श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। बेलगाम नौकरशाही पर लगाम कसने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से अमल करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए दो साल में 600 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ की कार्रवाई की है। यह देश में किसी भी राज्य भी उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री ने अपराध रोकने में नाकाम अफसरों को हटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। योगी सरकार कड़े कदम उठाकर बिगड़ी नौकरशाही को पटरी पर लाने की कवायद कर रही है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि भ्रष्ट्राचार की शुरुआत सचिवालय से होती है जो जिलों और तहसीलों तक पहुंचती है। इसलिए सरकार गठन के बाद से ही वे सचिवालय में तैनात ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात लगातार कहते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सचिवालय प्रशासन की समीक्षा के दौरान कहा कि विधान भवन व सचिवालय से सम्बद्ध सभी भवनों में किसी बाहरी व्यक्ति को मोबाइल फोन लेकर आने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इन भवनों में सभी सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए कार्ययोजना पेश करने को भी कहा है। पिछले साल तीन निजी सचिवों की गिरफ्तारी के प्रकरण के बाद मुख्यमंत्री ने भ्रष्ट, दागी, संदिग्ध गतिविधि में लिप्त और शासन की मंशा के प्रतिकूल आचरण करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार करने को कहा था।
एक तीर से दो निशाना साधने की तैयारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तब कहा था कि अक्षम और कामचोर अफसरों और कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जाए। राज्य सरकार ने ऐसे कम से कम 25 हजार कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने का फैसला लिया है जिनकी उम्र 50 साल के ऊपर है और जिनका काम संतोषजनक नहीं है। समूह क से लेकर समूह घ तक के स्क्रीनिंग में फेल कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। सरकार की योजना है जिन कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जाएगा उनके स्थान पर तत्काल बेरोजगार युवाओं को नौकरी दी जाए। इससे सरकार एक तीर से दो निशाना साधने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों से भ्रष्टाचार में लिप्त दोषी व अक्षम अधिकारियों व कर्मचारियों की रिपोर्ट तलब कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने कहा है। साथ ही ऐसे लोगों को सेवा से बाहर करने को कहा है जो दोषी व अक्षम हैं।
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काम न करने वालों को रिटायरमेंट
शासनादेश में कहा गया है कि 50 वर्ष आयु के उन कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त दे दी जाए जो कार्य करने में अक्षम हैं। 50 वर्ष की आयु के निर्धारण के लिए कट ऑफ डेट 31 मार्च 2018 रखी गयी है। ऐसे सरकारी कर्मचारी जिनकी उम्र 31 मार्च 2018 को 50 वर्ष या इससे अधिक हो गयी है वे स्क्रीनिंग के इस शासनादेश के दायरे में आएंगे। अपर मुख्य सचिव के शासनादेश के मुताबिक नियुक्ति प्राधिकारी किसी भी समय, किसी स्थायी या अस्थायी सरकारी कर्मचारी को नोटिस देकर बिना कारण बताए अनिवार्य सेवानिवृत्त दे सकता है। इस नोटिस की अवधि तीन माह की होगी। खास बात यह है कि कर्मचारियों को सुनवाई का कोई मौका भी नहीं दिया जाएगा।
विशेष अभियान चलाकर भरे जाएंगे पद
राज्य सरकार की कामचोर अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देकर बेरोजगार युवकों को मौका देने की योजना है। खाली पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत कम से कम 25 हजार नई नौकरियों के द्वार खोलने की योजना है। इसके तहत एक तो सरकार अफसरों पर नकेल कसना चाहती है दूसरे खाली पदों पर बड़ी संख्या में नौकरियां देकर अपना वादा भी पूरा करना चाहती है। ऐसे फैसले 1986 से ही प्रचलन में रहे हैं, लेकिन इसे कभी ढंग से लागू नहीं किया गया है।
31 जुलाई तक पूरी होगी स्क्रीनिंग
