जम्मू-कश्मीर पर शर्मिंदा अमेरिका, इस पर सांसद ने मांगी माफी

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को लेकर जहां एक तरफ विपक्ष हगांमा कर रहा है वही दूसरी तरफ पाकिस्तान की भी हालत खराब है। बीते दिन पहले अमेरिका ने पाक और भारत को अपने आपसी मामलो को सुलझाने के लिए बात करने को कहा था।

Update: 2019-08-13 13:31 GMT
जम्मू-कश्मीर पर शर्मिंदा अमेरिका, इस पर सांसद ने मांगी माफी

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को लेकर जहां एक तरफ विपक्ष हगांमा कर रहा है वही दूसरी तरफ पाकिस्तान की भी हालत खराब है। बीते दिन पहले अमेरिका ने पाक और भारत को अपने आपसी मामलो को सुलझाने के लिए बात करने को कहा था। जिसके बाद भारत ने अपनी तरफ से कोई भी पहल करने के इंकार कर दिया था। इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस के एक सदस्य टॉम सुओजी ने कश्मीर पर विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को लिख था। जिसके बाद अब मामला गरमा गया है। अब सुओजी ने भारतीय-अमेरिकी लोगों से माफी मांगी।

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सुओजी ने लिखा पोम्पिओ को पत्र

सुओजी ने पोम्पिओ को लिखे पत्र में कहा था, ''राज्य की स्वायत्तता और कश्मीरियों के अधिकारों पर ये नए प्रतिबंध चरमपंथियों और आतंकवादियों को कार्रवाई करने के लिए भी उकसा सकते है। इस पत्र को लेकर कई भारतीय-अमेरिकी खफा हो गये थे। सुओजी न्यूयॉर्क के जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं वहां पर बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं।

इसके बाद सुओजी ने भारतीय अमेरिकी लोगों की एक इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें भारतीय समुदाय के 100 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया और उन्होंने उनसे अपना पत्र वापस लिये जाने की मांग की।

आगे सुओजी ने अपने एक बयान में कहा, ''कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों के बारे में अपनी चिंता जाहिर करने के लिए पोम्पिओ को लिखे मेरे पत्र के संबंध में मैंने रविवार को अपने 100 भारतीय-अमेरिकी सदस्यों से मुलाकात की।

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आगे स्पष्ट करते हुए उन्होने कहा कि यह स्पष्ट है कि पत्र भेजने से पहले अपने भारतीय-अमेरिकी मित्रों और समर्थकों से चर्चा नहीं करना मेरी एक गलती थी। मुझे ऐसा करना चाहिए था। मैं क्षमा चाहता हूं। अगर मैं पत्र भेजने से पहले उनसे मिला होता, तो मैं अपनी चिंताओं को अलग तरह से बताता।

सुओजी ने कहा, ''भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और क्षेत्रीय सुरक्षा तथा शांति के लिए यह देश महत्वपूर्ण है। कश्मीर में मौजूदा स्थिति कई गंभीर चुनौतियां पेश करती है। अमेरिका को सभी लोगों की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने में सहायक बनना चाहिए।

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