’सेमिनारों से हल नहीं होगी प्रदूषण की समस्या’, जमीनी कार्रवाई की है आवश्यकता: कोर्ट

यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने सक्षम फाउंडेशन की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया।

Update: 2019-03-11 15:35 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश और खास तौर पर राजधानी लखनऊ में प्रदूषण की विकराल होती जा रही समस्या पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि लखनऊ दुनिया का नौवां सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया जा चुका है। इस परिस्थिति का सामना सेमिनारों आदि से नहीं किया जा सकता, इसके हल के लिए जमीनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

केार्ट ने पेट्रोल पम्पों से उठने वाले कैंसर कॉजिंग फ्युंस से निपटने के लिए मैकेनिज्म लागू किये जाने के सम्बंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही बोर्ड को इस मुद्दे के सम्बंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश भी दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने सक्षम फाउंडेशन की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया।

याचिका में पेट्रोल पम्पों से उठने वाले कैंसर कॉजिंग फ्युंस का मुद्दा उठाया गया है। मामले की सुनवाई के दौरान बोर्ड के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गव भी केार्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में उपस्थित रहे। हालांकि मामले के सम्बंध में उनके द्वारा दिये जवाब से केार्ट संतुष्ट नहीं दिखी। केार्ट ने कहा कि प्रदूषण मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है और ऐसे में इससे निपटना बोर्ड की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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सुनवाई के दौरान केार्ट ने पाया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्पष्ट आदेशों के बावजूद पेट्रोल पम्पों पर वेपर रिकवरी सिस्टम जैसे मैकेनिज्म उपयोग में नहीं लाए गए हैं। इस पर केार्ट ने केंद्र सरकार व बोर्ड को जवाब देने का आदेश दिया। साथ ही केार्ट ने इस विषय पर बोर्ड से विस्तृत रिपोर्ट भी तलब किया है। मामले की अग्रिम सुनवाई 27 मार्च को होगी।

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