अब सरकार इसके अनुपालन पर जोर दे रही है। विभागीय समीक्षा के बाद कर्मचारियों-अधिकारियों को सेवानिवृत्ति देने का काम हो रहा है। आदेश में कहा गया है कि अनिवार्य रिटायरमेंट के लिए सभी विभागाध्यक्ष 50 साल या उससे ऊपर की आयु के सभी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग 31 जुलाई 2018 तक पूरी कर लें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में वर्किंग कल्चर को सुधारने के लिए सीएम ने पहले ही कहा है कि काम न करने वाले और भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी सरकार के ऊपर बोझ न बनें।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति के इस आदेश के अलावा बेलगाम नौकरशाही पर लगाम कसने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने अफसरों को खुली छूट दे रखी है। प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों की परफॉरमेंस जांचने के लिए परिपत्र जारी किया है। इसमें प्राइवेट कंपनियों की तरह कर्मचारियों को केआरए भरा जाएगा। इसके तहत काम न करने वाले अभियंताओं और कर्मचारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कार्रवाई में यूपी सबसे आगे
सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा के मुताबिक योगी सरकार ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कार्रवाई की है वह देश में अब तक किसी भी प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से कहीं आगे है। उन्होंने बताया कि सरकार ने 200 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया है। सौ से अधिक अधिकारी अभी भी सरकार के रडार पर हैं। यह पहली सरकार होगी जिसने 600 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में कार्रवाई कर एक नजीर पेश की है। सरकार के राडार पर 100 से अधिक अधिकारी भी हैं, जिन पर आने वाले दिनों में एक्शन लिया जाएगा। दरअसल, इनमें ज्यादातर आईएएस और आईपीएस अफसर हैं, जिन पर फैसला केंद्र को लेना है। लिहाजा उन अफसरों की सूची केंद्र को भेज दी गई है।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद एक बार फिर विभागीय समीक्षा में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर विभाग के विकास कार्य को धरातल पर देखना चाहते हैं। विभागों की समीक्षा के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि अब बेईमान-भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। उन्हें तत्काल वीआरएस देकर नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो।मुख्यमंत्री ने जिन अधिकारियों की गतिविधियां संदिग्ध हैं और जिनके विरुद्ध शिकायतें दर्ज हैं उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने न्यायालयों से जुड़े मामलों का त्वरित समाधान करने के लिए भी कहा है ।
कार्रवाई में बाल विकास व पुष्टाहार विभाग सबसे आगे
योगी सरकार आने के बाद काम न करने वाले अधिकारियों कर्मचारियो को जबरन छुट्टी दिए जाने के मामले में सबसे पीछे बालविकास और पुष्टाहार विभाग है जहां पर केवल 11-11 कर्मियों को ही बाहर का रास्ता दिखाया गया है। जबकि भ्रष्ट्राचार और नकारापन के मामले में सबसे ऊपर गृह विभाग है जहां पर 51 कर्मियों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया। दूसरे नंबर पर राजस्व विभाग है जहां 36 लोगों को जबरन बाहर का रास्ता दिखाया गया। संस्थागत वित्त वाणिज्य और मनोरंजन कर विभाग में 16-16 लोग बाहर किए गए।इसी तरह वन्य एवं जीव विभाग में 11 लोग बाहर हुए। स्क्रीनिंग कमेटी ने 417 कर्मियीं को कड़ा दंड देने का काम किया। इनके खिलाफ वेतन वृद्धि रोकने, सेवा से हटाने और भविष्य में पदोन्नति न दिए जाने की संस्तुति की गई है। इसमें सबसे आगे ऊर्जा विभाग है। विभाग में ऐसे कर्मियों की संख्या 168 है। इनके साथ ही परिवहन विभाग के 37, बेसिक शिक्षा के 26, पंचायती राज के 25, पीडब्लूडी के 18, ग्राम्य विकास एवं रसद विभाग के 15-15, दुग्ध विकास के 14,चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास और बालविकास पुष्टाहार के 11-11 कर्मियों को इस श्रेणी में रखा गया है। बताया जा रहा है कि अभी और अधिकारियों-कर्मचारियों को सेवा से बाहर किया जाएगा।