PM Narendra Modi Video: अनूठे स्किल हैं मोदी के पास, Y-Factor वीडियो में देखें प्रधानमंत्री के बारे में ये ख़ास जानकारी
PM Narendra Modi Unique Skills: नरेंद्र मोदी ने दुनिया में अपना परचम लहराया। अपना लोहा मनवाया। विदेशी राजनय के मामले में तो वे बेजोड़ साबित हुए।
PM Modi: 2014 में जब नरेंद्र मोदी केंद्रीय राजनीति में आ रहे थे, उस समय तक सियासत के जितने भी मानदंड थे, जितने भी पैमाने तय किये गये थे, जितने भी फ़ार्मूले थे, सब के सब को नरेंद्र मोदी ने धता बता दिया। उन्होंने धर्म निरपेक्षता की एक नई अवधारणा स्थापित की। पुरानी अवधारणाओं को ख़ारिज करने में वो सफल रहे। इसी के साथ नरेंद्र मोदी ने यह भी स्थापना कि बहुसंख्यक देश में बहुमत की सरकार बना सकते हैं। धर्म व राजनीति का जो लिखा छिपा खेल चल रहा था, उसका उन्होंने पर्दाफ़ाश किया । बताया कि धर्म व राजनीति दोनों को किस तरह एक दूसरे के साथ हम कदम होकर के चलना चाहिए । यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ने दुनिया में अपना परचम लहराया। अपना लोहा मनवाया। विदेशी राजनय के मामले में तो वे बेजोड़ साबित हुए। कूटनीति रिश्तों के मामले में उन्होंने नई इबारत लिखी। बीते नौ वर्षों के दौरान मोदी के प्रदर्शन के मूल्यांकन के बाद कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि देश चलाने के तरीक़े पर फिर से विचार करने के लिए लोगों को मज़बूर करना है।
मोदी ने बताया कि अब देश को सेट पैटर्न पर चलाने वाले प्रधानमंत्रियों का दिन ख़त्म हो गया है। इंदिरा गांधी के बाद सिर्फ मोदी ही देशव्यापी अपील वाले नेता साबित हुए। मोदी की बहुत बड़ी ताकत और कौशल उनका कम्युनिकेशन है। वह सरल, स्पष्ट, प्रत्यक्ष और संरचित है। कोई अधूरा, ढीला ढाला किनारा कभी भी दिखाई नहीं देता। मोदी जो कुछ भी कहते हैं उसमें वजन और गंभीरता होती है। वह संक्षिप्ताक्षरों और आकर्षक नारों का उपयोग करते हैं। वे कॉपी लेखकों को प्रसन्न करते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ट्विटर पर उनके रिकॉर्ड संख्या में फॉलोअर्स हैं। मोदी के संचार कौशल की अनूठी विशेषता जटिल मुद्दों को सरल शब्दों में व्यक्त करने की उनकी क्षमता है। यह कौशल फिलवक्त किसी पार्टी के किसी नेता में नज़र नहीं आता है।
विज़न, कम्युनिकेशन स्किल और लीडरशिप क्वालिटी मोदी को सर्वाधिक रूप से एक स्पष्ट और मुखर नेता बनाते हैं। वह अपने आप में एकदम स्पष्ट रहते हैं कि वह क्या हासिल करना चाहते हैं। उनकी नजर ऐसे लोगों की टीम चुनने में व्यस्त रहती है। जो उनके विचारों को लागू करने के लिए न केवल मुफ़ीद हों, बल्कि उनके विचारों पर यक़ीन भी करते हों। मोदी ने भाजपा को अपने स्वयं के डिज़ाइन में परिवर्तन के एक गतिशील इंजन में बदलने में सक्षम बनाया है। मोदी एक स्वाभाविक लीडर हैं।
राष्ट्रीय दृष्टिकोण को स्पष्ट करने में उल्लेखनीय काम
