Women Safety in UP: शर्मशार होती कानून व्यवस्था, तार-तार होती नारी अस्मिता

Women Safety in UP: महिलाओं के साथ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी का दूसरा नंबर है।

Report :  Jyotsna Singh
Update:2022-09-20 22:16 IST

Women Safety। (Social Media) 

Women Safety in UP: आखिर कब तक चलेगा ये प्रतिशोध, नारी रूप में जन्म लेना क्या अभिशाप है। मां के गर्भ से ही लड़की होने की सजा भुगतने वाला मासूम बचपन पग-पग पर आखिर कितनी यातनाएं सहेगा और क्यूं? नौ दिन तक जिस मां शक्ति की अराधना करने वाला हमारा समाज आखिर एक नारी में उस शक्ति का आभास क्यों नहीं करता है, या फिर यूं कहा जाय की इस स्वार्थी दुनियां में बस स्वार्थ सिद्धी और मुनाफे का ही सारा महिमामंडप है, चूंकि मां शक्ति स्वरूपा अत्यंत शक्तिशाली और अपने भक्तों की मनमुताबिक इच्छाओं को पूरा कर देने का अलौकिक सामर्थ्य रखती हैं, इसलिए पूजनीय हैं, अगर ये शक्ति उनके पास न होती तो क्या होता ये बस समझने की बात है।

खैर यहां पर चिंता की बात यह है कि तेज़ी से सभ्य एवं शिक्षित समाज की संरचना में आगे बढ़ता हमारा राष्ट्र लिंग भेद के दंश से अभी उबर नहीं पाया है। तमाम कानूनी कवायतों के बाद भी भ्रूण हत्या से लेकर महिला हिंसा की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया है।

औरतों की अस्मत का सरेआम लूटा जाना- एक घिनौना और त्रासद काला पृष्ठ

औरतों की अस्मत का सरेआम लूटा जाना- एक घिनौना और त्रासद काला पृष्ठ है। महिलाओं के साथ दुर्दांत हिंसक घटनाओं ने समाज में खौफ पैदा करने का काम किया है। हम सभी कल्पना रामराज्य की करते हैं, पर रच रहे हैं महाभारत। जहां न कोई गीता सुनाने वाला है, न सुनने वाला। बस, हर कोई द्रोपदी का चीरहरण कर नारी की अस्मिता को तार -तार कर रहा है।

इस समय सारा देश चारित्रिक संकट में है। हमारी सरकार देश की अस्मिता और अस्तित्व के तार-तार होने की घटनाओं पर भी कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। यही वजह है की महिलाओं के साथ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी का दूसरा नंबर है।

हाथरस

यूपी के हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ सन 2020 में गैंगरेप हुआ था। इस केस ने पूरे देश को हिला दिया था। इस घटना के साथ पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार ने जिस प्रकार का रवैया अपनाया उसे देखकर इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया जाना स्वाभाविक है।

अयोध्या

इसी तरह की 2022 में अभी हाल ही में महिला हिंसा की घटना अयोध्या जनपद के महाराजगंज थाना क्षेत्र के गोहन गांव में हुई, यहां दुष्कर्म के प्रयास में असफल रहने पर शत्रुघ्न नामक युवक ने एक छात्रा का गला काट दिया जिसने लखनऊ मेडिकल कॉलेज में आखिरकार दम तोड़ दिया। लोगों ने बाद में उसका शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया था।

बीकापुर

वहीं दूसरी घटना कोतवाली बीकापुर के मरुई सहाय गांव की है, जहां बीकापुर बाजार से गांव जा रही दो सगी बहनों को पड़ोसी गांव के तीन युवक मुंह में कपड़ा बांधकर गन्ने के खेत में खींच ले गए और इनके साथ दुष्कर्म किया। इसमें से एक युवती नाबालिक है। किसी से कुछ न कहने की धमकी देकर आरोपी युवकों ने इन्हें छोड़ दिया। डरी सहमी घर पहुंची युवतियों ने अपने पिता को आपबीती बताई। जिसके बाद पिता ने कोतवाली बीकापुर में तहरीर दी। इसके बाद पुलिस ने दो नामजद व एक अज्ञात के खिलाफ गैंगरेप, एससी एसटी एक्ट व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दो टीमें गठित की गई हैं।

