Pakistan News: एक लाख मौतों पर जागा पाकिस्तान, बदल दिया आत्महत्या सम्बन्धी कानून
Pakistan Suicide Law: इस संबंध में विधेयक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने संसद में तीन महीने पहले पेश किया था और इसे बाद में दोनों सदनों से पारित कर दिया गया था।
Pakistan Suicide Law: भारत की तरह अब पाकिस्तान में भी आत्महत्या की कोशिश करना अपराध नहीं रहा है। पाकिस्तान ने अपने यहाँ कानून में संशोधन किया है जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से ट्वीट कर बताया गया है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इस सम्बन्ध में विधेयक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने संसद में तीन महीने पहले पेश किया था और इसे बाद में दोनों सदनों से पारित कर दिया गया था। आत्महत्या सम्बन्धी पहले का कानून सन 47 के पहले ब्रिटिश राज के दौरान लागू किया गया था। इस कानून के तहत पाकिस्तान में आत्महत्या की कोशिश करना एक अपराध था जिसके तहत एक साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती थीं।
पाकिस्तान की संसद ने आत्महत्या के प्रयासों को दंडित करने के बारे में पाकिस्तान दंड संहिता, 1860 की धारा 325 को निरस्त कर दिया। धारा के तहत, आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास एक वर्ष के कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडनीय अपराध था। इसमें कहा गया था कि "जो कोई भी आत्महत्या करने का प्रयास करता है और इस तरह के अपराध को करने के लिए कोई कार्य करता है, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा, जो एक वर्ष तक का हो सकता है, या जुर्माना, या दोनों के साथ।" अब ये कानून रद्द कर दिया गया है।
अब भी दुनिया के कई देशों में आत्महत्या एक अपराध है जिसके लिए सजाओं का प्रावधान है। इसके अलावा आत्महत्या की कोशिश और मानसिक स्थिति को सामाजिक रूप से एक कलंक की तरह देखा जाता है। 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक हर साल सात लाख से ज्यादा लोग खुदकुशी से मारे गए थे।
पाकिस्तान में 2019 में एक लाख लोग खुदकुशी के कारण मरे
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पाकिस्तान में 2019 में एक लाख लोग खुदकुशी के कारण मारे गए। हालांकि यह भी कहा गया कि यह संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि पुलिस की जांच पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता।
ऐसा ही कानून भारत में भी था जिसमें 2016 में संशोधन किया गया था। संसद में मानसिक स्वास्थ्य सुविधा विधेयक 2013 के रूप में यह संशोधन पेश किया गया था जिसके तहत यह माना गया कि खुदकुशी का प्रयास सामान्य मनोदशा में संभव नहीं है। इससे पहले भारत में आत्महत्या की कोशिश अपराध की श्रेणी में था। भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत अत्मह्त्या के प्रयास को परिभाषित करते हुए ऐसा करने पर एक साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। कानून में संशोधन के बाद भारत में अब आत्महत्या की कोशिश को मानसिक बीमारी की श्रेणी में रखा गया है।