पिथौरागढ़: उत्तराखंड के युवा लोक गायक पप्पू कार्की का रविवार को रामगंगा नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया। कार्की के दुनिया को अलविदा कहने के शोक में पाखू और थल बाजार को बंद रखा गया।
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लोक गायक पप्पू कार्की को उनके चचेरे भाई और चाचा ने मुखग्नि दी। इससे पहले जब पप्पू कार्की का शव उनके गांव सेलावन पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम हो उठी थी। इस युवा लोकगायक की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।
रविवार को हैड़ाखान के पास कार अनियंत्रित होकर खाई में गिर गर्इ। हादसे में युवा लोक गायक पप्पू कार्की समेत तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को कृष्णा अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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दरअसल, गोनियरो गांव में चल रही रामलीला में युवा महोत्सव मनाया जा रहा था । इसमें प्रस्तुति देने के लिए पिथौरागढ़ जिले के थल में रहने वाले युवा लोक गायक प्रमेन्द्र कार्की उर्फ पप्पू कार्की अपनी टीम के साथ गए थे। सुबह करीब तीन बजे तक युवाओं ने महोत्सव का लुत्फ उठाया।
कार्की के साथ दुर्घटना का शिकार बीटेक का छात्र पुष्कर छह बहनों में इकलौता भाई था। उसका नोएडा की एक कंपनी में नौकरी के लिए चयन हो गया था। उसकी मौत की खबर पाकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। पुष्कर पढ़ाई के साथ ही सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता था।
युवा महोत्सव 2018 के कार्यक्रम में पुष्कर को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। इसी कारण वह गांव के एक व्यक्ति की कार मांगकर पप्पू कार्की को छोड़ने के लिए जा रहा था।कार पुष्कर खुद चला रहा था। घायल अजय आर्या का कहना था कि कार के आगे पत्थर आने के कारण गाड़ी अनियंत्रित हो गई जबकि अन्य लोगों का कहना था कि रात के कार्यक्रम में जागने के कारण पुष्कर को झपकी आ गई थी। 1984 में जन्मे पप्पू कार्की के किसान पिता कृष्ण कार्की का करीब डेढ़ साल पहले निधन हो चुका था। पप्पू परिवार के इकलौते चिराग थे।वह अपनी पत्नी कविता एवं पांच वर्षीय पुत्र दक्ष के साथ हल्द्वानी में किराए के मकान में रहते थे। गांव में उनकी मां कमला देवी, चाचा हनुमान कार्की, चाची देवकी देवी, अन्य दो दिवंगत चाचाओं का परिवार रहता है। पप्पू कार्की की 30 वर्षीय बहन कुंती का विवाह भैंस्कोट गांव में हुआ है।