Diamond Rain Andhra Pradesh: आंध्र में मानसून लाता है साथ में बेशकीमती पत्थर
Andhra Pradesh Diamond Rain: हाल ही में तीन 'हीरे के शिकारियों' ने जोन्नागिरी गांव में करीब ढाई करोड़ रुपये की कीमत के पत्थर पाए।
Diamond Rain Andhra Pradesh: हमारे यहाँ तीन मौसम होते हैं। जाड़ा, गर्मी और बरसात। किसी को जाड़ा पसंद है। किसी को गर्मी । किसी को बरसात। बहुत ढेर सारे लोग ऐसे भी हैं जब जाड़ा आता है तो उन्हें गर्मी और बरसात अच्छी लगने लगती है। बरसात आती है तो जाड़ा और गर्मी अच्छा लगने लगता है। और गर्मी आती है तो जाड़ा और बरसता उन्हें अच्छा लगने लगता है। यानी वो जिस मौसम में होते है, वो मौसम उन्हें अच्छा नहीं लगता है। आम तौर पर बरसता जून के महीने में शुरु होती है। जुलाई के महीने तक जारी रहती है।कई बार अगस्त में भी बारिश का चलन है। बारिश किसानों के लिए बहुत ख़ुशी लेकर के आती है। खेती किसानी लहलहा उठती है। किसान इसलिए ख़ुश हो जाते हैं कि समय पर बारिश ने उन्हें सिंचाई से मुक्त कर दिया। उनकी फसलों का उत्पादन बहुत अच्छा होगा।
लेकिन आप को यह जानकरके हैरत होता कि आंध्र प्रदेश के बहुत से इलाकों ऐसे हैं, जहां लोग बारिश से इसलिए खुश नहीं होते कि फसल लहलहा उठेगी।बल्कि उनकी ख़ुशी का सबब यह होता है कि बारिश इस बार बेशक़ीमती पत्थर उस इलाक़े में लायेगी। बेशक़ीमती पत्थर की तलाश में ढेर सारे लोग जुटेंगे। बेशक़ीमती पत्थर जिसके हाथ लग जायेगा , उसकी क़िस्मत बदल जायेगी। यह इलाक़ा है आंध्र प्रदेश के रायलसीमा रीजन का। जहां बारिश बेशक़ीमती पत्थर लाती है। बारिश खेतों मैदानों में ज़मीन की ऊपरी परत को धो देती है। जगह जगह हीरे जैसे चमकदार पत्थर ऊपर आ जाते है।यदा कदा इनमें कई पत्थर काफ़ी क़ीमती भी निकल आते हैं। क्षेत्र में ऐसे कई क़िस्से प्रचलित है कि क़ीमती पत्थरों ने किस तरह किसी क़िस्मत कब बदल दी।
इन्हीं क़िस्सों से प्रभावित होकर के आंध्र प्रदेश और पड़ोस के राज्यों में बारिश के तौर में लोग बेशक़ीमती पत्थर तलाशने खेतों में निकल पड़ते है। इस तरह की खोज के लिए अनंतपुर और कुरनूल जिले काफी प्रसिद्ध हैं। कुरनूल जिले की सीमा पर स्थित जोन्नागिरी और वज्रकरूर गांवों के क्षेत्रों में कीमती पत्थर काफी पाए जाते हैं।
जगह जगह से आये "हीरे के शिकारी" गूटी शहर में किसी लॉज और होटलों में रुकते हैं। लंबे समय तक प्रवास करते हैं।इन होटलों व लाजों में रुकने के बाद वे बारिश का इंतज़ार भी करते है। ये शिकारी बारिश के मौसम में बारिश होते हुए या बारिश के तुरंत बाद सुबह छह बजे उतर पड़ते हैं। रात आठ बजे तक बेशक़ीमती पत्थर तलाशते हैं।
हाल ही में तीन 'हीरे के शिकारियों' ने जोन्नागिरी गांव में करीब ढाई करोड़ रुपये की कीमत के पत्थर पाए। लोकल लोगों के अनुसार, पूरा ऑपरेशन आम तौर पर एक रहस्य होता है। जो लोग कीमती पत्थरों को ढूंढते हैं । उन्हें उनके वास्तविक मूल्य के बारे में पता ही नहीं होता है। असली कीमत तो पत्थर को खरीदने वाला व्यापारी लगाता हैं। कई बार व्यापारी उन्हीं पत्थरों की क़ीमत ऐसी लगा देते हैं कि जो पत्थर ढूँढ कर लाता होता है, वो ठगा सा रह जाता है।
बारिश के सीजन में बहुत से लोग पूरे परिवार सहित अनंतपुर और कुरनूल जिलों के कई स्थानों में हीरे की खोज के लिए डेरा जमा लेते हैं। जून से सितंबर के बीच लोग तंबुओं में रहते हैं। कीमती पत्थर खोजते हैं। बहुत से लोग हीरे के तलाश में प्राचीन मंदिरों के आसपास अपना ध्यान केंद्रित कर लेते हैं । क्योंकि ऐसा माना जाता है कि विजयनगर साम्राज्य के राजा श्रीकृष्णदेवराय ने अपना बहुत सा ख़ज़ाना मंदिरों में छुपा कर के रखा था। कुछ साल पहले, विदेशी फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमाम लोग अमेरिका और ब्रिटेन से इस इलाक़े में बारिश के दिनों में आये थे। उन्होंने यहाँ उत्खनन का काम किया। उनकी टीम ने भी यहाँ पत्थर तलाशे। और पत्थर मिलने के राज पर काम किया। एक विदेशी कंपनी ने नल्लामाला जंगल के पास महानंदी और महादेवपुरम में 50 एकड़ की जमीन पट्टे पर ली है। बीते पाँच सालों में इस इलाक़े में पत्तर मिलने की कहानी दूर दूर तक फैल गयी है। ऐसे में यहाँ सैलानियों का बारिश के दिनों में आना न केवल बढ़ गया है, बल्कि खुदाई के लिए अब बढ़े बड़े यंत्र भी इस्तेमाल होने लगे हैं। सिर्फ़ आदमी सतह के पत्थरों से संतुष्ट नहीं हो पा रहा है। जहां उसे पत्थर सतह पर मिल जाते हैं, दिख जाते हैं। वहाँ ड्रिलिंग करके सोचता है कि कोई ख़ज़ाना उसके हाथ लग जाये। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ हो नहीं पाया है पर इतना सही है कि आंध्र प्रदेश के लोग भी बारिश में खुश होते हैं।लेकिन उनकी ख़ुशी का सबब कुछ दूसरा होता है।