UP News: सपा के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंची ऋचा सिंह, निष्कासन को बताया संविधान की अवमानना

UP News: ऋचा सिंह ने पार्टी से निष्कासन के बाद चुनाव आयोग को खत लिखकर इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-02-21 10:22 IST

Richa Singh(Image: Social Media)

UP News: कभी समाजवादी पार्टी की तेजतर्रार महिला युवा नेताओं में गिनी जाने वाली ऋचा सिंह अब अपनी ही पार्टी के विरूद्ध लड़ती नजर आ रही हैं। जब से उन्हें सपा से निष्कासित किया गया है, उन्होंने पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। ऋचा अब सपा के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंच गई हैं और अपने निष्कासन को संविधान की अवमानना करार दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग को खत लिखकर इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है।

सपा की पूर्व प्रवक्ता ने आयोग को लिखे खत को ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, चुनाव आयोग इस बात का संज्ञान ले कि समाजवादी पार्टी ने अपनी कार्य शैली में चुनाव आयोग के मानकों,लोकतांत्रिक मूल्यों का मखौल उड़ाते हुए, संविधान की अवमानना की है। यह देश के जनतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन और उनका मजाक उड़ाना है।

वहीं, अपने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने समाजवादी पार्टी के संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि सपा महिला नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के पूर्व अपने ही "संविधान की धारा 30" का खुला उल्लंघन क्यों कर रही है? डॉ लोहिया का समाजवाद इसका उत्तर जरुर चाहेगा??

स्वामी को लेकर फिर साधा अखिलेश पर निशाना

ऋचा सिंह ने इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के उस बयान का जिक्र करते हुए एकबार फिर अखिलेश यादव पर हमला बोला है, जिसमें वो सभी हिंदू धर्म ग्रंथों को विषाक्त करार देते हुए उसे बैन करने की मांग कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि इस खुले विद्रोह के बाद अब अखिलेश यादव क्या करेंगे? इनका भी निष्कासन होगा या पार्टी नेतृत्व स्वामी के आगे बेबस हो चला है ?

दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने मोहन भागवत को संबोधित करते हुए कहा था, संघ प्रमुख जी, जब तक मुँह, बाहुँ, जंघा व पैर से वर्ण पैदा करने वाले मनुस्मृति सहित अन्य तमाम ग्रन्थ रहेंगे तब तक जातियाँ रहेंगी और जब तक जातियाँ रहेंगी तब तक छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव व असमानता भी रहेगा यदि जातियाँ खत्म करनी ही है, तो पहले विषाक्त ग्रंथ व साहित्य प्रतिबंधित करायें। उनका ये बयान ऐसे समय में आया है, जब सपा ने इस मुद्दे पर नेताओं को बयानबाजी से बचने को कहा है।

बता दें कि ऋचा सिंह ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को रामचरितमानस पर विवादित बयान देने की बजाय महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के हक में आवाज उठाने की सलाह दी थी। जिसके बाद सपा ने उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

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