Russia Ukraine Crisis : डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, अब चीन करेगा ताइवान पर हमला

Ukraine Russia Crisis : रूस और यूक्रेन के बीच संकट अब चरम पर है। इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया है कि अगर उनकी सरकार होती तो ऐसा नहीं होता।

Newstrack :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-23 15:45 IST

America Former president Donald Trump (Social Media)

Russia Ukraine Crisis : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (America Former president Donald Trump) ने कहा है कि युक्रेन पर रूस (Russia Ukraine crisis) की चढ़ाई के बाद अब ताइवान पर चीनी हमला होने वाला है। ट्रम्प ने कहा कि प्रेसिडेंट जो बिडेन (America president joe biden) के लापरवाह नेतृत्व के कारण ये हालात बने हैं।

'पुतिन के इस कदम से चीन के राष्ट्रपति का हौसला बढ़ा'

ट्रम्प ने कहा – अगर में प्रेसिडेंट होता तो रूस कभी भी यूक्रेन में तथाकथित शांति सैनिकों को भेजने की हिम्मत नहीं करता। ट्रंप ने कहा कि पुतिन (Vladimir Putin)के इस कदम से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का हौसला बढ़ा है। ट्रम्प ने कहा कि अब चीन की बारी आने वाली है। वे ओलंपिक खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। अब ओलंपिक समाप्त हो गया है, और हमले की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। ट्रम्प ने रूस और चीन के बारे में कहा कि वे लगभग जुड़वां बहनों की तरह हैं क्योंकि दोनों के इरादे समान हैं। चीन भी बुरी तरफ से ताइवान को चाहता है। ट्रम्प ने कहा कि अगर वे प्रेसिडेंट होते तो पुतिन और शी जिनपिंग ऐसी हरकत करने के बारे में कभी नहीं सोचते। 

ट्रम्प ने बिडेन के दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की और उन पर पुतिन को गलत तरीके से समझने और कम आंकने का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा - अगर मैं वहां होता तो ऐसा कभी नहीं होता। मैं पुतिन को अच्छी तरह जानता था। मुझे उसका साथ बहुत अच्छा लगा। उसने मुझे पसंद किया। मैनें उसे पसंद किया। मेरा मतलब है, आप जानते हैं, वह एक कठिन शख्स है। मैं जानता था कि वह हमेशा यूक्रेन चाहता था। मैं उससे इस बारे में बात करता था। मैंने कहा था कि आप ऐसा नहीं कर सकते। आप ऐसा नहीं करने वाले। लेकिन मैं देख सकता था कि वह इसे चाहता था। मैं उससे पूछता था। हम इसके बारे में लंबी बात करते थे।

ताइवान सरकार शांति चाहता है

बीजिंग ताइवान के स्व-शासित द्वीप को एक ऐसे प्रांत के रूप में देखता है जिसे चीनी संप्रभुता को स्वीकार करना चाहिए। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चीन ने जोर जबरदस्ती का विकल्प कभी नहीं छोड़ा है। दूसरी तरफ अमेरिका, ताइवान को अपनी रक्षा के लिए साधन प्रदान करने के लिए 1979 के ताइवान संबंध अधिनियम द्वारा बाध्य है। लेकिन इस बारे में अस्पष्टता है कि यदि ताईवान पर हमला किया गया तो अमेरिका उसकी सैन्य सहायता के लिए आगे आएगा या नहीं। चीन ने पिछले दो वर्षों में ताइवान के खिलाफ अपना सैन्य और राजनयिक दबाव बढ़ा दिया है जबकि ताइवान सरकार का कहना है कि वह शांति चाहता है, लेकिन अगर हमला हुआ तो वह द्वीप की रक्षा करेगा। चीन नियमित रूप से कहता आया है कि वाशिंगटन के साथ उसके संबंधों में ताइवान सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है।

'अमेरिका का संकल्प है कि वह ताइवान की रक्षा करेगा'

बीते अक्टूबर में प्रेसिडेंट बिडेन ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका भी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा था कि अमेरिका का दृढ़ संकल्प है कि वह ताइवान की रक्षा करेगा। बिडेन ने कहा कि हम ऐसा कदम उठाएंगे कि लोग हैरान रह जायेंगे। लेकिन व्हाइट हाउस ने बाद में सफाई दी कि राष्ट्रपति बिडेन अमेरिका की नीति में किसी भी बदलाव की घोषणा नहीं कर रहे थे और हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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