Mystery of Black Hole: वीडियो में देखें ब्लैक होल का रहस्य, ये जानकारी आपके होश उड़ा देगी

Video Mystery of Black Hole:: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने सबसे पहले 1916 में अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के साथ ब्लैक होल (Black Hole) के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी।

Update:2023-05-08 14:16 IST

Mystery of Black Hole: अंतरिक्ष में ब्लैक होल्स (Black Hole) हमेशा से हैरानी का विषय रहे हैं। ब्लैक होल की सबसे ​डरावनी बात यह है कि इसमें जाने वाली चीज का पता नहीं चलता है कि वो कहां गई। ब्लैक होल का इतिहास कोई बहुत पुराना नहीं है। यह दरअसल 100 साल पुराना है।महान भौतिक वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) द्वारा इसकी कल्पना सौ साल पहले ही कर ली गयी थी। पर आइंस्टीन के मुताबिक़, यह सिर्फ़ किताबों में ही उपस्तिथ है, इसका कोई भौतिक आकार नहीं है। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने सबसे पहले 1916 में अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के साथ ब्लैक होल (Black Hole) के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी।

यह शब्द कई साल बाद 1967 में अमेरिकी खगोलशास्त्री जॉन व्हीलर (John Wheeler) द्वारा गढ़ा गया था। दशकों तक ब्लैक होल क्या है इसको केवल सैद्धांतिक वस्तुओं के रूप में जानने के बाद, 1971 में पहला भौतिक ब्लैक होल देखा गया था। पर आइंस्टीन के आलावा 1967 में पहली बार खगोलविद जॉन व्हीलर ने “ब्लैक होल” शब्द का इस्तेमाल किया था। पहला वास्तविक ब्लैक होल 1971 में खगोलविदों द्वारा खोजा गया। तब से, कई अन्य ब्लैक होल खोजे गए हैं। उनके व्यवहार के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्र की गई है। लेकिन किसी ने भी सीधे ब्लैक होल का अवलोकन नहीं किया था।

डिस्कवर मैगजीन के मुताबिक, ब्लैक होल के तीन प्रमुख गुण होते हैं। पहला उसका वजन या द्रव्यमान, दूसरा घुमाव या कोणीय गति और तीसरा है उसका इलेक्ट्रॉनिक चार्ज। वैज्ञानिकों ने अभी तक इन्हीं गुणों के सहारे ब्लैक होल्स को खोजा है। ब्लैक होल में जाने वाली चीज, इसके द्रव्यमान, कोणीय गति और इलेक्ट्रॉनिक चार्ज के कारण खत्म हो जाती है।

कैसे हुआ ब्लैक होल का निर्माण

ब्लैक होल का निर्माण उन बड़े विशालकाय तारों के द्वारा होता है, जो अपने जीवनकाल के आखिरी चरण में पहुंच चुके होते हैं। इसीलिए हमे ब्लैक होल का निर्माण कैसे हुआ उसे समझने के लिए सबसे पहले किसी तारे के सम्पूर्ण जीवन चक्र को समझना होता है।

क्या है ब्लैक होल

इसका मूल उत्तर यह है कि ब्लैक होल अंतरिक्ष में एक ऐसी जगह होती है जहां गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि वहाँ से प्रकाश भी बाहर नहीं निकल पाता है। यहाँ गुरुत्वाकर्षण इतना प्रभावी होता है यह किसी भी पदार्थ को एक छोटे से स्थान में निचोड़ देता है। ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई तारा मर रहा हो। क्योंकि वहाँ से किसी भी प्रकार का प्रकाश बाहर नहीं निकल पाता। इसलिए लोग ब्लैक होल को नहीं देख पाते।

अध्ययन में जुटे वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कॉप के हवाले से कहा है कि ब्लैक होल जोकि पृथ्वी से 7.5 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है, इसके सामने गैस में गिरती है, जिससे तारों का निर्माण होता है। हालांकि ये कैसे काम करता है या कि ये सब कैसे होता है, इसको लेकर कुछ भी ज्ञात नहीं है। वैज्ञानिक इस दिशा में पता लगा रहे हैं।

शोधकर्ताओं का मानना है कि करीब 50 मिलियन साल पहले ब्रह्मांड में दो आकाशगंगाओं के विलय की बड़ी घटना हुई थी, उस दौरान एक विशाल ब्लैक होल उनके केंद्र में आ गया। लेकिन जब एक तीसरी आकाशगंगा खुद के ब्लैक होल के साथ आई, तो तीनों एक-दूसरे से मिल गए। जिसके चलते हालात नियंत्रण से बाहर हो गया।

ब्लैक होल ब्रह्मांड के वे 'शिकारी' होते हैं जो अपने करीब आने वाली हर चीज को 'निगल' लेते हैं। इनका शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण सितारे की गैसों को अपने भीतर खींच लेता है और तेज रेडिएशन बाहर निकलता है। नासा ने अपने हबल स्पेस टेलिस्कोप की मदद से ऐसी ही एक घटना का पता लगाया है। नासा के शेयर किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह एक ब्लैक होल एक भटकते हुए सितारे को नष्ट कर डोनट के आकार में बदल देता है। हालांकि एनिमेशन में नजर आ रहा डोनट किसी सौर मंडल के आकार जितना बड़ा था। नासा ने हबल डेटा के आधार पर इस घटना का एनिमेशन तैयार किया जो धरती से 300 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित गैलेक्सी के केंद्र में घटित हुई।

जब ये दिखता नहीं, तो साइंटिस्ट कैसे खोजते हैं?

ब्लैकहोल से एक रेडिएशन निकलती है। जिसे ख़ास इंस्ट्रूमेंट्स से डिटेक्ट किया जा सकता है। इसी थियरी के मुताबिक, इवेंट होराइजन के आस-पास के गोलाकार इलाके की तस्वीरें उतारी गईं। इवेंट होराइजन माने ब्लैक होल का वो बाहरी हिस्सा, जहां से कुछ भी वापस नहीं आ सकता। न लाईट, ना दूसरी कोई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव। साल 2019 की अप्रैल को एस्ट्रोनॉमर्स ने पहली बार ब्लैक होल की कोई तस्वीर जारी की थी।

दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैक होल कौन सा है?

वैज्ञानिकों ने हमारे अंतरिक्ष में मौजूद M87 आकाशगंगा में मौजूद एक विशालकाय ब्लैक होल की तस्वीर को जारी किया था। जिसके बारे में यह जानकारी को दिया गया था। वह ब्लैक होल आकार में पृथ्वी से तीस लाख गुना बड़ा और हमारे सूर्य से लगभग 650 करोड़ गुना ज्यादा भारी है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैक होल माना गया है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड के करोड़ों तारों को मिलाकर उससे जितनी रोशनी उत्पन्न होगी, यह उससे भी कई गुना ज्यादा चमकदार है।

ब्लैक होल के अंदर जाने से क्या होता है?

ब्लैक होल स्पेस की वह जगह है जहाँ पर भौतिक विज्ञान का कोई नियम लागू नहीं होता है। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बहुत शक्तिशाली होता है, कोई भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता। यदि प्रकाश भी यहां प्रवेश करता है तो वह भी वापिस नहीं निकल पाता है, क्योकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। इस विषय में आइंस्टाइन पहले ही बता चुके हैं कि किसी भी वस्तु का गुरुत्वाकर्षण उसके आसपास के स्पेस को लपेट देता है। उसे एक कर्व जैसा आकार दे देता है।

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