UP Assembly Elections 2022 : BJP पूरी तरह चुनावी मोड में, धर्मेंद्र प्रधान को इसलिए सौंपी चुनाव प्रभारी की कमान
UP Assembly Elections 2022 : यूपी समेत 5 राज्यों में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी हैं।
UP Assembly Elections 2022 : उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए भाजपा (BJP) ने तैयारियां काफी तेज कर दी हैं। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की तैयारियों को लेकर फिलहाल भाजपा सबसे आगे चल रही है। पार्टी ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश चुनाव प्रभारी तक के स्तर का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। पार्टी का विशेष फोकस उत्तर प्रदेश पर है क्योंकि पार्टी नेतृत्व इस तथ्य से बखूबी वाकिफ है कि दिल्ली की सत्ता पर पकड़ मजबूत बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश की सियासी जंग को जीतना कितना जरूरी है। पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। इसी कड़ी में तेजतर्रार केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) को उत्तर प्रदेश (UttarPradesh) का प्रभारी बनाया गया है। धर्मेंद्र प्रधान के साथ सात सह प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं।
धर्मेंद्र प्रधान को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला काफी सोच समझ कर लिया गया है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) दोनों का भरोसेमंद माना जाता है। प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना के पीछे भी धर्मेंद्र प्रधान का ही दिमाग माना जाता है। पीएम मोदी भी इस योजना का काफी बढ़ चढ़कर उल्लेख किया करते हैं। नंदीग्राम के चुनावी संग्राम में भी धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी के खिलाफ शुभेंदु अधिकारी की जीत में प्रधान के चुनावी प्रबंधन की भी बड़ी भूमिका मानी जाती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बिहार का प्रभारी बनाया गया था।इस चुनाव में भाजपा को बिहार में बड़ी सफलता हासिल हुई थी। यही कारण है कि पीएम मोदी, शाह और नड्डा ने अपने सबसे भरोसेमंद योद्धा को उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग का सेनापति बनाया है।
सात सह प्रभारी करेंगे प्रधान की मदद
धर्मेंद्र प्रधान को उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाने के साथ ही सात सह प्रभारियों की नियुक्ति भी की गई है। उत्तर प्रदेश के बड़ा राज्य होने और अगले चुनाव में कड़ी सियासी जंग को देखते हुए ये सातों सह प्रभारी चुनावी मोर्चे पर धर्मेंद्र प्रधान की मदद करेंगे। सह प्रभारी के रूप में अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, सरोज पांडे, शोभा करंदलाजे, विवेक ठाकुर, कैप्टन अभिमन्यु और अन्नपूर्णा देवी को टीम में शामिल किया गया है।
उत्तर प्रदेश की सियासी जंग में महिलाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। इसी कारण सह प्रभारी के रूप में टीम में तीन महिलाओं को जगह दी गई है। सह प्रभारी के रूप में पार्टी के तेजतर्रार ऐसे चेहरों को टीम में जगह दी गई है जो पार्टी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
इसके अलावा संगठनात्मक दृष्टि से बंटे छह क्षेत्रों-पश्चिमी,बृज,अवध, कानपुर, गोरखपुर तथा काशी क्षेत्र के प्रभारियों के नाम भी तय कर दिए है। इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी लोकसभा सदस्य संजय भाटिया, बृज क्षेत्र की जिम्मेदारी विधायक संजय चौरसिया अवध क्षेत्र की जिम्मेदारी राष्ट्रीय मंत्री वाय सत्याकुमार को दी गयी है। इसके अलावा कानपुर क्षेत्र में राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष सुधीर गुप्ता, गोरखपुर में राष्ट्रीय मंत्री अरिवन्द मेनन तथा काशी क्षेत्र की जिम्मेदारी सह प्रभारी उत्तर प्रदेश सुनील ओझा को दी गयी है।
पीएम मोदी ने इसलिए सौंपा शिक्षा मंत्रालय
हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल के दौरान प्रधान को प्रोन्नत कर के कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इसके पहले उनके पास पेट्रोलियम मंत्रालय का राज्य मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार था। कोरोना महामारी के दौर में शिक्षा मंत्रालय की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। लंबे समय तक स्कूलों के बंद होने, परीक्षाओं पर संकट और छात्रों के भविष्य को देखते हुए आने वाले दिनों में मंत्रालय को अहम फैसले करने हैं। जानकारों का कहना है कि इसी कारण पीएम मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद साथियों में एक धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्रालय की कमान सौंपने का फैसला किया।
