श्रद्धांजलि: नहीं रहा उपन्यासों का बादशाह, शोक में डूबा वेद प्रकाश शर्मा का शहर
साल 1993 में प्रकाशित वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास 'वर्दी वाला गुंडा' की पहले ही दिन 15 लाख प्रतियों की बिक्री हुई थी। इसकी अभी तक आठ करोड प्रतियां बिक चुकी हैं।
मेरठ: उपन्यासों के बादशाह वेदप्रकाश शर्मा के निधन से मेरठ में शोक की लहर है। अपने शहर मेरठ में वेद प्रकाश को लेखनी और साहित्य का सिकंदर कहा जाता था। शहर में जो भी बुक स्टॉल लगता था, उनके उपन्यासों की एडवांस बुकिंग होती थी। उन्हें वर्दी वाला गुंडा से प्रसिद्धि मिली थी।
थम गया सिलसिला
-प्रख्यात उपान्यासकार वेद प्रकाश शर्मा ने शुक्रवार रात 11 बजकर 50 मिनट पर शास्त्रीनगर आवास पर अंतिम सांस ली। वह 62 साल के थे।
-शर्मा लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। शनिवार सुबह 11 बजे सूरजकुंड स्थित शमशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
-वेद प्रकाश शर्मा की अंतिम यात्रा में पूरा शहर उमड़ पड़ा।
-व्यवहारशील वेद प्रकाश का जन्म बुलंदशहर के बिहरा गांव में 6 जून 1955 को हुआ था।
-उनके परिवार में पत्नी मधु शर्मा, पुत्र शगुन शर्मा, बेटियां करिश्मा, गरिमा और खुशबू हैं।
-वेद प्रकाश की मौत के बाद शास्त्रीनगर स्थित उनके आवास पर गम का माहौल है।
परिवार को संभाला
-वेदप्रकाश शर्मा को बचपन से ही उपन्यास पढने का शौक था।
-1972 में हाईस्कूल की परीक्षा देकर जब वह अपने पैतृक गांव बिहरा, बुलंदशहर गए थे, तो अपने साथ करीब एक दर्जन किताबें और उपन्यास लेकर गए थे।
-किताबें पढने के बाद यहीं से उनके उपन्यास लेखन का सिलसिला शुरू हो गया था।
-वेदप्रकाश का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। पिता की गैगेरिन से मौत और बडे भाई की मौत के बाद उन्होंने ही परिवार को सहारा दिया।
पहले ही दिन हुआ नाम
-साल 1993 में प्रकाशित वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास 'वर्दी वाला गुंडा' की पहले ही दिन 15 लाख प्रतियों की बिक्री हुई थी।
-यही नहीं, जिन लोगों को प्रतियां नहीं मिलीं, वे बहुत निराश हुए थे।
-उनके प्रमुख और चर्चित उपन्यासों में वर्दी वाला गुंडा, केशव पंडित, बहू मांगे इंसाफ, दहेज में रिवॉल्वर, तीन तिलंगे, डायन, भस्मासुर, सुपरस्टार, पैंतरा, सारे जहां से उंचा, रैना कहे पुकार के, मदारी, क्योंकि वो बीवियां बदलते हैं, कुबडा, चक्रव्यूह, शेर का बच्चा, सबसे बडा जासूस, रणभूमि, लाश कहां छुपाऊं, कफन तेरे बेटे का, देश न जल जाए, सीआईए का आतंक, हिंद का बेटा, कर्फ्यू, बदसूरत, चकमा, गैंडा, अपराधी विकास, सिंगही और मर्डर समेत करीब 250 उपन्यास शामिल हैं।
करोड़ों प्रतियां
-पहली बार उपन्यास 1973 में 'आग के बेटे' छपा और मुख्य पेज पर पूरा नाम छपा।
-उनके उपन्यास पहले पचास हजार और फिर एक लाख छपने लगे।
-उनके 100वें उपन्यास 'कैदी नंबर 100' की ढाई लाख प्रतियों की बिक्री हुई।
-1985 में खुद तुलसी पॉकेट बुक्स के नाम से प्रकाशन शुरू किया। और 70 उपन्यास छापे।
-सबसे अधिक लोकप्रियता वर्ष 1993 में 'वर्दी वाला गुंडा' से मिली, जिसकी अभी तक आठ करोड प्रतियां बिक चुकी हैं।
फिल्म और सम्मान
-तीन नवंबर 1993 को रिलीज हुई फिल्म 'अनाम' की पटकथा वेद प्रकाश शर्मा ने लिखी।
-9 जून 1995 को रिलीज हुई फिल्म 'सबसे बडा खिलाड़ी' उनके उपन्यास 'लल्लू' पर आधारित थी।
-'इंटरनेशनल खिलाड़ी' की कहानी भी वेदप्रकाश शर्मा ने लिखी। जो कि 26 मार्च 1999 को रिलीज हुई और दर्शकों में खूब चर्चित रही।
-वेदप्रकाश शर्मा को साल 1992 और 1994 में मेरठ रत्न अवार्ड, वर्ष 1995 में नटराज अवार्ड और वर्ष 2008 में नटराज भूषण अवार्ड से नवाजा गया।
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