Hardoi News: एग्जाम में बच्चे के नंबर आए कम, न करें उन्हें हतोत्साहित, जानिए क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
Hardoi News: हरदोई के मनोचिकित्सक डॉ. अविचल सिंह के मुताबिक अभिभावकों को बच्चों पर तंज नहीं कसना चाहिए। ये उनके अंदर नकारात्कता को भर देता है। जिसके चलते बच्चे अपने मार्ग व उद्देश्य से भटक ग़लत संगति की ओर जा सकते हैं। उनका मन धीरे-धीरे पढ़ाई से हटने लगता है।
Hardoi News: उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा का परिणाम इतनी जल्दी परीक्षार्थियों को देखने को मिला है। यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं का परिणाम मंगलवार को आने के बाद कुछ विद्यार्थियों के चेहरे खिल उठे तो कुछ विद्यार्थियों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिली। अक्सर देखा जाता है कि कम अंक लाने वाले विद्यार्थियों पर अभिभावकों द्वारा तुलनात्मक तंज कसा जाता है। लेकिन मनोविज्ञान के जानकारों के मुताबिक बच्चों को तुलनात्मक के बजाए प्रोत्साहित करने वाली बातचीत करनी चाहिए।
दोस्त की तरह बच्चों से बात करें अभिभावक
हरदोई के मनोचिकित्सक डॉ. अविचल सिंह के मुताबिक अभिभावकों को बच्चों पर तंज नहीं कसना चाहिए। ये उनके अंदर नकारात्कता को भर देता है। जिसके चलते बच्चे अपने मार्ग व उद्देश्य से भटक ग़लत संगति की ओर जा सकते हैं। उनका मन धीरे-धीरे पढ़ाई से हटने लगता है। अभिभावकों को कम अंक पाने वाले बच्चो को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। अभिभावकों को बच्चों से उनके मित्र के भांति बैठकर बात करनी चाहिए। अभिभावकों द्वारा बच्चों को और अच्छा परिणाम लाने के लिए उत्साहित करना चाहिए। कभी किसी दूसरे छात्र-छात्राओं से उनकी तुलना नहीं करनी चाहिए। कई बार अभिभावकों के ही दबाव में बच्चा अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पाता है, जिसके परिणाम स्वरूप उसके अंक कम रह जाते है।
बच्चे को अपनी मर्ज़ी का चुननें दें सब्जेक्ट
मनोवैज्ञानिक ने कहा कि कई बार बच्चे अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ सब्जेक्ट को नहीं चुन पाते हैं। जिसके पीछे अभिभावकों का दबाव होता है। ऐसे में बच्चे की रुचि कम हो जाती है और परीक्षा में उसको कम अंक प्राप्त होते हैं। अभिभावक चाहें तो ज़िला अस्पताल में मन कक्ष में अपने बच्चे की बुद्धिमता की जांच करा सकते हैं। बेड 4 और एक्ज़ीक्यूटिव फंक्शन जांच से बच्चे के मन की स्थिति को काफ़ी हद तक जांचा जा सकता है। पता चल सकता है कि वो अवसाद में तो नहीं है। अभिभावकों को एक सलाह है कि परीक्षा में कम अंक आने पर बच्चे को डांटे नहीं। इसका बड़ा गहरा असर बच्चे की मनोदशा पर पड़ता है।