New Parliament Building Video: जानिए क्या फर्क है नए और पुराने संसद भवन में, वीडियो में देखें दोनों में अंतर ?
New Parliament Vs Old Parliament Video: विशाल, आधुनिक और प्रभावशाली इमारत नई संसद के रूप में सबके सामने है। ठीक इसके सामने है पुराना संसद भवन जो अब चुपचाप, शालीनता से खड़ा है।
New Parliament Vs Old Parliament Video: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है। नये संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही सवाल उठाया जाने लगा है कि आख़िर ज़रूरत क्या थी ? सवाल उठाया जाने लगा है कि आख़िर सेंगोल की स्थापना की अनिवार्यता क्या थी ? सवाल उठाया जाने लगा है कि क्या पुराने संसद भवन का होगा ? सबसे पहले हम आते हैं, नई संसद क्यों? भारत की जनगणना 1971 में जो हुई थी, उसके आधार पर लोकसभा के क्षेत्र दस लाख वोटरों पर निर्धारित किये गये। अगर हम दस लाख के आँकड़े को स्वीकार कर लें, तो जो सीटें आज 543 हैं। वो बढ़ कर बारह सौ बहत्तर के आसपास हो जायेगी। दूसरा पुराना संसद भवन अपनी उम्र पूरी कर चुका है। तीसरा पुरानी संसद हमारी औपनिवेशिक स्वीकृति का मॉडल है। जिससे निजात पाना ज़रूरी था।
विशाल, आधुनिक और प्रभावशाली इमारत नई संसद के रूप में सबके सामने है। ठीक इसके सामने है पुराना संसद भवन जो अब चुपचाप, शालीनता से खड़ा है। 1926 में निर्मित, भारतीय संसद को मूल रूप से काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था। इस इमारत में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल थी। स्वतंत्रता के बाद, इसने भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया। अब 97 वर्ष बाद नया संसद भवन तैयार है। नई संसद के वास्तुकार का का नाम बिमल हंसमुख पटेल हैं। बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भी सही वास्तुकार है।
जानिए,आखिर क्या फर्क है दोनों बुलंद इमारतों में?
- पुरानी संसद भवन औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था।
- नई इमारत अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिज़ाइन, प्लानिंग सनद मैनेजमेंट द्वारा वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन हुई है। नए भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स ने किया है।
- पुरानी संसद गोलाकार है, जबकि नई संसद त्रिकोणात्मक और चार मंजिला है।
- नई संसद का निर्मित क्षेत्र यानी बिल्टअप एरिया 64,500 वर्ग मीटर है। जबकि पुरानी संसद का निर्मित क्षेत्र 24,281.16 वर्ग मीटर है। पुराना भवन गोलाकार है जो 560 फीट व्यास का है। इसकी परिधि 536.33 मीटर है।
- पुरानी संसद में 12 द्वार हैं । जबकि नए परिसर में तीन मुख्य द्वार हैं, इन द्वारों के नाम हैं-ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं।
- पुरानी संसद को बनने में छह साल का समय लगा था। जबकि नई संसद केवल इक्कीस महीनों में बन कर तैयार हो गयी है।
- नई संसद लोकसभा में 888 सांसदों को समायोजित करने में सक्षम होगी, जो वर्तमान लोकसभा की क्षमता का तीन गुना है। पुरानी संसद में केवल 543 सांसद ही बैठ सकते हैं। पुरानी संसद में 1956 में दो मंजिलें जोड़ी गईं थीं। लेकिन सेंट्रल हॉल की बैठने की क्षमता सिर्फ 440 लोगों तक ही सीमित रही। बैठने की व्यवस्था तंग थी। दूसरी पंक्ति के आगे कोई डेस्क नहीं था।
- नए संसद भवन की राज्यसभा में बैठने की क्षमता अधिक होगी। मौजूदा राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जबकि नई राज्यसभा में 384 सीटों का प्रावधान किया गया है।
- पुराने संसद भवन की तरह नए भवन में सेंट्रल हॉल नहीं होगा। इसके बजाय, नए संसद भवन में लोकसभा हॉल को संयुक्त सत्रों को आसानी से समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- पुरानी संसद में संयुक्त सत्रों के दौरान अतिरिक्त कुर्सियां लगाई जाती थी। लेकिन नई संसद में 1,272 लोगों के बैठने की व्यवस्था संयुक्त सत्र के लिए की गई है।
- पुराना संसद भवन 1921 से 1927 के बीच निर्मित हुआ था। यह इमारत भूकम्प रोधी नहीं है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूकंप के बढ़ते जोखिम को देखते हुए नए संसद भवन का निर्माण जोन 5 में मजबूत झटके झेलने के लिए किया गया है।
- नया संसद भवन इकोफ्रेंडली है। ग्रीन निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया है। और 30 प्रतिशत बिजली की खपत को बचाने के लिए उपकरण लगाए गए हैं। रेनवाटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्र भी लगे हैं।
- पुराने भवन में अग्नि सुरक्षा भी चिंता का विषय था । क्योंकि इसे अग्नि सुरक्षा मानको के तहत नहीं बनाया गया था। संभावित आग के खतरे को देखते हुए कई नए विद्युत केबल जोड़े गए थे। इसके अलावा, जल आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो-वीडियो सिस्टम आदि को बाद में समय समय पर जोड़ा गया । जिसके चलते मूल भवन की सुंदरता नष्ट हुई और साथ साथ जगह जगह लीकेज भी हुआ।
- नई इमारत में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली और प्रोग्राम योग्य माइक्रोफोन शामिल हैं। हॉल के अंदरूनी हिस्से को वर्चुअल साउंड सिमुलेशन के साथ फिट किया गया है ताकि गूँज को सीमित किया जा सके।
- नया संसद भवन की लागत 1,200 करोड़ रुपये है। जबकि पुरानी संसद सिर्फ़ 83 लाख रुपये में बन कर तैयार हो गयी थी।
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- नई संसद में लोकसभा के हिस्से को राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्य सभा को कमल के फूल के थीम पर तैयार किया गया है। हम यह कह सकते हैं कि पुरानी संसद उम्र खो चुकी थी। आने वाले बीस सौ छब्बीस में परिसीमन तय है। तब हमारे सांसदों की संख्या बढ़ेगी। पुरानी संसद सांसदों की बढ़ी हुई संख्या के लिहाज़ से निरर्थक हो जायेगी। देश का विकास लंबे समय के लक्ष्य के साथ किया जाता है। तो आप यह सोच सकते हैं कि नई संसद आने वाली तमाम ज़रूरतों को पूरी करेगी। उन्हीं लक्ष्यों लेकर के बनाई गयी है।