उपचुनाव के नतीजों से यूपी में विपक्ष को संजीवनी, सपा के बिछड़े साथी साथ आने को तैयार, 2024 में भाजपा के लिए बढ़ी चुनौती

Lok Sabha elections 2024: मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ खतौली विधानसभा सीट पर मिली जीत के बाद सपा गठबंधन के बिछड़े साथी भी अब साथ आने को तैयार दिख रहे हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-12-15 19:08 IST

यूपी उपचुनाव के नतीजों से यूपी में विपक्ष को संजीवनी। (Social Media)

Lok Sabha elections 2024: उत्तर प्रदेश में हाल में हुए उपचुनाव के नतीजों से सपा गठबंधन को नई ताकत मिली है। मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ खतौली विधानसभा सीट पर मिली जीत के बाद सपा गठबंधन के बिछड़े साथी भी अब साथ आने को तैयार दिख रहे हैं। मैनपुरी लोकसभा चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच दिखी एकजुटता का भी असर दिखने लगा है। आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव पर तंज कसने वाले सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर के तेवर भी बदलते दिख रहे है। महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने भी अखिलेश यादव के साथ आने का इशारा किया है।

चंद्रशेखर आजाद पहले से ही सपा गठबंधन में आ चुके हैं और खतौली के उपचुनाव में मिली जीत में उनकी भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। ऐसे में 2024 की सियासी जंग के लिए उत्तर प्रदेश में एक बार फिर विपक्ष का मजबूत गठजोड़ उभरता दिख रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस गठजोड़ के कारण 2024 की सियासी जंग के दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा की सियासी राह आसान नहीं होगी और उसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

उपचुनाव के नतीजों से बदला माहौल

उत्तर प्रदेश में तीन सीटों पर हाल में हुए उपचुनाव के बाद सियासी माहौल बदला हुआ नजर आ रहा है। भाजपा को सिर्फ रामपुर विधानसभा सीट पर कामयाबी मिली है जबकि दो सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के लिए संतोष की बात सिर्फ इतनी है कि वह रामपुर में सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान का किला ध्वस्त करने में कामयाब रही है। दूसरी ओर मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। मैनपुरी सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने मुलायम सिंह यादव से भी बड़ी जीत हासिल की है।

मैनपुरी चुनाव के बहाने मुलायम का पूरा कुनबा भी एकजुट हो गया है और डिंपल की इस बड़ी जीत में शिवपाल सिंह यादव की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। खतौली विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विक्रम सिंह सैनी को जीत हासिल हुई थी मगर उपचुनाव में उनकी पत्नी राजकुमार सैनी को रालोद प्रत्याशी मदन भैया के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा है। अब उपचुनाव के नतीजों का बड़ा सियासी असर पड़ता दिख रहा है।

अखिलेश का साथ देने को महान दल तैयार

महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य एक बार फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का साथ देने को तैयार दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनौती देने में सिर्फ अखिलेश यादव ही सक्षम हैं और इसलिए वे फिर अखिलेश यादव का साथ देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अकेले दम पर चुनाव लड़कर महान दल उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा सियासी उलटफेर नहीं कर सकता मगर सपा या बसपा के साथ मिलकर हम प्रदेश में बड़ा बदलाव लाने में सक्षम है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सियासी रणभूमि में बसपा काफी पिछड़ गई है। भाजपा को मजबूती से चुनौती देने की स्थिति में सिर्फ सपा ही दिख रही है। ऐसे में प्रदेश के सियासी अखाड़े में भाजपा से लड़ने के लिए हम सपा का साथ देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह के निधन के बाद प्रदेश की सियासी स्थिति को लेकर उनकी सैफई में अखिलेश यादव के साथ लंबी चर्चा हुई है। अखिलेश यादव भी महान दल के साथ मिलकर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने मैनपुरी और रामपुर में हुए उपचुनाव के दौरान सपा का साथ देने का भी जिक्र किया।

नतीजों के बाद राजभर के सुर भी बदले

उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के सुर भी बदलते नजर आ रहे हैं। वे भी सपा के साथ गठबंधन करने के लिए फिर तैयार दिख रहे हैं। हालांकि इसके लिए उनकी यह शर्त भी है कि यह पहल शिवपाल सिंह यादव की ओर से की जानी चाहिए। शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच हुई एकजुटता ने भी विपक्ष की रणनीति बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। राजभर का तेवर बदलने में इस एकजुटता का बड़ा असर दिख रहा है।

राजभर ने साफ तौर पर कहा है कि शिवपाल सिंह यादव के कहने पर वे सपा के साथ सुलह करने को तैयार हैं। राजभर ने शिवपाल सिंह यादव की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिवपाल को पूरे प्रदेश के सियासी हालात की बेहतर जानकारी है क्योंकि उन्होंने मुलायम सिंह यादव के साथ पूरे प्रदेश का दौरा किया है। वे समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ाने और विपक्ष के गठबंधन को मजबूत बनाने में पूरी तरह सक्षम है।

2024 में भाजपा के लिए बढ़ी चुनौती

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने छोटे दलों के साथ हाथ मिलाकर भाजपा को मजबूत चुनौती दी थी। हालांकि बाद में उनका गठबंधन बिखरता हुआ दिखा था। अब एक बार फिर प्रदेश के सियासी हालात बदलते हुए नजर आ रहे हैं और अखिलेश के बिछड़े साथी फिर साथ आने को तैयार दिख रहे हैं।

दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की पहले ही सपा गठबंधन में एंट्री हो चुकी है और उनकी मेहनत की बदौलत खतौली में रालोद गठबंधन को दलित मतों का बड़ा फायदा भी हुआ है। सपा के साथ रालोद पहले ही पूरी मजबूती के साथ खड़ा है। अब छोटे दलों को साथ लेकर अखिलेश यादव 2024 की सियासी जंग में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकते हैं।

सामाजिक समीकरण साधने पर भाजपा का जोर

दूसरी ओर विपक्ष के तेवर को देखते हुए भाजपा भी सतर्क हो गई है। उपचुनाव के नतीजों के बाद दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक के दौरान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गहराई से मंथन किया है। इस बैठक में योगी आदित्यनाथ के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद थे। इस बैठक के दौरान निकाय चुनाव और 2024 की सियासी जंग की रणनीति को लेकर गहन मंथन किया गया।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सरकार के कार्यक्रमों को आम लोगों तक पहुंचाने और सामाजिक समीकरण साधने पर जोर दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष के उभरते गठजोड़ को लेकर भाजपा नेतृत्व भी सतर्क हो गया है। जानकारों का मानना है कि 2024 की सियासी जंग में उत्तर प्रदेश में भाजपा को विपक्ष की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल कर चुकी है मगर 2024 की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।

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