Congress History Video: भाग्य की धनी सोनिया गांधी! मुकद्दर के मारे नरसिम्हा राव !!

Congress History Video: कांग्रेस के तमाम लोग नरसिम्हा राव पर यह तोहमत मढ़ते हैं कि इस ढाँचे के गिरने में नरसिंम्हा राव की भी साइलेंट सहमति थी।

Newstrack :  Network
Update:2024-03-01 18:09 IST

Congress History Video: कभी बाबरी मस्जिद कहे जाने वाले विवादित ढाँचे का अब अंत हो गया है। बाइस जनवरी को आप वहाँ भव्य राम मंदिर देखेंगे। आम लोगों के पूजा पाठ के लिए वह जगह खोल दी जायेगी। हिंदू सम्मान और सनातन सम्मान का सबब यह स्थान है।जब नरेंद्र मोदी की सरकार आई। और नरेंद्र मोदी हिंदू हृदय सम्राट की उपाधियों से विभूषित किये जा रहे थे। तभी उम्मीद की गई थी कि अब की बार नहीं, तो कभी नहीं। पर नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसी को निराश नहीं किया। हम लोग एक ऐसे देश में रहते है, जिसके संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है। पर राजनीतिक दल लगातार तुष्टिकरण की बात कर रहे थे। तुष्टिकरण की चालें चल रहे थे। प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने इस मंदिर का ताला खुलवाया था। लेकिन इसे स्वीकार करने की हिम्मत उनमें नहीं आ पाई। उन्होंने अंतत: इसको कंपनसेट करने के लिए शाहबानों केस के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को संसद में पलट दिया। यानी उन्होंने अल्पसंख्यकों के आगे घुटने टेक दिये।

कांग्रेस के तमाम लोग नरसिम्हा राव पर यह तोहमत मढ़ते हैं कि इस ढाँचे के गिरने में नरसिंम्हा राव की भी साइलेंट सहमति थी। वह उस समय देश के प्रधानमंत्री थे, कांग्रेसी मणिशंकर अय्यर ने तो साफ़ साफ़ नरसिम्हा राव को मस्जिद तोड़क तक कह डाला था। अपनी आत्म कथा के विमोचन के अवसर पर वो नई दिल्ली में 24 अगस्त, 2023 को राजीव भवन में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। श्रोताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी थीं। दिवंगत नरसिम्हा राव की खिल्ली उड़ाये जाने पर वे मुस्कराती रहीं।

ऐसे में जानना ज़रूरी है कि कौन मणिशंकर अय्यर ? वे दून स्कूल में राजीव गांधी के सहपाठी रहे। उनकी मां ने इसी स्कूल में टीचर की नौकरी की । ताकि अय्यर की फीस कम हो सके। फिर छब्बीस साल तक इन मणिशंकर ने सरकारी नौकरी की। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यालय 1985-89 में भी की। दिल्ली के सैनिक फार्म की हरित भूमि पर बने मकानों में वे रहे। इस आवासीय कॉलोनी को दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया था। वे सांसद भी रहे। 1996 और 1998 फिर 2009 में तीन बार लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भी वे राज्यसभा के लिए नामित किये गये।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एकदा मणि शंकर अय्यर ने ‘नीच आदमी’ बोल दिया था। उसके पहले वह उन्हें ‘चायवाला’ कहते थे। एक दफा अय्यर अंडमान द्वीप गए। जेल के दौरे पर उन्होंने कहा : “इंडियन ऑयल फाउंडेशन के अध्यक्ष की हैसियत से मैंने सेलुलर जेल में सावरकर के उद्धरणों से युक्त पट्टिका को हटाने के आदेश दिए। मेरे अध्यक्ष बने रहने तक पट्टिका को वापस जेल में लगाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।"

इस पर स्व. बालासाहेब ठाकरे ने अय्यर से कहा : "यह अय्यर कौन है। देश की आजादी की लड़ाई के बारे में उसे क्या पता है?" उन्होंने सावरकर के बारे में भीमराव अम्बेडकर और सुभाष चन्द्र बोस जैसे नेताओं के विचार दोहराए।

अय्यर ने स्वीकारा कि संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु के बाद राजीव गांधी का नाम जब प्रधानमंत्री के लिए आया तब उन्हें आश्चर्य हुआ था। वह सोचने लगे थे कि एक पायलट क्या देश चलायेगा। अय्यर ने यह भी कहा था कि मंदिर के ताले खुलवाना और शिलान्यास कराना राजीव गांधी की बड़ी गलती थी।

चंद्रयान-3 का जिक्र करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा : “भारत कभी भी 'विश्वगुरु' नहीं बन सकता। क्योंकि वह पाकिस्तान को नजरअंदाज कर रहा है।” उन्होंने कहा कि “अगर भारत अपने पश्चिमी पड़ोसी के साथ शांति स्थापित नहीं कर सकता, अगर भारत पाकिस्तान से बात नहीं कर सकता, तो यह कभी भी दुनिया का नेतृत्व नहीं कर सकता।”

