Veerangana Avantibai Lodhi : लोगों को मैंने ही विद्रोह के लिए उकसाया, भड़काया, बयान से अंग्रेज अफसर रह गया अवाक
Revolution Of 1857: वीरांगना अवंतीबाई किसी जाति विशेष के उत्थान के नहीं लड़ी थीं बल्कि वो तो अंग्रेजों से अपने देश की स्वतंत्रता और हक के लिए लड़ी थीं।
Veerangana Avantibai Lodhi : 1857 क्रांति (Revolution Of 1857) की प्रथम महानायिका रामगढ़ मंडला मध्यप्रदेश की महारानी वीरांगना अवंती बाई लोधी (Maharani Veerangana Avanti Bai Lodhi) का 164 वाँ बलिदान दिवस (sacrifice day) देश भर में मनाया गया। जनपद में भी जगह-जगह हवन यज्ञ कर वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी के शौर्य की गाथा सुनाई और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
डिबाई स्तिथ भीमपुर दौराहे बीजेपी (BJP) सांसद डा भोला सिंह, विधायक सीपी सिंह ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ वीरांगना अवंती बाई लोधी की मूर्ति पर माला अर्पण करने के बाद हवन किया वही स्याना स्थित स्वर्गीय कल्याण सिंह पार्क में बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी एवं पूर्व राज्यमंत्री डॉ राजीव सिंह लोधी के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने हवन कर वीरांगना अवंतीबाई लोधी के शौर्य का गुणगान किया और उनके पद चिन्हों पर चलने का आह्वान किया। साथ ही बीजेपी नेता डॉ राजीव लोधी ने कहा की आज ऐसी वीरांगना का बलिदान और जन्मदिवस उनकी जाति (लोधी) के ही कार्यक्रम बनकर रह गए हैं।
वीरांगना अवंतीबाई स्वतंत्रता और हक के लिए लड़ी थीं अंग्रेजों से
वीरांगना अवंतीबाई किसी जाति विशेष के उत्थान के नहीं लड़ी थीं बल्कि वो तो अंग्रेजों से अपने देश की स्वतंत्रता और हक के लिए लड़ी थीं। जब रानी वीरांगना अवंतीबाई अपनी मृत्युशैया पर थीं तो इस वीरांगना ने अंग्रेज अफसर को अपना बयान देते हुए कहा कि 'ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मैंने ही विद्रोह के लिए उकसाया, भड़काया था उनकी प्रजा बिलकुल निर्दोष है।'
'ऐसा कर वीरांगना अवंतीबाई लोधी (Veerangana Avanti Bai Lodhi) ने हजारों लोगों को फांसी और अंग्रेजों के अमानवीय व्यवहार से बचा लिया। मरते-मरते ऐसा कर वीरांगना अवंतीबाई लोधी ने अपनी वीरता की एक और मिसाल पेश की। वहीं स्याना के चित्सोना गांव में बीजेपी नेता राजपाल लोधी के आवास आयोजित वीरांगना अवंती बाई लोधी बलिदान दिवस कार्यक्रम में भारी संख्या में पहुंचे लोगों ने अवंती बाई लोधी का बलिदान दिवस मनाया इस दौरान राजपाल लोधी ने कहा कि शौर्य साहस की प्रतिमूर्ति वीरांगना अवंती बाई लोधी के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता सदैव हम को उनके बलिदान से प्रेरणा लेने के साथ-साथ सीखने की भी आवश्यकता है।
धन्य है वह वीरांगना
वहीं डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन बुलंदशहर के महासचिव जितेंद्र लोधी एवं अधिवक्ता विजय लोधी ने कहा कि निःसंदेह वीरांगना अवंतीबाई का व्यक्तिगत जीवन जितना पवित्र, संघर्षशील तथा निष्कलंक था, उनकी मृत्यु (बलिदान) भी उतनी ही वीरोचित थी। धन्य है वह वीरांगना जिसने एक अद्वितीय उदहारण प्रस्तुत कर 1857 के भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में 20 मार्च 1858 को अपने प्राणों की आहुति दे दी।
पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य घनश्याम वर्मा (Ghanshyam Verma, member of the Backward Classes Commission) ने कहा की ऐसी वीरांगना का देश की सभी नारियों और पुरुषों को अनुकरण करना चाहिए और उनसे सीख लेकर नारियों को विपरीत परिस्थितियों में जज्बे के साथ खड़ा रहना चाहिए और जरूरत पड़े तो अपनी आत्मरक्षा अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए वीरांगना का रूप भी धारण करना चाहिए। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला अध्यक्ष किशोर लोधी ने कहा कि वीरांगना अवंती बाई लोधी देश की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए लड़ी थी। इसी के साथ बुलंदशहर में वीरांगना अवंती बाई लोधी का बलिदान दिवस मनाया गया जिसमें लक्ष्य समिति के जिला अध्यक्ष सुनील लोधी महामंत्री सतपाल सिंह समेत दर्जनों लोग शामिल रहे।
वीरांगना अवंतीबाई लोधी की उपेक्षा होती रही है
उन्होंने कहा कि आज उसी वीरांगना की शहादत की उपेक्षा देखकर दुःख होता है। कहा जाता है कि वीरांगना अवंतीबाई लोधी 1857 के स्वाधीनता संग्राम के नेताओं में अत्यधिक योग्य थीं। वीरांगना अवंतीबाई लोधी का योगदान भी उतना ही है, जितना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का था। लेकिन हमारे देश की सरकारों ने चाहे केंद्र की जितनी सरकारे रही हैं या राज्यों की जितनी सरकारें रही हैं उनके द्वारा हमेशा से वीरांगना अवंतीबाई लोधी की उपेक्षा होती रही है। वीरांगना अवंतीबाई जितने सम्मान की हकदार थीं वास्तव में उनको उतना सम्मान नहीं मिला। इससे देश के इतिहासकारों और नेताओं की विरोधी मानसिकता झलकती है।