Varanasi News: तेरह वर्षीय छात्र ने यूट्यूब पर देखकर बनाई मां की भव्य प्रतिमा, लोग कर रहे हैं तारीफ़

श्रेयांश विश्वकर्मा ने बताया कि लगभग चार-पांच साल से प्रतिमा बनाने का काम कर रहा है। उसने माता दुर्गा के साथ ही मां सरस्वती, माता लक्ष्मी, गणेश कार्तिक, महिषासुर राक्षस और उनके वाहन भी बनाए हैं।

Update: 2023-10-19 10:29 GMT

13 वर्षीय छात्रा ने यूट्यूब पर देखकर बनाई मां की भव्य प्रतिमा: Video- Newstrack

Varanasi News: इस समय सोशल मीडिया का समय चल रहा है। बच्चे भी सोशल मीडिया देखकर सिर्फ गलत कार्य ही नहीं अच्छे कार्य भी करते हैं। कुछ ऐसे ही बानगी छित्तुपुर क्षेत्र में देखने को मिली। मूर्तिकारों गुथी हुई मिट्टी से प्रतिमा को आकार देते हैं। इसमें कुछ ऐसे भी हैं जिनकी कलाकारी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है।बता दें कि प्रतिभा कमियों की मोहताज नहीं होती। पिताजी छोटी सी गोलगप्पे की दुकान चलते हैं परंतु बालक कुछ अलग करता है जिसको देखकर पास पड़ोस के लोग भी खिंचे चले आते हैं।

बिना फ्रेम के प्रतिमा बनाई

ऐसी ही प्रतिभा लंका क्षेत्र के छित्तुपुर गेट के समीप मूर्ति बनाने वाले 12 वर्षीय श्रेयांश में हैं। बिना फरमा (फ्रेम, सांचा) के ऐसी मूर्ति बनाता है कि लोग देखते ही रह जाएं। मझे हुए मूर्तिकार भी नहीं पहचान पाते कि बिना फ्रेम के प्रतिमा बनाई गई है। बालक के अंदर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने का गजब का जज्बा है। श्रेयांश विश्वकर्मा व उसका भाई किशन विश्वकर्मा साल भर जो जेब खर्च मिलता है, उसे इकट्ठा कर प्रतिमा बनाते हैं। मूर्ति इतनी भव्य बनाता है कि लोगों की निगाहें टिक जाती है। बिना फरमा का प्रयोग किए यह बालक जो मूर्ति बनाता है तो लगता ही नहीं है कि इसमें फरमा का प्रयोग नहीं किया होगा।

श्रेयांश विश्वकर्मा ने बताया कि लगभग चार-पांच साल से प्रतिमा बनाने का काम कर रहा है। उसने माता दुर्गा के साथ ही मां सरस्वती, माता लक्ष्मी, गणेश कार्तिक, महिषासुर राक्षस और उनके वाहन भी बनाए हैं। मूर्ति को बनाने में 20 दिनों का समय लगता है। शंकर जी, दुर्गा जी, गणेश जी, भैरव जी, हनुमान जी सहित कई मूर्तियां बनाई है।

पैसों की मांग नहीं करते

बताया कि मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी, दफ्ती, कागज, मोती, पुआल सहित अन्य सामान दुकान से लाते हैं। इसके साथ ही माता को सजाने के लिए किरकिरी, स्टोन, धोती सहित अन्य सामान भी लाते हैं। लगभग 4 फीट तक की प्रतिमा बनाता है। नौ दिनों तक इसकी पूजा-अर्चना करने के बाद इसे विसर्जित कर दिया जाता है। श्रेयांश के पिता राजेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि हमारा पानीपुरी का दुकान है। बेटा मोबाइल से देखकर इस तरह की मूर्तियां बनाना प्रारंभ किया था। लोगों को निशुल्क मूर्ति बना कर देता है। इसके लिए पैसों की मांग नहीं करते, यदि किसी ने कुछ पैसे दे दिए तो मना भी नहीं करते।

पड़ोस में रहने वाली बेबी कुशवाहा ने बताया कि श्रेयांश मेरा पड़ोसी है। उन्होंने कहा कि जब भी मैं श्रेयांश को मूर्ति बनाने के लिए बोलती हूं जो यह बालक हमको बनाकर मूर्ति देता है। अक्सर ही हम इस बच्चे से मूर्ति बनवाते हैं। श्रेयांश विश्वकर्मा के पिता जो गोलगप्पे की दुकान चलाते हैं उन्होंने बताया कि किशन पढ़ाई के साथ ही पहले यूट्यूब पर देखकर छोटी-छोटी प्रतिमाएं हाथ से बनता था धीरे-धीरे श्रेयांश अब बड़ी मूर्ति बनाने लगा है लगभग 4 सालों से नवरात्र में दुर्गा जी के साथ ही गणेश कार्तिकेय सरस्वती शेर महिषासुर का मूर्ति बनाने लगा है हम लोग भी बच्चों का आर्थिक रूप से पूरा सहयोग करते हैं दोनों बच्चे मिलकर यह मूर्ति बनाते हैं और 9 दिनों तक यहां पर पास पड़ोस के लोग दर्शन पूजन के साथ ही विभिन्न कार्यक्रम करते हैं।

Tags:    

Similar News