विजन बिल्डिंग की अद्भुत क्षमता प्रधानमंत्री की बहुत बड़ी ताकत है। उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिकोण को स्पष्ट करने में भी उल्लेखनीय काम करके दिखाया है। यह उन की घिसी-पिटी बातों के बिल्कुल विपरीत है जिनका उपयोग पहले के शीर्ष नेताओं द्वारा मार्गदर्शन के रूप में किया जाता था।मोदी का नारा "सबका साथ, सबका विकास" राष्ट्रीय दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए आम आदमी के विश्वास और सर्व धर्म सम भाव पर केंद्रित है। इससे अधिकांश लोगों के लिए खुद को इस दृष्टिकोण से जोड़ना आसान हो जाता है। यह दृष्टिकोण जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए युवा शक्ति और सूचना प्रौद्योगिकी में भारत की ताकत का उपयोग करता है। इसका फोकस रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग आने वाले मुद्दों पर है, यही वजह है कि मोदी के मुद्दों को, मोदी की बातों को आम आदमी आसानी से समझ सकता है।
मोदी की एक बड़ी ताकत उनकी असाधारण ऊर्जा है। उनमें लगातार लंबे समय तक काम करने की असाधारण सहनशक्ति है। यह उन्हें अपने विरोधियों से आगे सोचने और कार्य करने में सक्षम बनाती है। इसने उनके साथ काम करने वाले कई अन्य लोगों को उनका अनुकरण करने और समय पर परिणाम देने का प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है।
सनातन धर्म और हिंदुत्व विचारधारा के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ने हिंदुओं को जातियों और संप्रदायों की संकीर्ण सीमाओं से परे राष्ट्र हित के बारे में सोचने का साहस दिया है, जिससे विशेष रूप से युवाओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए निष्पक्षता के उनके आश्वासन और तीन तलाक के उन्मूलन जैसी सक्रिय पहल ने उन्हें सभी भारतीयों के लिए एक नेता के रूप में खुद को साबित करने के लिए स्थान दिया है।
साहस और नया करने का जज़्बा
मोदी में साहस और नया करने का जज़्बा है। यही गुण है जिसके चलते क्षितिज पर उन्हें चुनौती देने वाला कोई नेता दूर दूर तक दिखाई नहीं पडता है। मोदी के काम करने के तरीक़े , कम्यूनिकेशन स्किल , जनता से जुड़ाव का तौर तरीक़ा , उनके अभियान, उनके मुद्दे और उनकी योजनाएँ कुछ ऐसे हैं, जिससे यह साबित होता है कि मोदी अगली बार भी नेतृत्व करने के लिए न केवल तैयार हैं बल्कि जनता भी मोदी को अवसर देगी। इस बात पर यक़ीन किया जा सकता है । क्योंकि भारतीय जनता पार्टी दो लोक सभा चुनाव और कई राज्यों के चुनाव में सबसे बड़ी ताक़त बन कर के उभरी है। कभी हिंदी बेल्ट की पार्टी कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस समय राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय कैनवस पर अपनी धमक और धाक छोड़ रही है।
77 फीसदी की अनुमोदन रेटिंग के साथ, प्रधानमंत्री मोदी अपनी पार्टी की तुलना में दोगुने से भी अधिक लोकप्रिय हैं। अब तक वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय निर्वाचित नेता हैं। मोदी ने भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण को कई मायनों में बदल दिया है। एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए उन्होंने पश्चिम, विशेषकर अमेरिका के साथ अपने देश के संबंधों को फिर से स्थापित किया है। मोदी ने पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन के प्रति भी अधिक आक्रामक रुख अपनाया है। पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में भागीदारों के साथ जुड़ाव बढ़ाया है। मोदी ने मध्य पूर्व के देशों के साथ भी मजबूत गठबंधन बनाए हैं।
2014 के संसदीय चुनाव के बाद मोदी ने ग्लोबल फलक पर अपनी धमक छोड़नी शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के तमाम बड़े नेताओं को आमंत्रित करके यह जता भी दिया था। अफगान के उस समय के राष्ट्रपति हामिद करजई को भी आमंत्रित करके क्षेत्रीय स्तर पर उन्होंने काफ़ी बड़ी बढ़त ले ली थी।
