कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान हर कदम पर नाकामी मिल रही है। इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ में मुंह की खाने के बाद वह मुस्लिम देशों का समर्थन पाने में भी नाकाम रहा है। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले एक बड़े अन्तरराष्ट्रीय सम्मान ने पाकिस्तान के जले पर नमक छिड़का है। मध्य-पूर्व के प्रमुख इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात ने मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ जायेद से सम्मानित किया है। यूएई का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान संयुक्त अरब अमीरात के पहले राष्ट्रपति शेख जायेद बिन सुल्तान अल नाह्यान के नाम पर दिया जाता है। यह सम्मान अभी तक दुनिया के प्रभावशाली लोगों को ही मिला है। मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। मोदी को यह सम्मान मिलने पर पाकिस्तान में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है।
प्रमुख नेताओं को मिल चुका है सम्मान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले दिनों पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में असेंबली को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर पर दुनिया के सवा अरब मुसलमान एकजुट हैं, लेकिन दुर्भाग्य से सारे मुस्लिम शासक चुप हैं। वे कश्मीर मुद्दे को लेकर मुस्लिम देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही है। उल्टे मुस्लिम देशों में मोदी की यात्रा काफी सफल रही है। अब संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी इसी कड़ी का हिस्सा है। इससे पहले यूएई रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, महारानी एलिजाबेथ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ऑर्डर ऑफ जायेद सम्मान से सम्मानित कर चुका है। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने पीएम मोदी के यूएई दौरे पर कहा कि वो बहुत ही कृतज्ञ हैं कि उनके भाई अपने दूसरे घर अबू धाबी आए हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने दिल खोलकर मोदी का स्वागत किया और यह बात पाकिस्तान को पच नहीं रही है। पीएम मोदी ने यह सम्मान मिलने पर खुशी जताई और कहा कि यह सम्मान मिलने पर वे काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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पाक की कड़ी प्रतिक्रिया
मोदी को यह सम्मान मिलने पर पाकिस्तान में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। पाकिस्तान में राजनेताओं से लेकर मीडिया तक मोदी को यह सम्मान मिलने की काफी चर्चा है। मोदी को यह सम्मान मिलने के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तानी सीनेट के चेयरमैन सादिक संजरानी ने यूएई का अपना दौर रद्द कर दिया। सादिक ने अपने बयान में कहा कि मोदी के फैसले के कारण कश्मीरी मुसलमानों के साथ नाइंसाफी हो रही है। वहां के लोगों के अधिकार मोदी ने छीन लिए और उन्हें यूएई ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। ऐसे में यूएई जाना कश्मीरी माताओं, बहनों और बुज़ुर्गों के साथ अन्याय होगा। पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि मैं जल्द यूएई के विदेश मंत्री के साथ बैठक करूंगा और उनसे कश्मीर के मसले पर चर्चा करूंगा। मुझे उम्मीद है कि वे पाकिस्तान को निराश नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी को खाड़ी देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किए जाने के मसले को कुरैशी ने टालने की कोशिश की। पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि जब कश्मीर में भारत ने एकतरफा फैसला किया है, ऐसे में मोदी को यह सम्मान दिया गया है।
पाक मीडिया भी सम्मान से नाराज
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ने डॉन ने लिखा कि मोदी को यह सम्मान देने से पता चलता है कि संयुक्त अरब अमीरात के लिए भारत कितना मायने रखता है। भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। भारत दुनिया के बड़े उपभोक्ता बाजारों में से एक है और यूएई में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं। डॉन के पत्रकार जमील फारूकी ने लिखा कि सत्यानाश हो अरब का। इतिहासकार लिखेंगे कि जिस वक्त कश्मीर में पूरी तरह से पाबंदी है, लोगों के अधिकार छीन लिए गए हैं, उसी वक्त मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़ा सम्मान दिया गया।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने मोदी को यूएई का सर्वोच्च सम्मान मिलने पर टिप्पणी करते हुए ट्विटर पर लिखा कि फासीवादी मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सबसे सर्वोच्च सम्मान देने के खिलाफ दुनिया के बड़े-बड़े मुस्लिम नेता कुछ नहीं बोले और पूरी तरह खामोश बने रहे मगर एक बहादुर ब्रिटिश सांसद नाज़ शाह ने यूएई हुकूमत के इस फैसले के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है। नाज ने पाकिस्तानी और कश्मीरियों की भावनाओं को व्यक्त किया है। उन्होंने नाज शाह के प्रति शुक्रिया अदा किया।
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ब्रिटिश सांसद ने जताई आपत्ति
ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सांसद नाज शाह ने मोदी को यह सम्मान मिलने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। शाह ने एक ओपन लेटर लिखकर अपनी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि शेख मोहम्मद को कश्मीर में भारत के फैसले को देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए। नाज शाह ने लिखा कि इस अवॉर्ड को देने पर फिर से विचार करना चाहिए। मानवाधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए इस पर फिर सोचना चाहिए। कई और एक्टिविस्ट को यूएई का यह कदम रास नहीं आ रहा है। बेरूत के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता समाह हदीद ने लिखा कि खाड़ी के कई देश आर्थिक फायदों के आधार पर मोदी का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। वो मानवाधिकारों के उल्लंघन के सामने आर्थिक अवसरों को तवज्जो दे रहे हैं।
अप्रैल में हुई थी सम्मान की घोषणा
हालांकि इस सम्मान की घोषणा अप्रैल महीने में ही कर दी गई थी। तब इसकी घोषणा करते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने कहा था कि यूएई और भारत के संबंधों को पीएम मोदी ने नई ऊंचाई दी है। उस भारत में लोकसभा के आम चुनाव हो रहे थे और मोदी धुंआधार चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे। उस समय भारत ने अनुच्छेद 370 खत्म करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया था। इस कारण पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी। अब स्थितियां बदली हुई हैं। ऐसे पाकिस्तान को मोदी को यह सम्मान देने की बात गले नहीं उतर रही है।
बहरीन में भी मोदी सम्मानित
संयुक्त अरब अमीरात के अलावा पीएम मोदी को बहरीन में भी सम्मानित किया गया। बहरीन में मोदी को किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मोदी को यह सम्मान बहरीन के किंग हमद बिन इसा बिन सलमान अल खलीफा ने भारत के खाड़ी देशों के साथ मित्रता को मजबूत करने व द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की मान्यता के तौर पर दिया।
सम्मान के बारे में ट्वीट करते हुए मोदी ने कहा कि मैं विनम्रतापूर्वक द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां सम्मान को स्वीकार करता हूं। यह बहरीन के साथ भारत की मजबूत दोस्ती को मान्यता देता है। यह दोस्ती सैकड़ों साल पहले से है और 21वीं सदी में तेजी से बढ़ रही है। मोदी बहरीन का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने बहरीन को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह दौरा भारत व बहरीन के बीच मजबूत द्विपक्षीय सहयोग के लिए आधार बनाता है। शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा, समझौतों पर हस्ताक्षर व समुदाय के साथ बातचीत वास्तव में यादगार रही।