उज्जवला योजना के पीछे भी प्रधान का दिमाग
उड़ीसा की तलचेर सिटी के रहने वाले धर्मेंद्र प्रधान ने उत्कल यूनिवर्सिटी से मानव शास्त्र में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधान को पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) का कार्यभार सौंपा था। वे इस मंत्रालय में सबसे लंबे समय तक काम करने वाले मंत्री रहे हैं। प्रधान का निकनेम मुकु है। उनके करीबी साथी और विद्यार्थी परिषद में उनके साथ काम करने वाले अन्य नेता उन्हें इसी नाम से बुलाया करते हैं। प्रधान को उज्जवला मैन भी माना जाता है क्योंकि प्रधानमंत्री की उज्ज्वला योजना लांच करने के पीछे उनका ही दिमाग माना जाता है। इस योजना के तहत अभी तक करीब 80 लाख बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन मुहैया कराया जा चुका है।
पत्नी भी विद्यार्थी परिषद में थीं सक्रिय
धर्मेंद्र प्रधान की पत्नी मृदुला भी लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रही हैं। बाद में उन्होंने धर्मेंद्र प्रधान से शादी कर ली। उसके बाद उनकी सियासी गतिविधियां काफी हद तक थम गईं। पिछले साल कोविड महामारी फैलने के बाद धर्मेंद्र प्रधान की ओर से ट्वीट की गई एक फोटो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई थी।
इस फोटो में प्रधान की पत्नी मृदुला और बेटी निमिषा सिलाई मशीन पर लोगों के लिए मास्क बनाते हुए दिख रही थीं। इस फोटो को सोशल मीडिया पर काफी लाइक मिले थे। प्रधान की बेटी निमिषा ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पोस्टग्रेजुएशन किया है। प्रधान की बेटी एक प्रशिक्षित क्लासिक डांसर भी हैं। निमिषा के अलावा प्रधान का एक बेटा भी है जिसका नाम निशांत है।
पुरी की रथयात्रा में हिस्सा लेना नहीं भूलते
धार्मिक कार्यों के प्रति प्रधान काफी आस्थावान रहे है।.वे देश में कहीं भी रहे हैं मगर पुरी में निकाले जाने वाली रथयात्रा को उन्होंने कभी मिस नहीं किया। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा है। यही कारण है कि वे हर साल इस रथयात्रा में हिस्सा लेने के लिए पुरी जरूर पहुंचते हैं।
धर्मेंद्र प्रधान का काम करने का बिल्कुल अलग ही तरीका रहा है। उनके करीबी मित्रों का कहना है कि वे हमेशा अपनी जेब में तीन रंगों की कलम लेकर चला करते हैं। जो लाल, नीले और काले रंग वाली होती है। किसी भी डॉक्यूमेंट को देखने के बाद वे उसके अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग रंगों से मार्क करते हैं। बाद में उसको अपने तरीके से एनालाइज करके किसी नतीजे पर पहुंचते हैं।
नंदीग्राम की जीत में निभाई थी बड़ी भूमिका
पश्चिम बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट नंदीग्राम में धर्मेंद्र प्रधान ने बड़ी भूमिका निभाई थी। नंदीग्राम में उनकी रैली के दौरान हमला भी हुआ था जिसमें एक भाजपा कार्यकर्ता का सिर फूट गया था। बाद में प्रधान ने इस हमले के लिए टीएमसी को दोषी बताया था।
नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के लिए प्रधान ने कई दिनों तक डेरा डाल रखा था। चुनाव से पहले ही उन्होंने शुभेंदु अधिकारी की जीत का दावा किया था। नंदीग्राम के चुनावी नतीजे ने सियासी पंडितों को भी चौंका दिया था क्योंकि इस चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी को करीब 1900 वोटों से पराजित कर दिया था।
सियासी परिवार से है प्रधान का ताल्लुक
2004 में राष्ट्रीय राजनीति में उतरने वाले धर्मेंद्र प्रधान का ताल्लुक सियासी परिवार से रहा है। उनके पिता देवेंद्र प्रधान भी भाजपा की सियासत में काफी सक्रिय रहे थे। उन्हें बाजपेयी सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। बाद में उन्होंने अपने बेटे के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। प्रधान ने अपनी राजनीतिक पारी विद्यार्थी परिषद से शुरू की थी। वह अपने कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे। 1998 में लालकृष्ण आडवाणी ने इन्हें भाजपा में शामिल कर संगठनात्मक ज़िम्मेदारी दी। प्रधान पहली बार 2000 में विधान सभा चुनाव लड़कर जीते। वह संसद के दोनों सदनों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय राजनीति में कामयाबी की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं।
अपनी ऊर्जा और काम करने के तौर-तरीके के कारण ही उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भरोसा हासिल करने में कामयाबी मिली है। इसी कारण अब उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के चुनाव प्रभारी की कमान सौंपी गई है। माना जा रहा है कि धर्मेंद्र प्रधान जल्द ही उत्तर प्रदेश की सियासत में सक्रिय होंगे। उनकी सक्रियता के बाद भाजपा के चुनावी अभियान को और तेजी मिलेगी।