Video: राम मंदिर जीत के बाद लड़ाई मथुरा-काशी की, मुस्लिम पक्ष बोला हम प्लेट में परोसकर नहीं देंगे मस्जिद...

UP Mandir Masjid Row: अयोध्या के बाद मथुरा और काशी के विवाद में भी बहुसंख्यक समाज को भी अल्पसंख्यक समाज की टिप्पणियाँ परेशान कर रही हैं।

Newstrack :  Network
Update:2023-12-24 13:09 IST

UP Mandir Masjid Row: एक तरफ़ बाइस जनवरी को अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थान पर एक भव्य राम मंदिर खोले जाने की तैयारी चल रही है। दूसरी ओर ज्ञानवापी और मथुरा इन दोनों में बहुसंख्यक समाज अपने अधिकार की माँग तेज कर रहा है। अयोध्या के लिए भी बहुत लंबे समय तक बहुसंख्यक समाज ने आवाज़ उठाई। अदालत के चौखटों पर दस्तक दी। पर अल्पसंख्यक समाज सुनने को तैयार नहीं हुआ। अंततः राम जन्म स्थल पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का आदेश सर्वोच्च अदालत ने दिया। काश ऐसा होता कि कुछ ऐसे विवादित मु्ददे जो देखने में ही दूसरे को चिढ़ा रहे हों, एक दूसरे को परेशान कर रहे हों, यह बता रहे हों कि जब मेरा शासन था, तो मैंने जो चाहा वो किया। पता नहीं क्यों अल्पसंख्यक समाज को यह समझ में नहीं आ रहा है कि जिन के साक्षात प्रमाण हैं, जो बहुसंख्यक समाज को चिढ़ा रही हैं, जिन को विदेशी आक्रांताओं ने तोड़कर के, उनकी अस्मिता ख़त्म करने , उनकी पहचान मिटाने की कोशिश की हो, षड्यंत्र किया हो। उन्हें स्वेच्छा से बहुसंख्यक समाज को दे देना चाहिए।

लेकिन अयोध्या के बाद मथुरा और काशी के विवाद में भी बहुसंख्यक समाज को भी अल्पसंख्यक समाज की टिप्पणियाँ परेशान कर रही हैं। हाल फ़िलहाल ज्ञानवापी के केस में अल्पसंख्यक समाज की ओर से एक बहुत परेशान करने वाली टिप्पणी आई है। जिसमें कहा गया है कि हम मस्जिद को प्लेट में सजा कर नहीं दे देंगे। कभी आप मथुरा और काशी जाइये । आप को देख कर के ग़ुस्सा आ जायेगा। लगेगा कि आक्रांताओं ने आप की कमजोरी का किस तरह और कितना फ़ायदा उठाया।

हालाँकि ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व संबंधी विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में वाराणसी की अदालत में लंबित सिविल वाद को सुनवाई योग्य माना है। और कहा कि यह बात प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 से बाधित नहीं है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सिविल वाद को निरस्त नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल पांचों याचिकाओं को खारिज कर दिया।

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