UPSRTC News: यात्रियों को बसों के लिए भटकना पड़ रहा , नहीं बन रहे टिकट, जानिए क्या है वजह

UPSRTC News: बुधवार को हैकरों द्वारा परिवहन निगम का आनलाइन टिकट बनाने वाला सॉफ्टवेयर हैक कर लिया गया था। हैकर की कारस्तानी रोडवेज को बहुत मंहगी पड़ रही है।

Update:2023-04-28 23:16 IST
upsrtc bus (Photo-Social Media)

Meerut News: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीनें बुघवार से शोपीस बनी हुई हैं। जिसके कारण परिवहन निगम(UPSRTC) को अकेले मेरठ क्षेत्र में एक मोटे अनुमान के अनुसार रोजाना आठ से दस लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। दरअसल, ईटीएम ऑपरेट करने वाली कंपनी ओरियन प्रो (PRO) के डाटा सेंटर में मालवेयर या रैनसम अटैक के कारण रीजन का सारा डाटा गायब हो गया। मैनुअल टिकट बनाने में होने वाली परेशानियों को देखते हुए कई परिचालक ड्यूटी पर जाने से कतरा रहे हैं। नतीजन, अकेले मेरठ में 50 से अधिक बसें परिचालकों के अभाव में कार्यशाला में खड़ी हैं। बसों का संचालन बाधित होने से एक तरफ जहां निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं यात्रियों को बस नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

परिवहन निगम का सॉफ्टवेयर हुआ था हैक

बता दें कि बुधवार को हैकरों द्वारा परिवहन निगम का आनलाइन टिकट बनाने वाला सॉफ्टवेयर हैक कर लिया गया था। हैकर की कारस्तानी रोडवेज को बहुत मंहगी पड़ रही है। इसकी वजह परिचालकों का हाथ से टिकट काटने में अभ्यस्त नहीं होना है। ऐसे सैंकड़ों परिचालक घटना के बाद से ड्यूटी पर नहीं रहे हैं। इनमें ऐसे परिचालकों की संख्या अधिक है जो कि नए भर्ती हुए हैं। इन परिचालकों का कहना है उन्हें हाथ से टिकट की जानकारी नहीं है। वे केवल मशीन से ही टिकट बना सकते हैं। क्योंकि परिवहन निगम में नए भर्ती परिचालकों की संख्या अधिक है इसलिए निगम में परिचालकों का अकाल पड़ गया है।

50 बसों का संचालन ठप

परिचालकों की कमी के कारण अकेले मेरठ क्षेत्र में 50 से अधिक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। परिचालकों के अकाल पर श्रमिक समाज के मेरठ अध्यक्ष राजीव त्यागी कहते हैं- ईटीएम से टिकट बनाने में परिचालक को कोई रिकार्ड नहीं रखना पड़ता है। जबकि मैनुअल में टिकट देने के साथ प्रत्येक स्टाप से कितने यात्री बैठे और कितने उतरे सब का ब्यौरा दर्ज करना पड़ता है। अगर यह न दर्ज किया जाए तो चेकिंग होने पर परिचालक के खिलाफ कार्रवाई होती है। यही कारण है कि यूपी में रोडवेज बस अड्डों पर बसें तो खड़ी हैं लेकिन स्टाफ मौजूद नहीं है। बता दें कि मेरठ क्षेत्र में मेरठ भैसाली,सोहराबगेट,बड़ौत,गढ़ डिपो शामिल हैं। सभी डिपो में नए भर्ती परिचालक बुधवार से बहुत कम यानी 25 फीसदी ही आ रहे हैं। हालांकि मेरठ क्षेत्र के प्रबन्धक केके शर्मा का कहना है कि जल्दी ही इस समस्या समाधान निकाल लिया जाएगा। बहरहाल,इंतजाम जब होगा तब होगा। फिलहाल तो यात्रियों को अपने गंतव्य स्थानों के लिए जाने के लिए बसों की तलाश के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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