UP Election 2022: प्रियंका गांधी को भी चुनावी जंग में उतारने की तैयारी, अमेठी या रायबरेली से लड़ सकती हैं चुनाव

UP Election 2022: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि प्रियंका गांधी के खुद चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2021-09-15 12:55 IST

प्रियंका गांधी (फोटो : Newstrack)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (UP Congress) की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पार्टी बड़ा सियासी दांव खेलने की तैयारी कर रही हैं। पार्टी की ओर से राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को प्रदेश में होने वाली सबसे बड़ी सियासी जंग में उतारा जा सकता है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रियंका अमेठी या रायबरेली की किसी सीट से पार्टी प्रत्याशी हो सकती हैं (Priyanka Gandhi party candidate Amethi or RaeBareli seat )।

पार्टी की एडवाइजरी कमेटी (Party advisory committee) का भी मानना है कि प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी की चुनावी संभावनाएं काफी मजबूत हो जाएंगी। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि प्रियंका के खुद चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है। पार्टी नेतृत्व की ओर से इस सलाह पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है और इस बाबत जल्द ही बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

पार्टी नेताओं और प्रशांत किशोर ने दिया सुझाव  

 प्रियंका गांधी ने पिछले दिनों लखनऊ में कांग्रेस नेताओं के साथ मैराथन बैठकें की थीं। इन बैठकों के दौरान उन्होंने पार्टी का सांगठनिक ढांचा मजबूत बनाने पर जोर दिया था। इस बाबत पार्टी से जुड़े विभिन्न नेताओं के सुझाव भी लिए थे। लखनऊ में हुई इन बैठकों के दौरान प्रियंका को चुनाव मैदान में उतारने का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा था।

पार्टी की एडवायजरी कमेटी की ओर से प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने की बात कही गई थी। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को जबर्दस्त फायदा हो सकता है। इसका असर रायबरेली और अमेठी के अगल-बगल के जिलों में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में दिख सकता है।

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि प्रियंका का चेहरा काफी बड़ा है। उनके चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को चुनावी जंग में फायदा मिलेगा। प्रशांत किशोर ने भी प्रियंका गांधी को खुद चुनाव मैदान में उतरकर चुनावी जंग का सेनापति बनने का सुझाव दिया है। इसी कारण पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर गहराई से मंथन शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इस बाबत बड़ा फैसला होने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रियंका गांधी (photo : Newstrack) 

गांधी परिवार की पहली सदस्य होंगी प्रियंका

गांधी परिवार की ओर से अभी तक कोई भी सदस्य विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। चुनावी राजनीति से गांधी परिवार का पुराना नाता रहा है मगर परिवार के सभी सदस्यों ने अभी तक सिर्फ लोकसभा का चुनाव लड़ा है। पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक हर पीढ़ी के सदस्यों ने चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाई मगर सभी ने सिर्फ लोकसभा का ही चुनाव लड़ा । ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रियंका मैदान में उतरने का फैसला लेती है तो यह बड़ा फैसला होगा। यह पहला मौका होगा जब गांधी परिवार का कोई सदस्य है विधानसभा चुनाव के लिए किस्मत आजमाएगा।

स्मृति ईरानी (फोटो : सोशल मीडिया ) 

2024 की जंग में भी होगा फायदा

उत्तर प्रदेश के दो चुनाव क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी में प्रियंका हमेशा सक्रियता दिखाती रही हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रियंका की पहली पसंद अमेठी ही है। अमेठी से जुड़े किसी विधानसभा सीट पर ही उनके चुनाव मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी संसदीय सीट पर स्मृति ईरानी (Smriti Irani)  ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gnadhi) को हरा दिया था। 2019 की जंग में इसे सबसे बड़ी सियासी जीत माना गया था।

प्रियंका के यहां से चुनाव मैदान में उतरने से 2024 की सियासी जंग के लिए जमीन तैयार करने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही पार्टी 2024 में स्मृति ईरानी से हिसाब भी चुकता कर सकती है। अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार का पुराना गढ़ माना जाता रहा है। इसलिए भी प्रियंका अमेठी की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक बताई जा रहे हैं।

