लखनऊ: 'सोचा न था जाना न था, यूं ही ऐसे चलेगी जिंदगी'। ये आईएएस डॉ. हरिओम के गाने के बोल हैं जो शनिवार को ऑनलाइन रिलीज हुआ। खास बात यह है कि यह एक नॉन फिल्मी सॉन्ग है, जिसे डॉ. हरिओम ने अपनी आवाज देकर मशहूर शायर मलिकजादा मंजूर साहब की यादों के नाम किया है। इसके पहले इनकी एक गज़ल ‘मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं’ श्रोताओं की वाहवाही लूट चुका है।
तीन किताबें लिख चुके हैं डॉ. हरिओम
-इसके पहले डॉ.हरिओम तीन किताबें लिख चुके हैं। इनमें 'धूप का परचम' (गजल), 'अमरीका मेरी जान' (कहानी) और 'कपास के अगले मौसम में' (कविता) है।
-'इंतिसाब' और 'रोशनी के पंख' नाम से दो एलबम रिलीज हो चुके हैं।
-इनकी ‘मुस्कुराती हुई सुबह’ गजल भी काफी चर्चा में रही।
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आईएएस में चयन के बाद शुरू की संगीत की शिक्षा
वर्ष 1997 बैच के आईएएस डॉ. हरिओम ने सिविल सर्विस में चयन के बाद ही संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। हरिओम ने अब तक लगभग 11 जिलों में बतौर डीएम काम किया। पर डीएम गोरखपुर के पद पर तैनाती के दौरान म्यूजिक से उनका लगाव सार्वजनिक तौर पर जनता के सामने आया।
-उनकी पत्नी मालविका भी गाने की काफी शौकीन हैं।
-उनकी दो बेटियां 10वीं और छठीं की छात्रा हैं और वह भी गाती हैं।
-पुस्तकें लिखने के अलावा कई मंचों पर डॉ. हरिओम ने अपनी प्रस्तुतियां भी दी हैं। जिसे लोगों की सराहना मिली है।