यूपी: गोवंश की रक्षा के लिए योगी सरकार उठा सकती है ये बड़ा कदम
पडोसी राज्य बिहार की तर्ज पर गोवंश को भी ईयरटैग अनिवार्य किया जाएगा। इस इयर टैग को सामान्य भाषा में आधार कार्ड भी कह सकते हैं। इससे गोवंश की तस्करी और और उसकी अवैध खरीद फरोख्त पर रोक लग सकेगी।;
लखनऊ: पडोसी राज्य बिहार की तर्ज पर गोवंश को भी ईयरटैग अनिवार्य किया जाएगा। इस इयर टैग को सामान्य भाषा में आधार कार्ड भी कह सकते हैं। इससे गोवंश की तस्करी और और उसकी अवैध खरीद फरोख्त पर रोक लग सकेगी। इसके लिए जल्द ही शासनादेश जारी किया जाएगा।
अब तक विभिन्न पशुओं के लिए ईयर टैगिंग की व्यवस्था है पर उसका सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है। शासन के एक अधिकारी के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों में पशुओं के लिए ईयरटैगिंग की व्यवस्था है पर इसे सख्ती से अबतक लागू नहीं किया जा सका है। ईयर टैंगिग का लाभ यह होता है कि इससे तस्करी पर रोक लगती है साथ ही पशुओं की पहचान होने से आए दिन बिगडने वाली कानून व्यवस्था पर भी अंकुश लगता है।
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ईयर टैगिंग में ये है मुश्किलें
जानकारी के अनुसार गोवंश की ईयरटैंगिग का काम हो रहा है लेकिन सभी गोवंश की ईयर टैगिंग करने का अभी कोई शासनादेश न होने के कारण अब तक यह काम ढीलाढाला ही चल रहा हे। यदि ऐसा कोई शासनादेश जारी होता है तो फिर गोवंश की तस्करी और उनकी पहचान के संकट से बचा जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ पशु पालन विभाग के लिए सांड़ों की ईयर टैगिंग करना लोहे के चने चबाने जैसा साबित हो रहा है। गाय की तो ईयर टैगिंग पशु पालन विभाग के लोग कर लेते हैं, लेकिन सांड़ की ईयर टैगिंग करने में उनके पसीने छूट जाते हैं। यही कारण है कि सरकारी आंकड़ों में ही 2500 सांड़ ऐसे हैं, जो बिना ईयर टैगिंग के घूम रहे हैं और इनकी ईयर टैगिंग करने की बात आते ही विभाग के अधिकारियों के माथे पर लकीरें खिंच जाती हैं।
उधर दूसरी तरफ गोवंश की रक्षा का बात कह चुके प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निराश्रित, बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना को मंजूरी दे चुके हैं। 2012 की पशुगणना के मुताबिक प्रदेश में 205.66 लाख गोवंश हैं।
इनमें 10-12 लाख निराश्रित गोवंश हैं। प्रदेश सरकार निराश्रित गोवंश के संरक्षण व भरण पोषण के लिए स्थायी-अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, गो संरक्षण केंद्र, गोवंश वन्य विहार, पशु आश्रय गृह संचालित कर रही है। इसके अलावा 523 पंजीकृत गोशालाओं को कुल संरक्षित गोवंश की संख्या के 365 दिनों के लिए 30 रुपये प्रति गोवंश अनुदान दिया जा रहा है।
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