लखनऊ: सतर्कता निदेशालय से जुड़े मामलों के विशेष जज आरके उपाध्याय ने मनी लांड्रिंग के एक मामले में निरुद्ध नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह व अन्य मुल्जिमों के खिलाफ दाखिल परिवाद पर शनिवार को संज्ञान लिया।
निदेशालय ने इस मामले में यादव सिंह की पत्नी व मेसर्स कुसुम गारमेंट्स की निदेशक कुसुमलता, मेसर्स एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के एमडी प्रदीप गर्ग, मेसर्स जेएसपी क्रास इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के एमडी पंकज जैन, मेसर्स तिरुपति इन्फ्रास्ट्रक्चर के मैनेजिंग पार्टनर विनोद कुमार गोयल के खिलाफ भी मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा तीन के तहत परिवाद दाखिल किया था।
विशेष अदालत ने परिवाद पर संज्ञान लेते इन सभी मुल्जिमों को जरिए समन 28 अगस्त को तलब किया है। इनमें मुल्जिम प्रदीप गर्ग व विनोद कुमार गोयल गाजियाबाद की डासना जेल में निरुद्ध हैं।
शनिवार को संज्ञान के मसले पर हुई सुनवाई के दौरान मुल्जिम यादव सिंह जेल से अदालत में व्हील चेयर पर उपस्थित था।
ईडी के वकील केपी सिंह के मुताबिक यादव सिंह पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे का चीफ इंजीनियर रहते हुए गैरकानूनी तरीके से इलेक्ट्रिक केबिल का टेंडर देने का आरोप है। जिसके चलते 19 करोड़ 42 लाख की आर्थिक क्षति हुई। इसी मामले में आठ अक्टूबर, 2015 को लखनऊ में ईडी ने भी यादव सिंह के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच शुरु की थी। 27 फरवरी, 2017 को इस मामले में मुल्जिम यादव सिंह को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया।