सपा के गढ़ में नहीं खिला कमल, मुलायम की भतीजी को मिली करारी शिकस्त
जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी संध्या यादव को सपा प्रत्याशी ने 1907 वोटों से करारी शिकस्त दी है।
मैनपुरी: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव को मोहरा बनाकर बीजेपी ने बड़ी राजनीतिक चाल चली थी, लेकिन मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के गढ़ में भारतीय जनता पार्टी को जीत का स्वाद चखने के लिए बहुत पापड़ बेलने पडेंगे तब शायद भाजपा को मैनपुरी में जीत मिल सकेगी।
जिला पंचायत के चुनावों में भी यही हुआ सपा ने भाजपा को करारी शिकस्त दी। जिला पंचायत के 30 वार्डों में से 29 वार्डों के परिणाम घोषित कर दिए गए। जिसमें से सपा ने 15 सीटों पर कब्जा कर लिया है और भाजपा केवल 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, 6 सीटें निर्दलीय के खाते में और मैनपुरी में कांग्रेस ने भी 1 सीट लेकर अपना खाता खोल लिया है। वहीं सपा के नेताओं में सैंफई परिवार की बागी बेटी की हार से खुशी का माहौल है तो वहीं भाजपा नेताओं में मायूसी छा गई है। जिला पंचायत के चुनाव में सपा प्रत्याशी ने संध्या यादव को 1907 वोटों से करारी मत दी है।
मैनपुरी सपा का गढ़
मैनपुरी जनपद को सपा का गढ़ कहा जाता है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद है। मैनपुरी जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से तीन पर सपा का कब्जा है। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भी वर्ष 1991 से सपा के कब्जे में थी। सत्ता में काबिज बीजेपी अब यहां से जिला पंचायत अध्यक्ष अपने खेमे में लाना चाहती थी, लेकिन संध्या यादव की हार के बाद बीजेपी का यह सपना टूट गया। संध्या यादव ने सैंफई परिवार से बगावत कर बीजेपी के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था और आखिरकार वह इस चुनाव में हार गईं। सपा समर्थित प्रत्याशी ने उन्हें करारी शिकस्त दी। संध्या की हार के साथ ही उनकी अध्यक्ष की पद पर दावेदारी नहीं रही। अब जुगाड़ पर टिकी कोशिश में बीजेपी को अध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदार तलाशना पड़ेगा।
बीजेपी भले ही संध्या यादव की हार के बाद मजबूत प्रत्याशी को तलाशने में जुटी हो, लेकिन सच तो यह है जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए बहुमत से बीजेपी काफी दूर है। मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के सामने बीजेपी को हर बार मुंह की खानी पड़ती है। पंचायत चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहरा दिया है।