UP Panchayat Election: CM YOGI के इस अभियान का असर, सूबे की सियासत में 53.7 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी

प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तीकरण अभियान का असर सभी ओर दिखाई देने लगा है। इस अभियान के चलते यूपी की पंचायतों का परिदृश्य बदला है। देखें रिपोर्ट-

Newstrack :  Network
Published By :  Satyabha
Update:2021-07-14 20:39 IST

यूपी पंचायत चुनाव 2021 फोटो- सोशल मीडिया

UP Panchayat Election: प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तीकरण अभियान का असर सभी ओर दिखाई देने लगा है। इस अभियान के चलते यूपी की पंचायतों का परिदृश्य बदला है। अब पंचायतों में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा है। कुछ वर्ष पहले तक सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में इलाके के सबसे बुजुर्ग को पंचायत की कमान सौंपना सबसे तसल्लीबख्श काम माना जाता था, वहीं अब ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर महिलाओं को बढ़चढ़ कर जिम्मेदारी सौपी गई है।

इस बदले माहौल के चलते इस बार ग्राम प्रधान के पद पर 31,212 ब्लाक प्रमुख के पद पर 447 और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर 42 महिलाएं चुनाव जीती हैं। ग्रामीण लोकतंत्र और आपसी भाईचारे को मजबूत करने की यह एक शानदार पहल है। काबिल-ए-गौर की बात यह भी है कि प्रदेश की पंचायतों में महिलाओं का एक तिहाई आरक्षण है, लेकिन सभी छोटे बड़े पदों पर उनकी मौजूदगी कोटे से ज्यादा है।

प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ

यूपी के इतिहास में यह पहल अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में जीत हासिल की है। पंचायत चुनावों के पुराने इतिहास को देखे तो इस बार पंचायत चुनावों में हर स्तर पर महिलाओं ने जीत का परचम फहराया है। महिलाओं की इस जीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ CM Yogi Adityanath) द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तीकरण अभियान और गांवों में कराए जा रहे विकास कार्यों की अहम भूमिका रही है।

शहर से लेकर गांव तक महिलाएं जागरूकत

महिला सशक्तीकरण अभियान के चलते शहर से लेकर गांवों में महिलाओं में जागरूकता आयी। उन्होंने (महिलाओं) पंचायत चुनावों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और ग्रामीण जनता ने उन्हें जीतने में संकोच नहीं किया। ग्रामीणों के मिले आशीर्वाद के चलते ही ग्राम प्रधान के 58,176 पदों में से 31,212 पदों पर महिलाओं ने जीत हासिल की। पंचायत चुनावों के नतीजों के अनुसार इस बार निर्वाचित प्रधानों में से 53.7 प्रतिशत यानि 31,212 महिलाएं हैं। जबकि ग्राम प्रधान के 26,955 पदों पर पुरुष जीते हैं। अखिलेश सरकार में 25,809 महिलाएं ही ग्राम प्रधान का चुनाव जीती थी।  

सियासत में महिलाओं का दबदबा

इस बार हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 (Three Tier Panchayat Elections 2021) के नतीजों पर गौर करें तो स्थानीय सियासत में महिलाओं के बढ़ते दबदबे की तस्वीर साफ होती है। सूबे की 75 जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों में से 42 पर महिलाओं का कब्जा हुआ है, जबकि एक तिहाई आरक्षण कोटे के अनुसार उनकी हिस्सेदारी 24 पदों तक होती है। राज्य मंत्री स्तर वाले इन पदों पर महिला प्रतिनिधित्व 56 प्रतिशत है। जिला पंचायत अध्यक्ष के 33 पदों पर पुरुषों को जीत हासिल हुई है। अब पंचायतों के दूसरे अहम पद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुखों की बात करें तो यहां पर भी महिलाएं आगे हैं। ब्लाक प्रमुख के कुल 825 पदों में से 447 पर महिलाएं ही आसीन हुई हैं। उनकी यह हिस्सेदारी भी 54.2 प्रतिशत है। ब्लाक प्रमुख के 378 पदों पर पुरुष जीते हैं, उनकी यह हिस्सेदारी 45.8 प्रतिशत है।

महिला प्रतिनिधित्व 53.7 फीसदी

कुल मिलाकर देखें तो सूबे की पंचायतों में महिला प्रतिनिधित्व 53.7 फीसदी है जो एक तिहाई आरक्षण कोटे से कहीं अधिक है। जबकि कई राज्यों में 50 प्रतिशत आरक्षण होने के बाद भी देश में महिलाओं का औसत प्रतिनिधित्व 36.87 फीसदी ही है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ चुनाव जीतने की वजह से ही महिलाओं का दबदबा बढ़ा है। सार्थक पक्ष यह है कि उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएं भी पंचायतों का नेतृत्व संभालने के लिए आगे आईं हैं।

'पढ़ी-लिखी महिलाओं को राजनीति में आना चाहिए'

पहली बार ग्राम प्रधान बनी आगरा के बड़ागांव ग्राम की शिक्षित बेटी कल्पना सिंह गुर्जर (Kalpana Singh Gurjar) मानती हैं कि यदि परिवार की परिस्थिति अनुकूल हो तो पढ़ी-लिखी महिलाओं को नौकरी करने के बजाए राजनीति में आना चाहिए। वे समाज के बारे में बेहतर ढंग से सोच सकतीं हैं। इसी सोच के तहत इस बार पंचायत चुनावों में स्वयं सहायता समूह की कुल 3521 महिलाओं ने विभिन्न पदों के लिए तकदीर को आजमाया था, जिसमें से 1534 ने चुनाव जीती हैं। इनमें से तमाम महिलाओं का कहना है कि मेहनत से इस मुकाम पर पहुंचने के बाद अब वह गांवों में विकास कार्य कराने के साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित करेंगी, ताकि समाज में आ रहे बदलाव को तेज किया जा सके।

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