नाय प्यी तॉ: म्यांमार के प्राधिकारियों द्वारा आंतकी संगठन के रूप में वर्गीकृत अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने शनिवार को कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार है। एआरएसए विद्रोही अगस्त माह में राखिने क्षेत्र में सरकारी चौकियों पर बहुसंख्यक हमले के पीछे थे, जो क्षेत्र में सेना की हिसक कार्रवाई और नतीजन हजारों रोहिंग्याओं के विस्थापन का कारण बने।
सोशल मीडिया पर समूह द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "अगर किसी भी चरण पर म्यांमार सरकार शांति के लिए झुकती है तो एआरएसए इस झुकाव का स्वागत करेगा और उस पर विनिमय करेगा।"
एफे समाचार की खबर के मुताबिक, एआरएसए ने यह भी कहा कि सितंबर महीने में युद्धविराम के बाद क्षेत्र में मानवतावादी सहायता पहुंचने के सिलसिले का अंत सोमवार को हो जाएगा और उन्होंने म्यांमार के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि यह राखिने में सहायता को रोकने के लिए किया जा रहा है।
बयान में कहा गया है, "मानवीय पहुंच को बाधित करने का मुख्य कारण म्यांमार सरकार का निरंतर सैन्य संचालन और एक राजनीतिक रणनीति है, जो जनहत्या, हिंसा, आगजनी, धमकी और जनसंहार, दुष्कर्म जैसे अस्त्रों का उपयोग कर रही है। इससे आबादी घट गई है।"
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 25 अगस्त के बाद से करीब 515,000 रोहिंग्या लोग भागकर बांग्लादेश जा चुके हैं। एआरएसए ने राखिने में 9 अक्टूबर, 2016 को सरकारी चौकियों पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। इसी हमले ने राखिने में सेना को पहली हिंसक कार्रवाई के लिए प्रेरित किया था।
राखिने में रहने वाले एक लाख से अधिक रोहिंग्या वर्ष 2012 में सांप्रदायिक हिंसा के बाद से उत्पीड़न का शिकार हुए, जिसमें कम से कम 160 लोग मारे गए और 120,000 लोग 67 शरणार्थी शिविरों तक सीमित हैं।
म्यांमार ने रोहिंग्या, जो देश में कई पीढ़ियों से रह रहे थे, उन्हें बांग्लादेश से भागकर आए अवैध आप्रवासी माना और उनसे नागरिक अधिकार छीन लिए।
--आईएएनएस