ना समाप्त होगा और किसान को सुविधा होगी। क्षमता को दबाए रखने से सीजन लंबा खिंचेगा। इसलिए सभी को निर्देशित किया गया है कि अपनी पेराई क्षमता के अनुसार ही पेराई करना सुनिश्चित करें।
पिछले साल का भी भुगतान नहीं कर सकी चीनी मिलें
चीनी मिलों ने अपने यहां भले ही सरकार के कहने पर पेराई सत्र प्रारंभ कर दिया हो, लेकिन इन मिलों ने अभी तक पुराना गन्ना भुगतान ही नहीं किया है। चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य के साथ ब्याज भी बकाया है। इस भुगतान में कोई भी चीनी मिल दिलचस्पी लेती नहीं दिख रही है।
चीनी मिलों पर बकाये की स्थिति
देवबंद -7512.77
गांगनौली -9954.27
शेरमऊ -5283.34
गागलहेडी -2119.07
नानौता -2582.83
खतौली -12141.30
तितावी -6120.94
बुढ़ाना -12423.63
मंसूरपुर -8826.63
टिकौला -1181.19
खाईखेड़ी- 4547.66
रोहाना -699.08
मोरना -644.09
थानाभवन -7579.15
शामली -15199.12
ऊन -11199.58
कुल बकाया -109459.42 लाख रुपये