बांग्लादेश में हिन्दुओं की विशाल रैली, सुरक्षा और अधिकारों की मांग
Banglaseh : बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के हजारों लोगों ने चटगाँव के ऐतिहासिक लालदीघी मैदान में रैली निकाली और अंतरिम सरकार द्वारा उनकी आठ प्रमुख माँगों को पूरा किए जाने तक प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया।
Banglaseh : बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के हजारों लोगों ने चटगाँव के ऐतिहासिक लालदीघी मैदान में रैली निकाली और अंतरिम सरकार द्वारा उनकी आठ प्रमुख माँगों को पूरा किए जाने तक प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया। बांग्लादेश सनातन जागरण मंच द्वारा आयोजित यह विरोध प्रदर्शन बीते समय में देखा गया सबसे विशाल विरोध प्रदर्शनों में से एक है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगें पूरी नहीं की गईं तो वे ढाका तक मार्च करेंगे। यह 5 अगस्त को शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद हिंदू समूहों द्वारा की गई सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी।
क्या हैं मांगें
बांग्लादेश सनातन जागरण मंच द्वारा प्रस्तुत माँगों में मूल रूप से अल्पसंख्यक अधिकारों और सुरक्षा की मांग उठाई गयी है। इसके अलावा ये मांगें कीं गईं हैं :
- अल्पसंख्यकों पर अत्याचार में शामिल लोगों के लिए मुकदमों में तेजी लाने के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन।
- पीड़ितों के लिए उचित मुआवज़ा और पुनर्वास।
- बिना किसी देरी के अल्पसंख्यक संरक्षण कानून का अधिनियमन।
- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का निर्माण।
- हर शैक्षणिक संस्थान में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों का निर्माण।
- हर छात्रावास में प्रार्थना कक्षों की स्थापना।
- संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण।
- दुर्गा पूजा के लिए पाँच दिन की छुट्टी।
इसके पहले बांग्लादेश की पर्यावरण मंत्री सईदा रिजवाना हसन ने हिंदू समुदाय की मांगों को स्वीकार करते हुए एक बयान जारी किया था और दुर्गा पूजा के लिए दो दिवसीय अवकाश घोषित किया था, जो देश के इतिहास में पहली बार हुआ है।
इस रैली की पृष्ठभूमि में हाल ही में हुई कुछ घटनाएं शामिल थीं, जिन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। 7 अगस्त से नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा सुरक्षा के वादों के बावजूद, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध - जिसमें बर्बरता, लूटपाट और शारीरिक नुकसान शामिल हैं - कथित तौर पर बढ़ गए हैं।
शेख हसीना द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से देश भर में हिंदू समुदाय के लोगों, मंदिरों और दान-संपत्तियों को निशाना बनाया गया, बलात्कार, आगजनी, लूटपाट, जबरन ज़मीन हड़पना, जान से मारने की धमकी और देश से भागने के लिए मजबूर करने जैसे अपराध किये गए। हालाँकि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में 7 अगस्त को सत्ता संभालने वाली अंतरिम सरकार ने हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वादा किया था, लेकिन कथित तौर पर दो महीने बाद भी हमले जारी हैं। इस बीच, बांग्लादेश में छात्र समूहों के साथ-साथ जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों की धमकियाँ हिंदुओं को विरोध न करने और देश छोड़ने की खुलेआम धमकी दे रही हैं। इन धमकियों ने हिंदू आबादी के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया है।