वे पाकिस्तान को गाढ़ा दोस्त मानते हैं। उन्होंने पाकिस्तान में जाकर के नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करने के लिए मदद की माँग तक कर डाली थी। पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की वकालत करते हुए अय्यर का कहना है कि भारत तब तक दुनिया में अपना उचित स्थान नहीं ले पाएगा, जब तक उसका पश्चिमी पड़ोसी ''हमारे जी का जंजाल'' बना रहेगा। उनकी अपनी इस आत्मकथा में उनके इस कार्यकाल का भी एक चैप्टर है। अय्यर ने उसमें कितनी ईमानदारी बरती है, यह ज़रूर देखने की ज़रूरत है। अय्यर ने पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में यहाँ तक कहा कि “उनके जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ कार्यकाल पाकिस्तान में महावाणिज्य दूत का कार्यकाल था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में भारत की ‘सबसे बड़ी संपत्ति’ वहां के लोग हैं, जो भारत को अपना दुश्मन नहीं मानते।

अब गौर कर लें नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री कार्य करने में कांग्रेस पार्टी वाले पंगु करने की किस तरह और कैसी कैसी साजिश रचते रहे। अय्यर का इल्जाम है कि बाबरी ढांचे को नरसिम्हा राव ने नहीं बचाया। भाजपायी मुख्य मंत्री कल्याण सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय से वादा किया था कि उनकी सरकार ढांचे की समुचित सुरक्षा करेगी। मगर विफल होने पर मुख्यमंत्री जेल की सजा भी काट आए। कांग्रेस के 2007 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अपने प्रचार में मुस्लिम बस्तियों में यहाँ तक कहा था कि यदि गांधी- नेहरू परिवार का कोई शख्स प्रधानमंत्री होता तो विवादित ढाँचा नहीं गिरता। कांग्रेस के लोग नरसिम्हा राव को इस तरह दोषी ठहराते हैं, मानो नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री कार्यालय से फावड़ा और हथौड़ा कारसेवकों को लाकर के हाथ में पकड़ा दिया हो।

भारत को परमाणु शक्ति बनाने की नींव भले ही इंदिरा गाँधी ने डाली हो, पर नरसिम्हा राव के अविचल प्रयास थे । जिसने अटल बिहारी वाजपेयी को अनुप्राणित किया था। राजग के प्रधान मंत्री बनते ही अटलजी को नरसिम्हा राव ने बताया कि पोखरण द्वितीय की तैयारी फिर शुरू हो। उनकी सरकार की पूरी तैयारी थी । पर तभी अमरीकी जासूस उपग्रह ने पोखरण की तस्वीर सार्वजनिक कर दी थी। अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने धमकी दी कि भारतीय अर्थव्यवस्था, जो लड़खड़ा रही है, उसे पंगु कर दिया जायेगा। बाद में यह पता चला कि सीआईए को यह खबर कांग्रेस के ही किसी सूत्र ने लीक की थी।

जब पंजाब आतंकवाद से धधक रहा था, दार्जिलिंग में गुरखा और मिजोरम में अलगाववादी समस्या पैदा कर रहे थे। इन्दिरा गांधी ने उस समय नरसिम्हा राव को गृह मंत्री बनाया। तभी आया अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में सेना का प्रवेश। नरसिम्हा राव पर इन्दिरा सरकार को फिर से बचाने का दायित्व। इन्दिरा गांधी की हत्या के चन्द घण्टों बाद ही नरसिम्हा राव को वायुसेना के विमान से हैदराबाद से दिल्ली लाया गया। तब सिख-विरोधी दंगों से दिल्ली जल रही थी। उसके बाद राजीव गांधी ने अपने कबीना में उन्हें रक्षा और मानव संसाधन मंत्री बनाया।

नरसिम्हा राव के व्यक्तित्व के सम्यक ऐतिहासिक आंकलन में समय लगेगा। मगर इतना कहा जा सकता है कि तीन कृतियों से वे याद किए जाएंगे। पंजाब में उग्रवाद चरम पर था। रोज लोग मर रहे थे। एक समय तो लगता था कि अन्तर्राष्ट्रीय सीमा अमृतसर से खिसकर अम्बाला तक आ गई है। खालिस्तान यथार्थ लगने लगा था। लगता था भारत का विभाजन हो जायेगा। तभी मुख्यमंत्री बेअन्त सिंह और पुलिस अफसर के.पी. सिंह गिल को नरसिम्हाराव ने पूरा अधिकार देकर के काम करने के ऐसे अवसर दिये कि पंजाब को बचाया जा सका। एक सरकारी मुलाजिम सरदार मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त करके भी नरसिम्हा राव ने आर्थिक जगत में चमत्कार की शुरुआत की। इस बात को मनमोहन सिंह खुद भी स्वीकार कर चुके है। तीसरा राष्ट्रहित में काम नरसिम्हा राव ने यह किया कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ‘ रॉ’ को इस बात की पूरी छूट दी कि पाकिस्तान अगर अपनी सरज़मीं से भारत में आतंकवाद फैला रहा है, आतंकवाद की कोशिश कर रहा है। तो आप स्वतंत्र है। मुंहतोड़ जवाब दीजिए । यानि यदि पाकिस्तानी आतंकी भारत में एक विस्फोट करेंगे, तो भारतीय लोग दो विस्फोट लाहौर में कर के दिखा देंगे।