सितंबर 2014 में मोदी ने अमेरिका का दौरा किया। न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से बात की। मोदी की "राजनयिक कुशलता" ने भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी सुर्खियां बटोरीं। बाद के वर्षों में, मोदी ने ओबामा के साथ घनिष्ठ कामकाजी संबंध विकसित किए।
डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद, भारत-अमेरिका संबंध लगातार फलते-फूलते रहे, दोनों देशों ने कई व्यापार और रक्षा सौदों पर मुहर लगाई। संयुक्त सैन्य अभ्यास किया। जो बिडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों के सम्बंध और प्रगाढ़ हुए।
मोदी की कूटनीति ने यूरोपीय संघ को भी मंत्रमुग्ध किया। प्रधानमंत्री ने 2015 में बर्लिन और पेरिस का दौरा किया। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत की। फ्रांस में मोदी 36 राफेल विमानों के लेन देन में उत्पन्न गतिरोध को तोड़ने में कामयाब हुए।
जहां तक रूस से रिश्तों की बात है तो अमेरिका से प्रगाढ़ता रिश्तों के बाद भी मोदी ने भारत के रिश्ते रुस से बहुत बेहतर बना कर के रखे हैं। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत रूस व्यापार आगे बढ़ा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर मुखर होना उनका स्टैंड है। इस दृढ़ता की मिसाल पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करके दिया है।
मोदी ने भारत की "लुक ईस्ट" नीति को और आक्रामक बनाया है। उसे “ एक्ट ईस्ट" में बदल दिया है। जिसका उद्देश्य बेहतर बुनियादी ढांचे, व्यापार और क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से भारत को पूर्वी एशिया से जोड़ना है। भारत ने अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के माध्यम से क्षेत्र के साथ अधिक व्यापक रूप से जुड़ने का अवसर फिर से हासिल किया है।
भारत - मध्य पूर्व - यूरोप आर्थिक गलियारे पर सहमति
एक्ट ईस्ट नीति आर्थिक संबंधों और सुरक्षा हितों को समान महत्व देती है। परिणामस्वरूप, भारत विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा के लिए स्वतंत्र समुद्री नेविगेशन और नियम आधारित व्यवस्था के बारे में अधिक मुखर रहा है। भारत ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मलक्का में सबांग बंदरगाह के निर्माण के लिए इंडोनेशिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। ताज़ा उदाहरण भारत - मध्य पूर्व - यूरोप आर्थिक गलियारे पर सहमति का है। मोदी ने भारत की डिप्लोमेसी और विदेश नीति में ऐतिहासिक बदलाव और मजबूती प्रदान की है। जिसके चलते भारत अब सुपर पावर के दर्जे पर पहुंच रहा है । जिसे दुनिया का कोई देश नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है। कल तक भारत को एक बाज़ार के रुप में देखा जाता था। मोदी ने भारत को इस नज़रियों से देखने वालों के नज़रिये बदले हैं। साबित किया है कि भारत महज़ एक बाज़ार नहीं एक बड़ी शक्ति है। जी-२० देशों के सम्मेलन में भारत की यह शक्ति साफ़ तौर पर दिखी । रुस यूक्रेन युद्ध के बावजूद उन्होंने सर्व सहमति से जी-२० देशों के सम्मेलन के पहले दिन ही संयुक्त घोषणा पत्र जारी करके भारत की ताक़त , भारत की शक्ति और भारत के दृष्टिकोण को जिस तरह बताया है, उससे साफ़ है कि मोदी है तो मुमकिन है।