देखें वीडियो: Ramdhari Singh Dinkar की Rashmirathi का प्रथम सर्ग ज़रूर जानें...

क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग, सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।

Update: 2020-09-23 07:45 GMT
देखें वीडियो: Ramdhari Singh Dinkar की Rashmirathi का प्रथम सर्ग ज़रूर जानें...

Ramdhari Singh Dinkar की Rashmirathi का प्रथम सर्ग

'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,

जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।

किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,

सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।

ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,

दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।

क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,

सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।

तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,

पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।

हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,

वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।

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