हर जिले में 2 समाज कल्याण अधिकारी, एक पर काम का बोझ दूसरे के पास टोटा

Update:2016-04-29 18:01 IST

लखनऊ: समाज कल्याण विभाग में 156 जिला समाज कल्याण अधिकारियों का कैडर है। खास बात यह है कि विभाग के 2 जिला समाज कल्याण अधिकारी हर जिले में तैनात होते हैं। इनमें से एक को जिला समाज कल्याण अधिकारी और दूसरे को जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) के तौर पर जाना जाता है। जहां इनमें से एक अधिकारी के पास काम का ढेर होता है तो दूसरे अधिकारी के पास 'नाम' के बराबर काम है। ऐसे में इनको जिलों में रखे जाने को लेकर औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं।

फाइनली जो काम बंटवारा अप्रूव हुआ है, वह जारी किया गया : प्रमुख सचिव

-प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार के मुताबिक जिलों में 2 जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद कई सालों से सृजित हैं।

-इनके काम का बंटवारा भी पहले हुआ था।

-जब विभाग का कैडर रिवीजन हुआ तो 156 पद समाज कल्याण अधिकारी के सृजित हुए।

-इनमें से 75 जिलों में 2-2 समाज कल्याण अधिकारी हैं।

-उनका कहना है कि जब एक ही कैडर में इतने पद हैं तो एक ही आदमी काम के बोझ से दबता जाए और एक आदमी के पास बिल्कुल कम काम हो तो काम बंटवारे की फाइल अप्रूवल के लिए भेजी गई ​थी।

-इसमें जो अप्रूव हुआ, वह जारी किया गया है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी देखेंगे यह काम

-शासन के जारी आदेश के अनुसार जिला समाज कल्याण अधिकारी के पास दर्जन भर से अधिक योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होगी।

-समाजवादी पेंशन योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, पारिवारिक लाभ योजना, शादी योजना।

-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार उत्पीड़न योजना।

-वृद्ध एवं अशक्त एवं उप्र माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम के कार्य।

-राजकीय आश्रम पद्धति के विद्यालय का रख रखाव।

-विमुक्त जाति योजना से संबंधित कार्य।

-राजकीय उन्न्यन बस्ती/राजकीय औद्योगिक आस्थान।

-डिजिटल सिग्नेचर और आहरण वितरण अधिकारी का काम।

-पूर्वदशम छात्रवृत्ति योजना, दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना और अन्य अवशेष कार्य।

जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) को मिली यह जिम्मेदारी

-अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम से संबंधित सभी काम।

-नि:शुक्ल बोरिंग, स्वच्छकार विमुक्त एवं पुर्नवास योजना।

-मेरिट उच्चीकृत योजना व अनुदानित विद्यालयों तथा संस्थाओं का रख रखाव।

-पालीटेक्निक/आईटीआई, बुक बैंक योजना, डिजिटल सिग्नेचर।

माया सरकार में भी स्वास्थ्य महकमें ने एक जिले में बनाए थे दो सीएमओ

-बसपा सरकार में इसी तरह हर जिले में एक की जगह 2 सीएमओ बनाए गए थे।

-इनमें से एक सीएमओ परिवार कल्याण का पद सृजित किया गया था।

-इसी पद पर तैनाती को लेकर अधिकारियों में जंग छिड़ी रहती थी।

-इसी बीच सीएमओ डॉ. विनोद आर्या और डॉ. बीपी सिंह की हत्या हुई और कोर्ट के आदेश के बाद लगभग 5 हजार करोड़ के एनआरएचएम घोटाले की सीबीआई जांच शुरू हुई। जो अब भी जारी है।

 

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