Himachal Bathu Ki Ladi Temple: एक ऐसा मंदिर जो 08 महीने पानी में डूबा रहता है

Himachal Bathu Ki Ladi Temple History: एक मंदिर ऐसा भी है जो साल के सिर्फ़ चार महीने यानी की मार्च से लेकर जून तक ही दिखता है ।यह मंदिर पोंग डैम की झील के बीच बना हुआ है ।साल के बाकी आठ महीने ये पानी में डूबा रहता हैं।

Update: 2023-06-10 10:10 GMT

Himachal Bathu Ki Ladi Temple History: हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से जाना जाता है ।यहाँ अनेक मंदिर आपको देखने को मिलते हैं ।पर यहाँ एक मंदिर ऐसा भी है जो साल के सिर्फ़ चार महीने यानी की मार्च से लेकर जून तक ही दिखता है ।यह मंदिर पोंग डैम की झील के बीच बना हुआ है ।साल के बाकी आठ महीने ये पानी में डूबा रहता हैं, जहां केवल नाव से ही पहुंचा जा सकता है। पानी उतरने के कारण यह मंदिर नजर आने लगता है, जिससे यहां पर टूरिस्ट आते जाते देखे जा सकते हैं ।आश्चर्य की बात है आठ महीने के डूबने के बाद भी मंदिर पर अब तक कोई भी खरोंच नहीं आयी है ।

इस मंदिर को बथु की लड़ी का मंदिर भी कहते हैं ।ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण अद्भुत बाथु की चट्टान से हुआ है ।

इस मंदिर में 07 मंदिर हैं , जिसमें अलग अलग भगवान शिव , गणेश , माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई है ।इसके साथ यहाँ पर एक पिलर भी है ।जिसमें 200 सीढ़ियाँ हैं ।जब यह मंदिर डूब जाता है तो इस पिलर का ऊपरी भाग बस दिखायी देता है ।इस पिलर के ऊपरी भाग से 15 किलोमीटर तक झील का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।

मंदिर के आस-पास टापू की तरह जगह है । जिसका नाम रेनसर है।इस मंदिरों प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है ।यहाँ 200 से ज़्यादा पक्षी देखे जा सकते हैं ।मार्च से जून तक दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। इसलिए इसके आसपास के इलाकों को भारत सरकार ने पक्षियों के आश्रय के लिए संरक्षित किया हुआ है।

ऐसा कहा जाता है कि ऐसा इस मंदिर में 43 साल से हो रहा है ।हालांकि मंदिर को ज्‍यादा करीब से देखने के चक्‍कर में कई लोग अपनी जान को खो चुके हैं ।

पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडव अपने अज्ञात वास के दौरान यहीं रूक़े थे ।पांडवो से स्वर्ग की सीढ़ियाँ भी बनवाने की कोशिश की जिसमें वे असफल रहे क्योंकि यह सीढ़ियाँ रातोंरात बनाने थी ।जिसके लिए पांडवो ने श्री कृष्ण से सहायता लेकर छ महीने को एक रात में बदल दिया । पर काम करने वाली किसी महिला के टोकने पर इस मंदिर की सीढ़ियाँ टूट गयी और यह काम अधूरा ही रह गया ।आज ही इस मंदिर में 40 सीढ़ियाँ उपस्थों हैं ।

हालाँकि इतनी कहानियाँ और टुरिस्ट प्लेस होने के बाद ही सरकार के द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं ।जिस वजह से भी इस जगह को और पहचान नहीं मिल पा रही है ।

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