कौशांबी

यूपी के कौशांबी में गुंडे कितने बेखौफ हो गए हैं, इसका उदहारण हाल ही देखने को मिला। यहां बाइक सवार बदमाश ने एक महिला बैंक मैनेजर के ऊपर तेजाब से हमला कर दिया। हमले में स्कूटी सवार बैंक मैनेजर गंभीर रूप से झुलस गई। घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गया। चीख-पुकार सुन मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने बैंक मैनेजर को इलाज के लिए नजदीक के निजी अस्पताल में भर्ती कराया. सूचना मिलने के बाद चरवा पुलिस मौके पर पहुंची और घटना की छानबीन शुरू कर दी।

झारखंड

दुमका में एक मनचले युवक ने 17 साल की बारहवीं की छात्रा को जिंदा जला दिया। 17 साल की अंकिता सिंह गर्ल्स हाई स्कूल में 12वीं में पढ़ती थी। खर्च चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाती थी । हर महीने एक हजार रुपये कमाती थी। अंकिता बड़ी होकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहती थी। अंकिता को जलाने का आरोप शाहरुख पर है।

बहराइच

शहर में कोचिंग से लौट रही इंटरमीडिएट की एक छात्रा पर एक अधेड़ व्यक्ति ने ज्वलनशील पदार्थ फेंका, जिससे उसका माथा और हाथ झुलस गया है। लड़की को तुरंत अस्‍पताल पहुंचाया गया। यह घटना सीसीटीवी पर कैद हो गई। स्थानीय नागरिकों और पुलिस बताया किशोरी को तत्काल अस्पताल पहुंचाया जहां उसकी हालत सामान्य बताई जा रही है। आरोपी के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जा रही है।

इस तरह की बेलगाम घट रही महिला हिंसा घटनाओं के बाद यह यह प्रश्न खड़ा किया कि पुलिस प्रशासन महिलाओं के साथ हो रही हिंसा और हत्याओं जैसी वारदातों से जरूरी सबक सीखने के बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया या फिर इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया।

कहीं ऐसा तो नहीं कि हर एक वारदात के बाद महिला हिंसा पर लगाम लगाने के जो दावे किए गए थे, वे आधे-अधूरे या फिर खोखले वादे भर थे? इन सवालों का जवाब जो भी हो, पर यह बात पूरी तरह साफ है कि उत्तरप्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की साख एक ऐसे समय संकट में है, जब सरकार आजादी के 75 साल पूरे होने को लेकर जश्न मना रही है। लेकिन यह कैसी आजादी, यह कैसा जश्न जहां जहां मां, बहन, बेटियां सुरक्षित न हों।।

प्रश्न है कि आखिर हम कब औरत की अस्मत को लूटने की घटना और मानसिकता पर नियंत्रण कर पाएंगे? अब मात्र विकल्प बचता है कि 'औरत' को ही 'औरत' के लिए जागना होगा।

महिला हिंसा पर सरकार की चुप्पी, उदासीनता एव अनदेखी भीतर-ही-भीतर आधी आबादी के भीतर एक आक्रोश पैदा कर रही है, यह आक्रोश कब एक विकराल रूप धर महाक्रांति का बिगुल फूंक दे कहा नहीं जा सकता। विश्वपटल पर सुसंस्कृत एवं सभ्य देश में महिलाओं के साथ अनवरत घट रही हिंसक घटनाएं देश कि छवि का बार-बार शर्मनाक होना ही कहा जाएगा।

बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का दंभ भरने वाली कम से कम भाजपा शासित राज्य सरकारों के मामले में तो सरकार को यह सुनिश्चित करना ही चाहिए कि वे महिला सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को लेकर पर्याप्त सजगता का परिचय दें। यह महज दुर्योग नहीं हो सकता कि उत्तरप्रदेश के साथ झारखंड सरकार भी इन दिनों कानून एवं व्यवस्था को लेकर गंभीर सवालों से दो-चार है।

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