UP Election 2022: यूपी में बीजेपी का बिगड़ता समीकरण, 80/20 का खेल अब 50/50 का हुआ

हमेशा की तरह चुनाव की तारीखों का एलान होते ही जोड़-तोड़ की सियासत शुरू हो गई है। आमतौर पर भाजपा, सपा और कांग्रेस फेज वाइज ही अपने प्रत्याशियों के नाम का एलान करती हैं।

Report :  Sandeep Kashyap
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-01-13 18:48 IST

UP Election 2022: योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ तीन विधायकों के इस्तीफा देने और कई विधायकों के कतार में होने की खबरों के बीच भाजपा में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भूकंप देखा जा सकता है। दिल्ली में जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक चल रही थी, उसी समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधायकों के बीच भगदड़ दिखी।

हमेशा की तरह चुनाव की तारीखों का एलान होते ही जोड़-तोड़ की सियासत शुरू हो गई है। आमतौर पर भाजपा, सपा और कांग्रेस फेज वाइज ही अपने प्रत्याशियों के नाम का एलान करती हैं। जिस फेज में पहले मतदान है, वहां के उम्मीदवार पहले घोषित होते हैं। पहले और दूसरे फेज के लिए उम्मीदवारों के नामों पर सभी पार्टियों में मंथन शुरू हो चुका है। पिछले साल नवंबर माह की एक रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया था कि भाजपा अपने 100 से 150 विधायकों के टिकट काटेगी।

भाजपा की माने तो 'ये वे विधायक होंगे, जिनकी छवि उनके क्षेत्र में खराब हो चुकी होगी, जिन विधायकों ने पांच साल जनता के लिए काम नहीं किया। उनके टिकट जरूर काटे जाएंगे, जिन विधायकों को यह समझ आ गया है कि उनके टिकट कट जाएंगे, उन्होंने दूसरी पार्टी में जगह बनाना शुरू कर दिया है।

यूपी विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

वैसे चर्चा यह भी हो रही है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए भी टिकट चाहते थे, वो पहले भी भाजपा के टिकट पर बेटे को ऊंचाहार सीट से उतार चुके हैं, मगर उसमें उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था।भाजपा को नुकसान की बात करें तो राज्य में यादव और कुर्मी के बाद मौर्य ओबीसी समुदाय को तीसरी सबसे बड़ी जाति है। स्वामी प्रसाद मौर्य इससे ही ताल्लुक रखते हैं। काछी, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य और सैनी जैसे उपनाम भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

आबादी के लिहाज से भी देखें तो उत्तर प्रदेश के चार फीसदी लोग इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सफलता में गैर यादव ओबीसी का काफी ज्यादा योगदान था। माना जाता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य हवा का रुख देखकर पाला बदलने में माहिर हैं। तो वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने दावा किया कि आने वाले दिनों में बीजेपी के 13 और लोग सपा के खेमे में शामिल हो जाएंगे।

बताते चलें कि पिछले छह महीने में कांग्रेस के भी 10 पुराने और दिग्गज नेता साथ छोड़ चुके हैं। सीएम योगी ने इस बार का मुकाबला 80/20 का बताया था। समझने की बात ये है की अगर जाति के आधार पर वोट पड़ेंगे तो ऐसे में यह मुकाबला 50/50 का हो जाएगा। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी अपनी इस टूट को टालने की कोशिश में जुट गई है। अमित शाह के निर्देश पर स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल मोर्चा संभाल चुके हैं।

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