नरसिम्हा राव कितने भ्रष्ट रहे? वे प्रधानमंत्री रहे किन्तु अपने पुत्र को केवल पैट्रोल पम्प दिला पाये। अपनी आत्मकथा रूपी उपन्यास के प्रकाशक को इस भाषाज्ञानी प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को स्वयं खोजना पड़ा था। नक्सलियों से अपने खेतों को बचाने में विफल नरसिम्हा राव दिल्ली में मात्र एक फ्लैट ही बीस साल में साझेदारी में ही खरीद पाये। मानना पडे़गा कि नरसिम्हा राव आखिर सोनिया के कदाचार की तुलना में अपनी दक्षता, क्षमता, हनक, रुतबा, रसूख और पहुंच के बावजूद कहीं उनके आसपास नहीं फटकते। राजीव फाउंडेशन, जिसकी जांच हो रही है, को नरसिम्हा राव ने सौ करोड़ रुपये दिये थे। माँ, बेटा, बेटी को बड़ा आवास और सुरक्षा दिया था। बोफोर्स काण्ड को समाप्त कराने हेतु नरसिम्हा राव ने अपने विदेशमंत्री माधवसिंह सोलंकी के हाथ स्वीडन के प्रधानमंत्री के नाम सन्देश भेजा था। राज खुला और बेचारे सोलंकी की नौकरी चली गयी।

मगर जीते जी नरसिम्हा राव की जो दुर्गति कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की । वह हृदय विदारक है। उससे ज्यादा खराब बर्ताव उनके निधन पर किया गया। नरसिम्हा राव की अंत्येष्टि राजघाट पर कर के उनका कोई स्मारक न बन जाये इस भय से उनके शव को सीधे हैदराबाद भेज दिया गया। कांग्रेस पार्टी के आफिस में रखने की कोशिश की गयी तो कांग्रेस पार्टी के ऑफिस के अंदर उनके शव को नहीं जाने दिया गया। कांग्रेस पार्टी के बग़ल के फुटपाथ पर उनका शव उनके लोगों को रखना पड़ा।

नरसिम्हा राव के नाती एन.वी. सुभाष ने व्यथा व्यक्त की और कहा कि हर मौके पर नीचा दिखाने, छवि विकृत करने और उनकी उपलब्धियों को हल्का बनाने की प्रवृत्ति से सोनिया तथा राहुल बाज नहीं आये। इस पूर्व प्रधानमंत्री को भारत रत्न से विभूषित नहीं किया गया। जबकि खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, गायिका लता मंगेशकर,अभिनेता एम. जी. रामचंद्रन इन जैसे लोगों को तमाम सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

इसी विचारक्रम में याद आती है यह बात 14 मार्च, 1998 की है। अपनी अकर्मण्यता और लिबलिबेपन के कारण नरसिम्हा राव ने कांग्रेस पार्टी को सरकार में ड्राइवर सीट से उतर कर कन्डक्टर बना डाला था। खाता-बही संभालने वाले बक्सर के सीताराम केसरी ने नरसिम्हा राव को अपदस्थ करके वह कुर्सी हासिल कर ली थी। सीताराम केसरी खुद अध्यक्ष बन गये।लेकिन इतिहास खुद को दोहराता है। दो साल बाद सोनिया गांधी ने सीता राम केसरी को अपदस्थ करके कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का पद हथिया लिया। सीताराम केसरी बस इतना कह पाये कि यदि “सोनिया जी इशारा कर देती” तो यह सेवक अपना बोरिया-बिस्तर खुद ब खुद समेट लेता। उन्होंने यह भी कहा कि सेवक अपनी औकात समझता है। बिना किसी वैध मतदान के, सोनिया गांधी 25 साल पहले कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बन गई।कांग्रेस पार्टी परिवारवाद से आज भी बाहर नहीं निकल पा रही है। सोनिया के बाद राहुल, राहुल के बाद प्रियंका गांधी कुर्सी पर चाहे कोई बैठे पर चेहरे यही होंगे। भारत के राजनीति को परिवार वाद से निकालने की नरेंद्र मोदी की जो मुहिम है, उसे आगे बढ़ाना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि राजनीति व लोकतंत्र पसर सके। आम आदमी तक जा सके। आम आदमी संसद और विधानसभाओं का सदस्य बन सके। हाल फ़िलहाल कुछ परिवारों तक ही पूरी की पूरी सियासत सिमटी हुई है। इसे बदलने की ज़रूरत है। 

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