उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा से मिल रहा रोजगार, जगमगा रहे गांव

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे निवेश को देखते हुए उत्तर प्रदेश में स्थायी रोजगार और नौकरियों के बड़े अवसर खुल गए हैं। सूबे की नई सौर ऊर्जा नीति 2017 के तहत अब गांव-गांव में सौर ऊर्जा की रोशनी अंधेरे को मिटा रही है।

Report :  Rajendra Kumar
Published By :  Ashiki
Update:2021-08-11 20:55 IST

 सोलर प्लांट (Photo- Social Media) 

लखनऊ: सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे निवेश को देखते हुए उत्तर प्रदेश में स्थायी रोजगार और नौकरियों के बड़े अवसर खुल गए हैं। सूबे की नई सौर ऊर्जा नीति 2017 के तहत अब गांव-गांव में सौर ऊर्जा की रोशनी अंधेरे को मिटा रही है। तो दूसरी तरफ सौर ऊर्जा के उत्पादन की दिशा में बड़े निवेशकों ने आगे आ रहे हैं। बीते चार वर्षों में 1370 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं लग चुकी हैं। और 417 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।

इसके अलावा कई सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निवेश संबंधी प्रस्ताव प्रदेश सरकार को मिले हैं। तो सरकार ने भी सोलर पार्क और अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क की स्थापना की योजना पर भी कार्य करते वर्ष 2022 तक 10700 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के बीच यूपी में सौर ऊर्जा की परियोजनाओं में हुए निवेश से हजारों लोगों को स्थायी रोजगार मिला हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी दूर होने के साथ ही पर्यावरण को भी लाभ हो रहा है। फिलहाल अब राज्य में सोलर पैनल, सोलर लाइट, सोलर बैटरी तथा सोलर कूकर आदि का कारोबार तेजी से फ़ैल रहा है और इनमें हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है।


सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहा यह निवेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लायी गई सौर ऊर्जा नीति का परिणाम है। यूपी में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2017 में सौर ऊर्जा नीति 2017 तैयार कराई थी। जिसके तहत सोलर पार्क की स्थापना तथा सौर ऊर्जा को थर्ड पार्टी विक्रय के लिए ओपन एक्सेस दिया गया। इस नीति के प्रोत्साहन प्रावधानों के तहत ऑनलाइन सिंगल विंडो क्लीयरेंस की व्यवस्था के साथ ही सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 100 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी में छूट और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्ष तक 100 फीसदी छूट का प्रावधान किया गया। इस नीति का लाभ लेते हुए बुंदेलखंड के सातों जिलों बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर में अब तक कुल 11 सौर ऊर्जा प्राइवेट कंपनियां अपने सौर प्रोजेक्ट स्थापित कर चुकी हैं। इनसे साढ़े 500 मेगावाट से ज्यादा बिजली रोजाना मिल रही है। यहीं नहीं अब तक अछूते रहे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक क्षेत्र चित्रकूट में भी अब सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू हो गया है। चित्रकूट में एक निजी कंपनी ने छीबों गांव में 25 मेगावाट का सौर ऊर्जा यंत्र चालू कर दिया है। चित्रकूट जिले के मऊ छीबों गांव में 50 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा प्लांट भी लगाया गया है। आरईसी पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी 50 मेगावाट का सोलर प्लांट कानपुर देहात में तथा 75 मेगावाट का सोलर प्लांट जालौन में लगाने की पहल की है। कई अन्य निजी कंपनियां भी राज्य के विभिन्न जिलों में सोलर प्लांट लगा रही हैं।


सौर ऊर्जा के उत्पादन की दिशा में तेजी से हो रहे निवेश को देखते हुए सरकार ने भी इस सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया हैं। जिसके चलते प्रदेश में 8,905 करोड़ रुपए के निवेश से तैयार हुई दो दर्जन से अधिक सौर पावर परियोजनाएं शुरु हो चुकी हैं। इसके साथ ही सरकार के प्रयास से प्रदेश में 235 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप स्थापित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से अब गांवों में बाजारों और सड़कें सोलर स्ट्रीट लाईटों से जगमगाने लगी हैं। इसी प्रकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाइट योजना की मदद से 25569 बाजारों में सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री समग्र ग्राम्य विकास योजना में चयनित राजस्व ग्रामों में 13791 सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों को लगाने का काम किया गया है। किसानों को लाभ देने के लिये सिंचाई में उपयोगी 19579 सोलर पम्प लगाए हैं। गांव में घर-घर तक 01 लाख 80 हजार सोलर पावर संयंत्रों की स्थापना ने गांव की तस्वीर बदल दी है। उत्तर प्रदेश के लोग जहां पिछली सरकारों में 04 घंटे बिजली सप्लाई को तरसते थे, वहीं योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सौर ऊर्जा की मदद से बिजली संकट से जन-जन को छुटकारा मिल गया है। सरकार की पहल का असर है कि वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत के लिये 'ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता 2018'लागू हो गई है। सरकार ने जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन नीति के तहत 2492 करोड़ रुपये का निजी निवेश आमन्त्रित किया। इसकी मदद से 720 करोड़ रुपये की लागत की 180 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा उत्पाद इकाइयां स्थापित की गईं। पहली बार प्रदेश में 2937 सोलर आरओ वाटर संयंत्रों की स्थापना प्राथमिक विद्यालयों में करवाई गई। जिसके चलते इन स्कूलों में बच्चों को शुद्ध पानी विद्यालय में ही पीने को मिल रहा है।

सूबे में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे इन कार्यों के चलते यूपी में अब सोलर लाइट एवं सोलर पैनल लगाने तथा उन्हें बेचने का नया कारोबार शुरू हो गया। राज्य के हर जिले तथा ब्लाक में सोलर पैनल, सोलर लाइट, सोलर कुकर तथा सोलर बैटरी बेचने की दुकानें खुल गई हैं। सोलर पैनल बेचने वाली दुकानों के मालिकों ने तमाम लोगों को नौकरी पर रखा है जो गांव-गांव में सोलर लाइट लगाकर लोगों के घरों को रोशन कर रहें हैं क्योंकि अब ग्रामीण भी अपने घर में सस्ती बिजली चाहते हैं। उनकी यह मंशा सोलर लाइट से पूरी होती है, ऐसे में सरकार की सोलर रूफ टाप योजना का लाभ लेते हुए अपने घरों को सोलर लाइट से रोशन कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम कुसुम योजना का लाभ लेते हुए निजी नलकूपों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत कराया जा रहा है। इनसे जुड़े उपकरणों के रखरखाव के लिए बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। सोलर पंप से होने वाली सिंचाई के नाते डीजल न जलने से होने वाला पर्यावरण संरक्षण का लाभ बोनस जैसा होगा। 

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