UP News: रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम, जानें क्या है
UP News: उत्तर प्रदेश में रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।;
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UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवादों को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को अनिवार्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस नए नियम के तहत, केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी, जिससे किरायेदारी से जुड़े मामलों का समाधान आसान और निष्पक्ष तरीके से किया जा सकेगा।
स्टाम्प शुल्क में कमी
सरकार ने रेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री को सरल और सस्ता बनाने के लिए स्टाम्प शुल्क में कटौती का भी प्रस्ताव रखा है। अब, एक साल से अधिक अवधि के रेंट एग्रीमेंट पर स्टाम्प शुल्क 500 रुपये से 20,000 रुपये तक होगा। पहले, स्टाम्प शुल्क अधिक होने के कारण लोग अपने रेंट एग्रीमेंट को पंजीकृत नहीं कराते थे, जिससे बाद में कानूनी विवाद उत्पन्न हो जाते थे। लेकिन अब कम शुल्क की वजह से लोग आसानी से रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे, जिससे किरायेदारी संबंधी मामलों में पारदर्शिता आएगी।
दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद
इस नए नियम से मकान मालिक और किरायेदार दोनों को लाभ मिलेगा। किसी भी विवाद की स्थिति में केवल वही शर्तें मान्य होंगी जो लिखित और रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में शामिल होंगी। मौखिक समझौतों या अन्य अनौपचारिक शर्तों पर अब कोई कानूनी दावा नहीं किया जा सकेगा। इससे मकान मालिकों को भी सुरक्षा मिलेगी, और किरायेदारों को भी कानूनी रूप से संरक्षण प्राप्त होगा।सरकार एक नया पोर्टल भी शुरू करने जा रही है, जहां एक साल तक के रेंट एग्रीमेंट के लिए एक निर्धारित फॉर्मेट उपलब्ध होगा। इसे डाउनलोड करके प्रिंट किया जा सकेगा और स्टाम्प पर चिपकाकर कानूनी रूप से वैध बनाया जा सकेगा। यह डिजिटल पहल रेंट एग्रीमेंट प्रक्रिया को और आसान बनाएगी।
महिलाओं को भी मिलेगा फायदा
सरकार ने महिलाओं के लिए भी एक खास प्रस्ताव रखा है। यदि कोई महिला एक करोड़ रुपये तक की संपत्ति की रजिस्ट्री कराती है, तो उसे स्टाम्प शुल्क में एक प्रतिशत की छूट मिलेगी। यह कदम महिलाओं को संपत्ति के अधिकारों को लेकर जागरूक करने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगा। इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा और पारित होने के बाद इसे लागू किया जाएगा। इस नई व्यवस्था से किरायेदारी विवादों का जल्द समाधान हो सकेगा और किरायेदारों तथा मकान मालिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी। सरकार के इस कदम से रेंट एग्रीमेंट को कानूनी रूप से सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार होने की उम्मीद है।