इस्लामाबाद : पाकिस्तान में इस साल आम चुनाव होने हैं। सत्ता की होड़ में कई दल लगे हुए हैं। पाकिस्तान में आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 25 जुलाई को चुनाव होगा जबकि वर्तमान पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज सरकार का कार्यकाल 31 मई को पूरा हो गया है। कौन सी पार्टियां वहां चुनाव मैदान में होंगी, उनकी कितनी ताकत है, क्या चुनाव निशान है और कौन उन्हें चला रहा है, जानते हैं इसके बारे में :
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन)
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) अभी सत्ता में है। नवाज शरीफ को हटाए जाने के बाद शाहिद खाकान अब्बासी देश के प्रधानमंत्री पद पर हैं। पार्टी के चेयरमैन नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ हैं। 1988 में स्थापित इस पार्टी का चुनाव निशान शेर है। 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में फिलहाल पार्टी के 188 सदस्य हैं।
पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ
क्रिकेट से राजनेता बने इमरान खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी की बुनियाद रखी थी। फिलहाल नेशनल असेंबली में 33 सीटों के साथ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिन्ह क्रिकेट का बैट है। युवाओं में इमरान बहुत लोकप्रिय हैं।
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बेहद मजबूत समझी जाने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की स्थापना 1967 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी। अब उनके नवासे बिलावुल भुट्टो जरदारी पार्टी के प्रमुख हैं। पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर है और नेशनल असेंबली में उसके 47 सदस्य हैं। सिंध सूबे में उसकी सरकार है।
मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट
आवामी नेशनल पार्टी
आवामी नेशनल पार्टी पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह में बड़ी ताकत रही है। हालांकि पिछले चुनावों में इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ ने उसे प्रांतीय सत्ता से बाहर कर दिया। अभी राष्ट्रीय संसद में उसके अभी सिर्फ दो सांसद हैं। पार्टी का चुनाव निशान लाल टोपी है और असफंदयार वली खान इसके प्रमुख हैं।
जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ)
मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व वाली जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) पाकिस्तान की एक सुन्नी देवबंदी राजनीतिक पार्टी है, जिसके नेशनल असेंबली में 12 सदस्य हैं। पार्टी की चुनाव चिन्ह किताब है। यह पार्टी 1988 में जमीयत उलेमा ए इस्लाम में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)
यह पार्टी एक सिंधी धार्मिक नेता पीर पगाड़ा से जुड़ी हुई है। अभी नेशनल असेंबली में इसके पांच सदस्य हैं जबकि 168 सीटों वाली सिंध असेंबली में भी 9 सदस्यों के साथ वह मौजूद है। पार्टी का चुनाव चिन्ह गुलाब का फूल है।
जमीयत उलेमा ए इस्लाम
इस पार्टी का मकसद पाकिस्तान को एक ऐसे देश में तब्दील करना है जो शरिया के मुताबिक चले। हालांकि जनता के बीच उसका ज्यादा आधार नहीं है। नेशनल असेंबली में उसके अभी सिर्फ चार सदस्य हैं। पार्टी तराजू के निशान पर चुनाव लड़ती है और सिराज उल हक इसके प्रमुख हैं।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू)
यह पार्टी नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) से टूट कर बनी है। पार्टी के मुखिया शुजात हुसैन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के दौर में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। फिलहाल नेशनल असेंबली में पार्टी के पास सिर्फ दो सीटें हैं। पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल है।
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पाक में 17.7 लाख हिन्दू वोटर्स
पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले तैयार की गई मतदाताओं की नई सूची के मुताबिक , देश में गैर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2018 में बढ़कर 36.3 लाख हो गई है और धार्मिक अल्पसंख्यक मतदाताओं में हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इस समुदाय के 17.7 लाख मतदाता हैं।पिछले पांच बरस में गैर मुस्लिम मतदाताओं ने 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। 2018 में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 36.3 लाख हो गई है। यह 2013 के आम चुनाव में 27.7 लाख थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2013 के चुनाव के पहले हिन्दुओं मतदाताओं की संख्या करीब 14 लाख थी जो अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की तुलना में सबसे ज्यादा थी। हिन्दू मतदाताओं की संख्या अब 17.7 लाख है। अधिकतर हिन्दू मतदाता सिंध प्रांत में रहते हैं जहां दो जिलों में 40 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता हिन्दू हैं। ईसाई गैर-मुस्लिम मतदाताओं का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। इस समुदाय के 16.4 लाख मतदाता हैं। 10 लाख से ज्यादा ईसाई मतदाता पंजाब में हैं और इस समुदाय के दो लाख से ज्यादा मतदाता सिंध में रहते हैं। सिख मतदाताओं की संख्या 8,852 है। सबसे ज्यादा सिख मतदाता खैबर पख्तूनख्वा में हैं।
इसके बाद सिंध और पंजाब में सिख मतदाता रहते हैं। अहमदिया समुदाय के मतदाताओं की संख्या 167,505 है।
पाकिस्तानी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मुहैया आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के छह प्रांतों में 10.5 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से 5.92 करोड़ पुरुष और 4.67 करोड़ महिलाएं हैं।
युवा वोटरों के हाथ में कमान
पाकिस्तान में जुलाई में होने वाले आम चुनावों में मत डालने के लिए योग्य 10 करोड़ 50 लाख मतदाताओं में से करीब चार करोड़ 60 लाख युवा मतदाताओं के मत पर बहुत हद तक निर्भर करेगा कि देश में सत्ता किन हाथों में होगी। प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की पार्टी सत्तारूढ़ पीएमएल-एन, क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और पूर्व राष्ट्रीय आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होना है। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि इस बार सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले युवा दुनिया की छठी सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में किसकी सरकार बनेगी इसमें निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
डॉन समाचारपत्र ने एक विश्लेषक के हवाले से बताया कि बड़ी संख्या में युवा मतदाता जिनमें से अधिकतर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं न सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रचार के उपकरणों का इस्तेमाल कर मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं बल्कि चुनाव के दिन बड़ी संख्या में मताधिकार का इस्तेमाल कर चुनावी तस्वीर को भी बदल सकते हैं।