UP Election 2022: जेडीयू की स्टार प्रचारकों की लिस्ट से सीएम नीतीश कुमार का नाम गायब,, क्या है इसके मायने
इस सियासी हलचल के पीछे एक कारक उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी है। जहां बिहार में लंबे समय से मिलकर सरकार चलाने वाली जदयू और भाजपा यूपी में एक दूसरे के सामने खड़ी है।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव. देश के सियासी हलकों में इन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कांटे के इस मुकाबले के बारे में सियासी पंडित भी कोई स्पष्ट राय नहीं रख पा रहे हैं। इन सबके बीच बिहार के सत्ताधारी खेमे में बढ़ रही खदबदाहत भी सुर्खियों में आने लगी है।
इस सियासी हलचल के पीछे एक कारक उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी है। जहां बिहार में लंबे समय से मिलकर सरकार चलाने वाली जदयू और भाजपा यूपी में एक दूसरे के सामने खड़ी है। यूपी में गठबंधन में शामिल न किए जाने से नाराज जदयू ने 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार ख़ड़े किए हैं, इनमें अधिकांश पर बीजेपी और उनके सहयोगियों का कब्जा है। ऐसे में अटकलें थीं कि सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी की सहायता के लिए यूपी आएंगे, लेकिन जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची ने इन पर विराम लगा दिया।
जदयू के स्टार प्रचारक
यूपी में अपने दम पर चुनाव लड़ रही जदयू ने 15 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इस चौंकाने वाली सूची में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह शामिल हैं। इन दोनों के अलावा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह, प्रधान महासचिव केसी त्यागी, संसदीय समिति के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा, राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव मौलाना गुलाम रसूल बलियावी, MLC हर्षवर्धन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र प्रताप सिंह, राष्ट्रीय सचिव अनूप सिंह पटेल, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष आरपी चौधरी, सुरेंद्र त्यागी, संजय कुमार, यूथ JDU के प्रदेश अध्यक्ष डॉ भरत पटेल, संजय धनगर और डॉ. केके त्रिपाठी के नाम शामिल हैं।
नीतीश के नहीं आने के मायने
यूपी जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य में चुनाव लड़ रहे किसी दल का दो बड़ा नेता चुनाव प्रचार में न आए, तो इससे एक बड़ा संदेश जाता है। माना जाता है कि उक्त पार्टी चुनाव को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है। जदयू में नंबर 1 की हैसियत रखने वाले सीएम नीतीश कुमार और नंबर दो की हैसियत रखने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह चुनाव प्रचार के लिए यूपी नहीं आ रहे हैं। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल बिहार में इन दिनों जदयू और भाजपा के नेताओं के बीच जमकर विभिन्न मुद्दों पर टकराव देखा जा रहा है। साथ सरकार चला रहे दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे हैं।
पहले नीतीश के प्रति नरम रवैया रखऩे वाली बीजेपी अब आक्रमक हो गई है। बिहार भाजपा के नेताओं के बयान औऱ यूपी चुनाव में कोई भाव देकर इसे जता दिया गया है। बिहार में सबसे अधिक विधायक होने के बाद सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाली बीजेपी अब सीएम नीतीश कुमार को अधिक बर्दाशत नहीं करने वाली।
जातीय जनगणना, विशेष राज्य का दर्जा समेत ऐसे कई मुद्दे हैं जिनपर बीजेपी ने जदयू से अपना रूख अलग रखकर नीतीश कुमार को साफ संदेश दिया है। यूपी में गठबंधन न होने को लेकर जिस तरह से जदयू के सीनियर नेताओं ने बीजेपी पर हमला बोला है उससे बीजेपी नाराज बतायी जा रही है। बेहद कम विधायकों के साथ चौथी बार सत्ता में लौटे सीएम नीतीश कुमार को इस नाराजगी का ऐहसास हो गया है कि यही वजह है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को एक सकारात्मक मैसेज देने के लिए उन्होंने वहां प्रचार करने से अपने पैर खींच लिए।
बीजेपी को राहत
यूपी में बेहद मुश्किल जंग का सामना कर रही बीजेपी के लिए ये एक बड़ी राहत है। दरअसल कुर्मी वोटों पर अपना प्रभाव रखने वाली जदयू बिहार से सटे कुछ सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती थी।
बिहार की सियासत पर असर
राजनीतिक टिप्पणीकार मानते हैं कि लंबे समय से बिहार में अपना सीएम बनाने की सोच रही बीजेपी यूपी चुनाव के परिणाम का इंतजार कर रही है। ऐसे में नीतीश कुमार की पार्टी के साथ हालिया समय में बढ़ी तानातनी को बहाना कर पार्टी वहां कुछ कर सकती थी। जिसे समय रहते नीतीश कुमार ने भांप लिया और बीजेपी की नाराजगी कम करने की कोशिश शुरू कर दी। बहरहाल अब भी राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि यूपी चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शऩ बिहार में नीतीश सरकार का भविष्य तय करेगा।