UP Election 2022: जेवर सीट पर राजा मिहिर भोज के मुद्दे को भुनाने की कोशिश, गुर्जर भड़ाना और क्षत्रिय धीरेंद्र सिंह के बीच कड़ा मुकाबला

UP Election 2022: जेवर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-01-28 13:13 IST

UP Election 2022

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जेवर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। सपा-रालोद गठबंधन की ओर से इस सीट पर गुर्जर प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को चुनाव मैदान में उतारा गया है जबकि भाजपा की ओर से राजपूत बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले धीरेंद्र सिंह चुनाव मैदान में उतरे हैं। गुर्जर और राजपूत प्रत्याशियों के आमने-सामने होने के कारण जेवर सीट पर राजा मिहिर भोज के मुद्दे को भुनाने की कोशिश भी की जा रही है।

कुछ समय पूर्व राजा मिहिर भोज के गुर्जर और राजपूत होने को लेकर इलाके में विवाद गहरा गया था और अब चुनाव के मौके पर एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भड़ाना इस मुद्दे पर गुर्जर मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह सभी समुदायों का समर्थन हासिल होने का दावा कर रहे हैं।

प्रतिमा के अनावरण के बाद विवाद

दरअसल राजा मिहिर भोज को लेकर विवाद की शुरुआत पिछले साल सितंबर महीने में हुई थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितंबर महीने में दादरी में राजा मिहिर भोज की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया था। नौवीं शताब्दी के शासक राजा मिहिर भोज की इस प्रतिमा के नीचे लगी नाम पट्टिका में उनके नाम के आगे गुर्जर शब्द हटा दिया गया था।

सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम पर गुर्जरों ने काफी नाराजगी जताई थी और इसे लेकर प्रदर्शन भी किया गया था। उनका कहना था कि राजा मिहिर भोज गुर्जर शासक थे और उनके नाम के आगे इस बात का उल्लेख किया जाना चाहिए।

गुर्जरों को एकजुट करने की कोशिश

जेवर विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की काफी संख्या होने के कारण इसे चुनाव के मौके पर भुनाने की कोशिश की जा रही है। रालोद प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना और उनके समर्थकों की ओर से विभिन्न गांवों में जनसंपर्क के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। गुर्जर मतदाताओं के बीच प्रचार के दौरान वे इस मुद्दे को लेकर सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं।

उनका आरोप है कि सरकार की ओर से जानबूझकर राजा मिहिर भोज की प्रतिमा की नाम पट्टिका में गुर्जर शब्द हटा दिया गया। इस मुद्दे पर वे गुर्जर मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भड़ाना का दावा है कि गुर्जर मतदाता सरकार के इस कदम को लेकर काफी नाराज हैं और इसी कारण उन्हें गुर्जर मतदाताओं का पूरा समर्थन हासिल हो रहा है।

भड़ाना ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार वे पार्टी और चुनाव क्षेत्र दोनों बदलकर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

जेवर सीट का जातीय समीकरण

वैसे यदि जीवन विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो राजपूत मतदाताओं की संख्या गुर्जर मतदाताओं की संख्या से थोड़ी ज्यादा है। जेवर विधानसभा क्षेत्र में करीब सवा तीन लाख मतदाता हैं और इनमें गुर्जर मतदाताओं की संख्या 50 हजार है जबकि राजपूत मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार है।

गुर्जर मतदाताओं के एकजुट होने पर राजपूत मतदाताओं के दूसरे पक्ष में लामबंद होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। भाजपा प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह के राजपूत होने के कारण उन्हें इस बिरादरी का समर्थन हासिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। क्षेत्र में करीब 24,000 जाट और 20,000 मुस्लिम मतदाता हैं। भड़ाना जाट और मुस्लिम मतदाताओं को भी एकजुट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

भाजपा और रालोद के अपने-अपने दावे

भाजपा और रालोद दोनों की ओर से एक-दूसरे पर धर्म और जाति की राजनीति करने का आरोप लगाया जा रहा है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी का दावा है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर क्षेत्र की जनता भाजपा से नाराज है और रालोद को निश्चित रूप से इसका फायदा मिलेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी जीत हासिल करने के लिए धर्म और जाति की राजनीति का सहारा नहीं ले रही है। दूसरी ओर भाजपा उम्मीदवार धीरेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें जेवर क्षेत्र के सभी धर्मों और समुदायों के लोगों का समर्थन मिल रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 22 हजार वोटों से इस सीट से जीत हासिल करने वाले धीरेंद्र सिंह का कहना है कि क्षेत्र के मतदाता रालोद की चालों से पूरी तरह वाकिफ हैं। इसलिए विपक्ष की कोई भी चाल क्षेत्र में सफल नहीं होगी।


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