अभी तक प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने के संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं मगर प्रियंका का कार्यालय इस बाबत अभी से ही सक्रिय हो गया है। अमेठी और रायबरेली की सभी सीटों के आंकड़े मंगाए गए हैं। उनकी एनालिसिस की जा रही है।

स्मृति ईरानी - प्रियंका गांधी (photo : सोशल मीडिया ) 

स्मृति ईरानी को जवाब देने की तैयारी

गांधी परिवार अमेठी और रायबरेली में अपना पुराना दबदबा आगे भी बनाए रखना चाहता है। 2019 में जीत के बाद स्मृति ईरानी अमेठी में लगातार सक्रिय बनी हुई है। अपने घोषणा के मुताबिक उन्होंने अमेठी इलाके में मकान बनाने के लिए जमीन की रजिस्ट्री भी करा ली है। इसके जरिए वे दिखाना चाहती हैं कि अब वह अमेठी छोड़कर कभी नहीं जाने वाली।

कांग्रेस की ओर से इस स्मृति की मजबूत हो रही पकड़ का जवाब देने की तैयारी है। अमेठी से राहुल गांधी की हार के बाद पार्टी एक बार फिर इस क्षेत्र में परिवार का पुराना दबदबा कायम करना चाहती है। बीमारी के कारण सोनिया गांधी का भी रायबरेली आना-जाना बिल्कुल खत्म हो चुका है। गांधी परिवार से जुड़े हुए लोगों का मानना है कि प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने से अमेठी और रायबरेली दोनों क्षेत्रों से परिवार का पुराना नाता एक बार फिर मजबूत हो सकता है।

खुर्शीद भी दे चुके हैं बड़ा संकेत

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी हाल में आगरा में कहा था कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ही पार्टी की अगुवाई करेंगी। उनका कहना था कि इन चुनावों में प्रियंका ही पार्टी का चेहरा होंगी। हालांकि सीएम चेहरे को लेकर खुर्शीद गोलमोल जवाब देने में जुटे रहे। उन्होंने कहा कि सबकी नजर में पार्टी का चेहरा तो प्रियंका ही हैं मगर अभी तक उन्होंने खुद इस संबंध में कोई बात नहीं कही है। इसलिए हम भी इस बात को नहीं कर सकते। उनका कहना था कि पार्टी प्रदेश के सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। किसी भी दल के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी।

खुर्शीद का बयान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की रणनीति का बड़ा संकेत माना जा रहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। अब उसे प्रियंका के करिश्मे का ही सहारा है। इसीलिए पार्टी प्रियंका को चुनाव मैदान में उतर कर अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।

मोदी के चेहरे का भाजपा उठा चुकी है फायदा

सियासी जानकारों का भी मानना है कि किसी बड़े चेहरे के चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को हमेशा फायदा होता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इसे साबित भी कर चुकी है। उस चुनाव के दौरान भाजपा के थिंक टैंक ने एक रणनीति के तहत नरेंद्र मोदी को वाराणसी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने की सिफारिश की थी। पार्टी का मानना था कि नरेंद्र मोदी के चुनाव मैदान में उतरने से न केवल वाराणसी की अगल-बगल की सीटों बल्कि पूरे प्रदेश की सीटों पर असर पड़ेगा। भाजपा थिंकटैंक की यह सोच बाद में पूरी तरह सच साबित हुई।

नरेंद्र मोदी को चुनाव मैदान में उतरने का भाजपा ने जबर्दस्त सियासी फायदा उठाया। दूसरे दलों की रणनीति पूरी तरह ध्वस्त हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी के वाराणसी से ही चुनाव लड़ने का पार्टी को फायदा हुआ था। 2014 के चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 73 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की 62 सीटों पर कमल खिला था जबकि सहयोगी अपना दल ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस जल्द ले सकती है बड़ा फैसला

जानकारों के मुताबिक अब कांग्रेस की ओर से यदि प्रियंका को रायबरेली अमेठी की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा जाता है तो निश्चित रूप से इसका चुनावी असर दिख सकता है। प्रियंका का चेहरा सामने होने पर कांग्रेस को महिला मतदाताओं का भी बड़ा समर्थन हासिल हो सकता है। अब हर किसी की नजर प्रियंका के संबंध में पार्टी नेतृत्व के फैसले पर टिकी है। आने वाले दिनों में इस बाबत बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

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