ISI-Pak Exclusive News: अफगानिस्तान के मामले में आईएसआई व पाकिस्तान सेना में तनातनी, फैसले में दखल देना चाहते हैं जावेद बाजवा

ISI-Pak Exclusive News: तालिबान के नेताओं के साथ आईएसआई (ISI) के बहुत मजबूत संबंध हैं। हक्कानी ग्रुप समेत सभी अन्य गुटों में इनकी गहरी पैठ भी साफ देखी जा सकती है।

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Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-09-22 07:02 GMT

पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बीच संघर्ष (File Photo) pic(social media)

ISI-Pak Exclusive News: अफगानिस्तान(Afghanistan) में जबसे तालिबान सरकार(Taliban Government) बनी है तभी से वहां पकिस्तान(Pakistan) का वर्चव्य बढ़ता ही जा रह है। इसी के साथ ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा(Pakistan Army Chief General Qamar Javed Bajwa) और आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद(ISI Chief Lt Gen Faiz Hamid) के बीच संघर्ष भी देखने को मिल रहा है।

बता दें कि इंटेलिजेंस एजेंसी(Intelligence Agency) के सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख, फैज हामिद को उनके पद से हटाए जाने की लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन ऐसा करने में वो अब तक सफलता हसिल नहीं कर पाए हैं। क्योंकि हामिद का जासूसी एजेंसी पर बहुत प्रभाव है।

हामिद का जासूसी एजेंसी पर बहुत प्रभाव है pic(social media)

पिछले कई वर्षों से आईएसआई(ISI) तालिबान के नेताओं(Taliban Leaders) की देखभाल करता आ रहा है। इस दौरान आईएसआई (ISI)अपनी सुविधा के अनुसार अफगानिस्तान के अंदर अपने पक्ष में ऑपरेशन भी चलवाता रहा है। इसी के मद्देनजर जब तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान की सत्ता आई है तो पाकिस्तान सेना प्रमुख अब उनके फैसले में अपना दखल देना चाहते हैं।

तालिबान के नेताओं के साथ आईएसआई (ISI) के बहुत मजबूत संबंध हैं। हक्कानी ग्रुप समेत सभी अन्य गुटों में इनकी गहरी पैठ भी साफ देखी जा सकती है। सूत्रों की माने तो आईएसआई ने अफगानिस्ता में सिपहसालार के तौर पर अपने लोगों को काबिज कर रखा है।

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी आर्मी प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी वहां अपना एजेंडा(Agenda) चलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन हामिद ऐसा होने नहीं देना चाह रहे हैं। तालिबान के ज्यादातर गुट और उनके नेताओं ने पेशापेशावर और क्वेटा में आईएसआई (ISI) सेफ हाउस(Safe House) का यूज करते हुए अमेरिका के साथ लड़ाई लड़ी थी। सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान सरकार में पाकिस्तान के प्रभाव को लेकर अब तालिबान के कई गुटों में दरार भी साफ दिखाई देने लगा है।

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